नई दिल्ली। एक्सपर्ट्स का मानना है कि कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन पर वैक्सीन बेअसर हो सकती है। इसके बाद एक ओर जहां वैक्सीन कंपनियां वैक्सीन में बदलाव कर रही हैं वहीं, दूसरी ओर बूस्टर डोज देने की चर्चाएं भी हो रही हैं। ब्रिटेन ने बढ़ते केसेज के बीच दिसंबर तक 18 से ज्यादा उम्र के सभी लोगों को बूस्टर डोज देने का फैसला लिया है।
ओमिक्रॉन से निपटने वैक्सीन निर्माता कंपनियां किस तरह तैयारी कर रही हैं? और क्या ओमिक्रॉन से बचने के लिए आपको बूस्टर डोज लेना होगा?…
ओमिक्रॉन पर वैक्सीन की इफेक्टिवनेस को लेकर स्टडी क्या कहती है?
- ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने अपनी प्री-प्रिंट स्टडी में कहा है कि ओमिक्रॉन के खिलाफ फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन कम कारगर हैं। इस स्टडी के लिए रिसर्चर्स ने वैक्सीन का सेकेंड डोज ले चुके लोगों में 28 दिन के बाद एंटीबॉडी लेवल चेक किया। स्टडी में शामिल कई लोगों में तो एंटीबॉडी लेवल इतना कम हो गया जो वायरस को रोकने में बिल्कुल कारगर नहीं है।
- इसके बाद खतरा जताया जा रहा है कि इससे फुली वैक्सीनेटेड लोगों में भी ब्रेकथ्रू इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाएगा, जिससे केसेज बढ़ सकते हैं। हालांकि, अभी ये पता नहीं है कि इससे हॉस्पिटलाइजेशन और गंभीर लक्षणों में कितनी बढ़ोतरी होगी। स्टडी में शामिल रहे गेविन स्क्रीटन का कहना है कि स्टडी के नतीजे बताते हैं कि जो लोग बूस्टर डोज के लिए एलिजिबल हैं वो जल्द से जल्द डोज लें।
- पिछले हफ्ते जारी ब्रिटेन की हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ओमिक्रॉन के खिलाफ वैक्सीन के दो डोज डेल्टा के मुकाबले कम कारगर है।
- सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) ने अमेरिका में मिले 43 ओमिक्रॉन मरीजों को एनालाइज किया है। इनमें से 34 मरीज ऐसे हैं, जिन्हें वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी है। इसके बाद आशंका जताई जा रही है कि ओमिक्रॉन की वजह से वैक्सीन की इफेक्टिवनेस कम हुई है।
वैक्सीन पर बूस्टर डोज कितना इफेक्टिव है?
- UK हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी (UKHSA) ने अपनी रिसर्च में बताया है कि बूस्टर डोज लेने के बाद मॉडर्ना और फाइजर वैक्सीन 70 से 75% इम्यूनिटी प्रोवाइड करती है। हालांकि, ओमिक्रॉन की वजह से गंभीर लक्षण कितने बढ़ रहे हैं इसे लेकर अभी और स्टडी की जानी है, लेकिन बाकी वैरिएंट के मुकाबले ये ज्यादा होने की आशंका है।
- इजराइल के शेबा मेडिकल सेंटर और सेंट्रल वायरोलॉजी लैबोरेटरी ने बूस्टर डोज की इफेक्टिवनेस को लेकर 40 लोगों पर एक स्टडी की थी। इनमें 20 ऐसे लोग थे, जिन्हें 5-6 महीने पहले दूसरा डोज लगा था और बचे 20 को एक महीने पहले ही बूस्टर डोज लगा था। स्टडी में सामने आया था कि जिन्हें 5-6 महीने पहले वैक्सीन लगी थी उन लोगों में ओमिक्रॉन के खिलाफ इम्यूनिटी कम थी। जिन लोगों को बूस्टर डोज दिया गया उनमें ओमिक्रॉन के खिलाफ लड़ने वाली एंटीबॉडी ज्यादा मिलीं।
- ओमिक्रॉन पर वैक्सीन इफेक्टिवनेस को लेकर फाइजर और मॉडर्ना ने भी स्टडी की थी। कंपनियों ने कहा था कि उनकी वैक्सीन का बूस्टर डोज ओमिक्रॉन के खिलाफ भी इफेक्टिव है।
- इजराइल में बूस्टर डोज की इफेक्टिवनेस को लेकर एक स्टडी की गई थी। 7.28 लाख लोगों पर की गई इस स्टडी में सामने आया था कि वैक्सीन का बूस्टर डोज कोरोना की वजह से हॉस्पिटलाइजेशन रोकने में 93% कारगर है। साथ ही कोरोना के गंभीर लक्षणों को रोकने में भी 92% इफेक्टिव है।
- वैक्सीन के दोनों डोज लगवाने के 5-6 महीने बाद एंटीबॉडी लेवल में कमी आने लगती है। इंग्लैंड में फाइजर वैक्सीन की इफेक्टिवनेस को लेकर की गई स्टडी में सामने आया था कि दूसरा डोज लगवाने के 2 हफ्ते तक वैक्सीन इंफेक्शन को रोकने में 90% कारगर है, लेकिन 5 महीने बाद केवल 70% ही कारगर रह जाती है।
ओमिक्रॉन से बचने के लिए क्या आपको बूस्टर डोज लेना होगा?
फिलहाल नहीं, लेकिन हो सकता है कि आने वाले कुछ महीनों में बूस्टर डोज दिया जाए। ओमिक्रॉन के खतरे को देखते हुए दुनियाभर के कई देश बूस्टर डोज दे रहे हैं। ICMR ने पार्लियामेंट्री कमेटी को कहा है कि दूसरे डोज के 9 महीने बाद बूस्टर डोज दिया जा सकता है।
दिसंबर में ही सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने अपनी वैक्सीन कोवीशील्ड को बूस्टर डोज के तौर पर देने की मंजूरी मांगी थी। माना जा रहा है कि सरकार पहले कमोर्बिडिटी वाले लोगों को बूस्टर डोज दे सकती है। उसके बाद बाकी लोगों पर फैसला लिया जाएगा।
कहां-कहां दिया जा रहा है बूस्टर डोज?
Our World in Data के मुताबिक, दुनियाभर के 35 से भी ज्यादा देश अपने नागरिकों को बूस्टर डोज दे रहे हैं। अलग-अलग देशों में कमोर्बिडिटी और अलग-अलग फैक्टर को ध्यान में रखते हुए लोगों को कोरोना वैक्सीन का बूस्टर डोज दिया जा रहा है।