नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में यूं तो बिहार में कई दिग्गज नेताओं का भविष्य दांव पर है, परंतु सारण ऐसी सीट है जहां दिलचस्प लड़ाई देखने को मिल रही है। सारण क्षेत्र से एनडीए की ओर से भारतीय जनता पार्टी ने जहां पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप सिंह रूडी को चुनाव मैदान में उतारा है, वहीं महागठबंधन की ओर से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य चुनावी अखाड़े में हैं। इस रोचक मुकाबले पर बिहार ही नहीं देश भर की निगाहें टिकी हैं।
इस चुनाव में रूडी के सामने जहां इस सीट पर कब्जा बरकरार रखने की चुनौती है, वहीं रोहिणी आचार्य के सामने अपने पिता की पुरानी विरासत को पाने की चुनौती है।
’सम्पूर्ण क्रांति’ के जनक जयप्रकाश नारायण की कर्मभूमि रहे सारण की राजनीति में लालू प्रसाद लंबे समय तक केंद्र बिंदु बने रहे। इस क्षेत्र का संसद में चार बार प्रतिनिधित्व करने वाले लालू परिवार के लिए यह परंपरागत सीट मानी जाती रही है। हालांकि बीजेपी के राजीव प्रताप रूडी भी यहां से चार बार सांसद चुने गए हैं।
सारण की विशेषता रही है कि यहां पार्टियां भले ही अपने उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारती हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला यदुवंशी और रघुवंशी के बीच का ही होता है। दलों के हिसाब से देखें तो उपजाऊ और समतल इलाके के रूप में मशहूर सारण संसदीय क्षेत्र के चुनावी संग्राम में महागठबंधन की ओर से आरजेडी और बीजेपी के बीच आमने -सामने की लड़ाई है।
सारण संसदीय क्षेत्र में मढ़ौरा, छपरा, गरखा, अमनौर, परसा तथा सोनपुर विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इसमें से चार विधानसभा क्षेत्र राजद के जबकि दो पर बीजेपी का कब्जा है।
पिछले लोकसभा चुनाव में सारण की सीट से बीजेपी के रूडी ने आरजेडी के चंद्रिका राय को परास्त किया था। उस चुनाव में रूडी को जहां 53 फीसदी से ज्यादा मत मिले थे, वहीं चंद्रिका राय को 38 प्रतिशत मतों से ही संतोष करना पड़ा था।
करीब 18 लाख मतदाताओं वाले सारण में 2024 लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने एक बार फिर राजीव प्रताप रूडी पर दांव खेला है। वहीं, महागठबंधन की ओर आरजेडी ने लालू प्रसाद की पुत्री रोहिणी आचार्य को मैदान में उतारा है।
छपरा संसदीय क्षेत्र का नाम बदलकर भले ही सारण कर दिया गया हो, परंतु छपरा का मिजाज अब तक नहीं बदला है। प्रारंभ से ही इस क्षेत्र में जीत-हार का निहितार्थ जातीय दायरे के इर्द-गिर्द घूमता है। माना जाता है कि यहां पार्टियां नहीं बल्कि जातियां जीतती रही हैं। हालांकि पिछले दो चुनाव से नरेंद्र मोदी के नाम का भी असर रहा है। इस सीट से लालू प्रसाद और रूडी चार-चार बार चुनाव जीतकर संसद पहुंच चुके हैं।
वैसे रूडी ने वर्ष 1996 में ना केवल जीत दर्ज कर यहां बीजेपी का खाता खुलवाया था बल्कि 1999, 2014 और 2019 में भी रूडी ने यहां ’कमल’ खिलाया था। इस बार राजद ने लालू की संसदीय विरासत को पुनः वापस लाने के लिए चुनावी मैदान में उतरी रोहिणी को यहां से जिताना ना केवल लालू के लिए बल्कि पूरी पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न है।
दोनों गठबंधन के नेताओं ने इस सीट को जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी यहां खुद चुनावी रैली को संबोधित कर चुके हैं। आरजेडी के अध्यक्ष लालू प्रसाद अपनी बेटी के नामांकन के दौरान यहां उपस्थित थे। इसके अलावा लालू यहां कई दिनों तक कैम्प कर राजद नेताओं से मिलते रहे। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव भी कई चुनावी सभाओं को संबोधित कर चुके हैं।
रोहिणी आचार्य की पहचान अब तक राजनीति में नहीं रही है। उनकी चर्चा अपने पिता लालू प्रसाद को किडनी दान दिए जाने के बाद शुरू हुई और इस चुनाव में वे चुनावी मैदान में हैं। रूडी न केवल सांसद है बल्कि पेशे से कमर्शियल पायलट भी हैं। चुनाव प्रचार में आये बीजेपी के वरिष्ठ नेता राजनाथ ने अपने संबोधन में कहा कि रूडी को चुनकर न आप केवल एक सांसद चुनेंगे बल्कि एक विशेष व्यक्तित्व को चुनेंगे।
चुनाव प्रचार के मुद्दों पर गौर करें तो रूडी इस चुनाव में विकास के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की योजनाओं को लेकर लोगों के बीच जा रहे हैं। वहीं आरजेडी अपने वोट बैंक के जरिए चुनावी नैया पार करने में जुटी है।
बहरहाल, सारण सीट की पहचान रूडी और लालू प्रसाद के कारण राष्ट्रीय फलक पर रही है। इस क्षेत्र में पांचवें चरण में 20 मई को मतदान होना है, परंतु 4 जून को मतगणना के बाद ही पता चलेगा कि यहां के लोग रूडी को एक बार फिर संसद भेजते हैं या फिर लालू की बेटी रोहिणी को पहली बार क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का दायित्व सौंपते हैं।