नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने तब्लीगी जमात के 916 विदेशी नागरिकों को वैकल्पिक स्थानों पर रहने की इजाजत दे दी है। इन स्थानों पर रहने का खर्च ये खुद उठाएंगे। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस तलवंत सिंह की बेंच ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई सुनवाई के बाद ये आदेश दिया। याचिकाकर्ताओं की ओर से पिछले 26 मई को इन विदेशी नागरिकों के ठहरने के लिए नौ स्थानों की सूची हाईकोर्ट को सौंपी गई थी। हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को इन स्थानों की तहकीकात कर स्टेटस रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था।
दिल्ली पुलिस की ओर से दायर स्टेटस रिपोर्ट पर गौर करने के बाद हाईकोर्ट ने 916 विदेशी नागरिकों को सरकारी एकांतवास केंद्र (क्वारेंटाइन सेंटर) से हटाकर उनके द्वारा बताए गए वैकल्पिक स्थानों पर रखने की इजाजत दे दी। दिल्ली पुलिस ने 26 मई को दिल्ली हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट देकर मौलाना साद की भूमिका पर सवाल उठाया था। दिल्ली पुलिस ने कहा था कि 23 मार्च को व्हाट्सएप पर मौलाना साद की ऑडियो मिली, जिसमें वो अपने समर्थकों से लॉकडाउन की परवाह न करते हुए मरकज़ में शामिल होने के लिए बोल रहा था।
स्टेटस रिपोर्ट में पुलिस ने कहा था कि मरकज के कार्यक्रम में करीब तेरह सौ लोग आये थे। ये लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किये बगैर मरकज में रह रहे थे। इनमें कोई भी फेस मास्क, सैनेटाइजर का इस्तेमाल नहीं कर रहा था। मौलाना साद और तब्लीगी ज़मात के प्रबंधन से जुड़े लोगों ने जानबूझकर इस लापरवाही को अंजाम दिया। दिल्ली पुलिस ने स्टेटस रिपोर्ट में कहा था कि गृह मंत्रालय ने ज़मात में शामिल होने के लिए टूरिस्ट वीजा पर आए 960 विदेशियों को ब्लैक लिस्ट किया है। 900 विदेशी जमाती जांच में शामिल हुए हैं लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है और ना ही पुलिस ने किसी को हिरासत में लिया है। दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट को बताया था कि इस मामले में अभी जांच जारी है।
हाईकोर्ट ने पिछले 22 मई को केंद्र और दिल्ली सरकार से स्टेटस रिपोर्ट तलब की थी। जस्टिस नवीन चावला की बेंच ने इस मामले को डिवीजन बेंच में सुनवाई के लिए ट्रांसफर कर दिया था। इस मामले पर आज जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रजनीश भटनागर ने सुनवाई की। मोहम्मद जमाल की दायर याचिका पर वकील एस ए हरिहरन और अशीमा मंडला ने कहा कि दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग ने पिछले 9 मई को 916 विदेशी नागरिकों को एक महीने का क्वारेंटाइन पूरा होने पर दिल्ली पुलिस को सौंपने का आदेश दिया था। याचिका में कहा गया था कि दिल्ली पुलिस को सौंपने का आदेश संविधान की धारा 14, 21 और 22 का उल्लंघन है।
याचिका में कोर्ट से मांग की गई थी कि रमजान का महीना चल रहा है और ईद काफी नजदीक है। ऐसे में उन विदेशी नागरिकों को आइसोलेशन में रखना संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। इसलिए इन विदेशी नागरिकों को तुरंत रिहा करने का आदेश जारी किया जाए। हाईकोर्ट में पिछले 15 मई को एक दूसरी याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा था कि तब्लीगी जमात के जिन लोगों का क्वारेंटाइन पूरा हो चुका है उन्हें रिहा कर दिया गया है। उसके बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली थी।