मुंबई। केंद्र सरकार ने कोविड-19 से निपटने के लिए 20 लाख करोड़ रुपए के भारी-भरकम पैकेज का जो ऐलान किया था, उसमें से करीबन 13 लाख करोड़ रुपए की राहत दी जा चुकी है। इसमें करीबन 5.60 लाख करोड़ रुपए के पैकेज का ऐलान वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को किया। जबकि बाकी का पैकेज पहले ही आरबीआई और सरकार ने दे दिया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि सरकार द्वारा घोषित आर्थिक पैकेज से अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने बुधवार (13 मई) को कहा कि इसके साथ ही इस पैकेज से कंपनियों विशेषरूप से सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को मदद मिलेगी। मोदी ने ट्वीट किया, ”सरकार द्वारा घोषित कदमों से नकदी बढ़ेगी, उद्यमियों को सशक्त किया जा सकेगा और उनकी प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाई जा सकेगी। मोदी ने ट्विटर पर लिखा, ”वित्त मंत्री सीतारमण ने आज जो घोषणा की है उससे कंपनियों विशेषरूप से एमएसएमई क्षेत्र के समक्ष आ रही दिक्कतों को दूर करने में मदद मिलेगी। इससे एक दिन पहले प्रधानमंत्री मंगलवार (12 मई) को कहा था कि कोविड-19 से प्रभावित अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए सरकार एक बड़े आर्थिक पैकेज की घोषणा करेगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को TDC और TCS को लेकर बड़ा एलान किया। उन्होंने कहा कि 31 मार्च, 2020 तक नॉन-सैलरीड पेमेंट को छोड़कर बाकी सभी तरह के पेमेंट पर TDS/ TCS रेट में 25 फीसद की कटौती का फैसला किया गया है। सरकार के इस कदम से लोगों के हाथों में खर्च करने के लिए अधिक पैसे बचेंगे। वित्त मंत्री ने इसके साथ आयकर रिटर्न भरने की समयसीमा को भी बढ़ाने की घोषणा की। इससे पहले उन्होंने कहा कि सरकार सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्योगों (MSME) सेक्टर को बिना किसी गारंटी के तीन लाख करोड़ रुपये का लोन देगी। उन्होंने कहा कि यह कोलेटरल फ्री लोन गारंटी योजना है। एमएसएमई के लिए 6 कदमों की घोषणा की गई है। इसके अलावा कुछ कंपनियों को EPF को लेकर पहले दी गई राहत को अगले तीन और महीने तक जारी रखने की घोषणा की गई है। इसके अलावा निजी कंपनियों को अगले तीन महीने तक पीएफ फंड में 12 फीसद की बजाय 10 फीसद का अंशदान करने की सहूलियत दी गई है।
पावर सेक्टर और एमएसएमई पर फोकस
बुधवार को जारी पैकेज में वित्तमंत्री ने टीडीएस के तहत 55000 करोड़ रुपए की सुविधा का ऐलान किया तो पीएफ के जरिए 25,000 करोड़ रुपए की सुविधा दी। इसी तरह पावर सेक्टर की कंपनियों के लिए 90,000 करोड़ रुपए का ऐलान किया गया है। जबकि एनबीएफसी के लिए 30,000 करोड़ रुपए और एमएसएमई के लिए 3 लाख करोड़ रुपए के भारी भरकम पैकेज की घोषणा की गई है।
आरबीआई ने दो टीएलटीआरओ को जारी किया
इससे पहले करीबन 7 लाख करोड़ रुपए के पैकेज जो जारी किए गए थे उसमें सरकार ने 1.70 लाख करोड़ रुपए का पैकेज जारी किया था। इसके अलावा 15 अप्रैल को टीएलटीआरओ एक के तहत आरबीआई द्वारा एक लाख करोड़ रुपए का फंड जारी किया गया। इसके तहत बैंकों को कॉर्पोरेट बांड में निवेश करने के लिए दिया गया। इसके पीछे उद्देश्य कैश के संकट को खत्म करना था।
50,000 करोड़ रुपए की रीफाइनेंस सुविधा दी गई
17 अप्रैल को आरबीआई ने टीएलटीआरओ दो के तहत 50,000 करोड़ रुपए की सुविधा दी। जबकि इसी दिन 50,000 करोड़ रुपए की स्पेशल रीफाइनेंस की सुविधा सिडबी, नाबार्ड, एनएचबी आदि के लिए दी गई। आरबीआई ने मार्च अप्रैल के दौरान एक लाख करोड़ रुपए की सुविधा दी। दो वेरिएबल रेट रेपो के तहत 500 अरब रुपए की लिक्विडिटी की भी सुविधा प्रदान की गई।
20 करोड़ महिलाओं के जनधन खाते में डाला गया पैसा
20 मार्च को 100 अरब रुपए का सरकारी बांड आरबीआई ने खरीदा, जिससे यह भी लिक्विडिटी को आसान बनाने में काम आया। हालांकि इसी दौरान आरबीआई ने बैंकों द्वारा दिए जानेवाले डिविडेंड को भी रोक कर कुछ पैसे बैंकों के पास रख दिए। प्राइमरी बांड अंडरराइटर को 10 हजार करोड़ रुपए तक बढ़ाया गया था। 30 हजार करोड़ के ओएमओ की खरीदारी की गई। 16 दिन के वेरिएबल रेट रेपो पर एक ट्रिलियन रुपए जारी किया गया था। इसके अलावा सरकार ने 80 करोड़ लोगों को 5-5 किलो गेहूं या चावल और एक किलो दाल दिया। जबकि 20 करोड़ महिलाओं के खाते में 500 रुपए महीने दिए गए जो जून तक जारी रहेगा।
हेल्थकेयर के लिए जारी किए गए थे 15,000 करोड़ रुपए
50 लाख रुपए का हेल्थ इंश्योरेंस भी इसी दौरान प्रदान किया गया। इसके अलावा हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर को दुरुस्त करने के लिए 15,000 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया था। UBS की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च के आखिरी हफ्ते से आज तक RBI ने लिक्विडिटी सपोर्ट में करीब 5.2 लाख करोड़ रुपए खर्च किए हैं। इस तरह से देखा जाए तो 20 लाख करोड़ के पैकेज का करीबन 13 लाख करोड़ रुपए जारी हो चुका है।