विस उपाध्यक्ष चुनाव हुआ दिलचस्प: भाजपा और अपना दल आमने-सामने, सपा…

लखनऊ। आजादी के 75 साल के अवसर पर विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र का आयोजन 18 अक्टूबर को होने जा रहा है। इसी दिन उत्तर प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष का चुनाव भी होगा। इस बार चुनाव बेहद दिलचस्प होने जा रहा है।

सत्ताधारी दल BJP हरदोई से विधायक नितिन अग्रवाल को यूपी का 18वां विधानसभा उपाध्यक्ष यानी डिप्टी स्पीकर बनाना चाहता है। अपना दल OBC या दलित चेहरे को उतारने के लिए भाजपा पर दबाव बना रहा है, जबकि समाजवादी पार्टी ने भी कुर्मी उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रही है।

भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को चुनौती देने के लिए समाजवादी पार्टी ने भी मोर्चा खोल दिया है। समाजवादी पार्टी ने पूर्व मंत्री नरेन्द्र वर्मा को मैदान में उतारने का मन बनाया है। उधर, बीजेपी की इस मंशा पर अब अपना दल (एस) भी पलीता लगाती नजर आ रही है। अपना दल ने चुनाव से पहले पिछड़ा या दलित कार्ड खेल दिया है।

समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री नरेन्द्र वर्मा
समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री नरेन्द्र वर्मा

भाजपा नितिन अग्रवाल को बनाना चाहती विधानसभा उपाध्यक्ष
भारतीय जनता पार्टी ने इस बार विधानसभा उपाध्यक्ष के लिए बड़ा दाव खेलने की तैयारी की है। पार्टी नितिन अग्रवाल को उम्मीदवार बनाना चाहती है। माना जाता है कि उपाध्यक्ष को मुख्य विपक्षी दल के सदस्यों में से किसी एक को बनाया जाता है। लिहाजा पार्टी नितिन अग्रवाल को अपना उम्मीदवार बनाने जा रही है।

केंद्रीय मंत्री और अपना दल एस की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल
केंद्रीय मंत्री और अपना दल एस की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल

कुर्मी वोटों में गहरी पैठ रखते हैं नरेंद्र वर्मा
नरेंद्र वर्मा सीतापुर में महमूदाबाद से विधायक हैं। अखिलेश यादव सरकार में मंत्री रहे नरेंद्र वर्मा को उन्हीं के साथ मंत्री रहे भाजपा के प्रत्याशी नितिन अग्रवाल चुनौती देंगे। वर्तमान में सपा से विधायक नरेंद्र सिंह वर्मा सीतापुर की महमूदाबाद सीट से छह बार चुनाव जीत चुके हैं। उत्तर प्रदेश के मध्य एवं तराई इलाकों के कुर्मी समुदाय में उनकी गहरी पैठ है। नरेंद्र वर्मा को अधिकृत प्रत्याशी बनाकर अखिलेश यादव कुर्मी वोटों का ध्रुवीकरण वापस अपने पक्ष में करना चाहते हैं।

विधायक नितिन अग्रवाल
विधायक नितिन अग्रवाल

नितिन अग्रवाल अभी भी हैं समाजवादी पार्टी के विधायक
दिलचस्प बात यह है कि अग्रवाल समाजवादी पार्टी के विधायक है, जो 2018 में भाजपा में शामिल हो गए थे। अग्रवाल की सदस्यता रद्द करने की मांग वाली समाजवादी पार्टी की याचिका को हाल में ही खारिज कर दिया गया है, लिहाजा अभी वह टेक्निकल रूप से समाजवादी पार्टी के विधायक है। ऐसे में पार्टी परंपरा का पालन करते हुए सपा के विधायक नितिन अग्रवाल को उम्मीदवार बनाएगी। नितिन के पिता पूर्व मंत्री भगवान भी भाजपा में ही है।

वैश्यों को साधने के लिए नितिन को भाजपा बनाएगी उपाध्यक्ष?
भाजपा की नजर विधानसभा चुनाव के लिए वैश्य बिरादरी पर नजर जमाए भाजपा उन्हें विधानसभा उपाध्यक्ष बनाना चाहती है। गौरतलब है कि बीजेपी नितिन अग्रवाल को विधानसभा का उपाध्यक्ष बनाकर वैश्य वोटरों को साधने की कोशिश करने की सोच रही है।

उनके पिता की छवि बड़े वैश्य नेता की है और वह समाजवादी पार्टी छोड़कर बीजेपी में इसीलिए शामिल हुए थे कि उन्हें कोई बड़ा पद या राज्यसभा की सीट मिलेगी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। बल्कि सपा से उनका कद बीजेपी में कम ही हुआ। अब बीजेपी 2022 के चुनाव से पहले नितिन अग्रवाल को उपाध्यक्ष बनाकर सूबे के वैश्य समुदाय को बड़ा सियासी संदेश देने की रणनीति है।

कौन बनता है विधानसभा उपाध्यक्ष
परंपरा के अनुसार उपाध्यक्ष को मुख्य विपक्षी दल के सदस्यों में से चुना जाता है। राज्य विधान सभा का गठन 17 मार्च 2017 को किया गया था इसके 5 साल के कार्यकाल के अंत में नए उपाध्यक्ष कार्यकाल समाप्त हो जाएगा ऐसे में इस पद पर उनका कार्यकाल 5 महीने से भी कम समय का होगा।

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