नई दिल्ली। शादी-विवाह के सीजन और त्योहारी मांग बढ़ने के साथ-साथ खाद्य तेलों का स्टॉक खाली होने से बीते सप्ताह दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में विभिन्न खाद्य तेल-तिलहन कीमतों में सुधार का रुख रहा और कीमतों में पर्याप्त सुधार आया।
बाजार के जानकार सूत्रों ने बताया कि सोयाबीन उत्पादक देश अर्जेन्टीना में गर्मी की वजह से लगभग 2,000 हेक्टेयर में लगी फसल झुलस गई, जबकि दूसरे उत्पादक देश ब्राजील में अधिक बरसात की वजह से सोयाबीन उत्पादन में पर्याप्त गिरावट आ सकती है। उन्होंने कहा कि विदेशी आयातित तेलों के महंगा होने की वजह से सरसों और देशी तेलों की मांग बढ़ी है और हालत यह है कि राजस्थान में लगभग 30 साल से बंद पड़ी सरसों मिलों को दोबारा काम मिलना शुरू हो गया है।
बाजार सूत्रों का मानना है कि खाद्य तेल कीमतों की वैश्विक तेजी से जहां तेल-तिलहनों की घरेलू कीमतों में भी सुधार हुआ है, वहीं इसकी वजह से देश में आगे तिलहन उत्पादन के बढ़ने की भी संभावना है। मौजूदा साल में सरसों और सोयाबीन के लिए जिस तरह किसानों को बढ़ा हुआ न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिला, वह आगे जारी रहा तो किसान गेहूं और धान की जगह तिलहनों की बुवाई का रकबा बढ़ा सकते हैं। इससे न केवल खाद्य तेलों के आयात पर करोड़ों रुपये की विदेशी मुद्रा बचेगी, बल्कि अधिशेष उत्पादन के निर्यात होने से हमें विदेशी मुद्रा प्राप्त होगी।
सूत्रों ने कहा कि मौजूदा स्थिति देश को तिलहन उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने के लिहाज से बहुत उपयुक्त है। सरकार को बस इस बात का ध्यान रखना होगा कि वह किसानों को दिया जाने वाला समर्थन आगे जारी रखे और बाजार टूटने की स्थिति में आयातित खाद्य तेलों पर आयात शुल्क को बढ़ा दे। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में सरकार को सूरजमुखी की बिजाई और इसके उत्पादन को बढ़ाने के लिहाज से दिये जाने वाले प्रोत्साहनों को बढ़ाना चाहिये ताकि इसका उत्पादन लगभग दोगुना किया जा सके और पहले की ही तरह इसका बिल्कुल भी आयात न करना पड़े।
सूत्रों ने कहा कि मांग बढ़ने से जहां सरसों तेल-तिलहनों में सुधार आया वहीं स्थानीय के साथ-साथ निर्यात मांग के कारण मूंगफली तेल-तिलहनों की कीमतें भी लाभ में रहीं। सूत्रों ने कहा कि मौजूदा आयात शुल्क मूल्य के हिसाब से सोयाबीन डीगम की कीमत देश में 136 रुपये किलो बैठती है जबकि सरसों का दाम 132 रुपये किलो बैठता है। इसलिए सरसों में मिलावट की संभावना भी कम रह जाती है, जो उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के लिहाज से एक बेहतर खबर है।
उन्होंने कहा कि कुछ तेल कारोबारियों ने 90,000 टन खाद्य तेल आपूर्ति के फर्जी सौदे किये थे जिसकी मार्च-अप्रैल में आपूर्ति होनी थी लेकिन तेल रिफाइनिंग करने वाली कंपनियों को इनकी डिलिवरी नहीं हो पा रही है। इसमें से 60,000 टन सोयाबीन डीगम तेल भी था। इसके अलावा 20,000 टन सरसों के सौदे थे और 10,000 टन पामोलीन के सौदे थे।
पामोलीन की वैश्विक मांग बढ़ने के बीच मौजूदा स्थितियों में सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में भी सुधार आया। मलेशिया और शिकॉगो एक्सचेंज में भी बीते सप्ताह ज्यादातर तेजी का रुख बना रहा।
उन्होंने कहा कि बीते सप्ताह घरेलू के साथ विदेशों में सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) की भारी मांग होने से सोयाबीन तेल-तिलहनों के भाव में भी पर्याप्त सुधार दर्ज हुआ। वित्त वर्ष 2019-20 के अक्टूबर से फरवरी माह के दौरान 3.45 लाख टन डीओसी का निर्यात हुआ था, जो 2020-21 की समान अवधि में लगभग चार गुना होकर 14 लाख 35 हजार टन हो गया है।
उन्होंने कहा कि पूरे वैश्विक स्तर पर सोयाबीन की मांग बढ़ी है। विशेषकर देश में सोयाबीन की बड़ियां बनाने वाली कंपनियों को सोयाबीन के बेहतर दाने 6,600 रुपये क्विन्टल के रिकॉर्ड भाव पर खरीदना पड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि बीते सप्ताह सोयाबीन का भाव अपने पिछले सप्ताहांत के 1,250 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 1,325 डॉलर हो गया जबकि सीपीओ का भाव पहले के 1,120 डॉलर से बढ़कर 1,170 डॉलर प्रति टन हो गया। वहीं सूरजमुखी तेल का भाव देश में 205 रुपये किलो की रिकॉर्ड ऊंचाई पर जा पहुंचा है।
गर्मी के मौसम शुरू होने के साथ वैश्विक स्तर पर पामोलीन की मांग काफी बढ़ी है। इसके अलावा देश में शादी-विवाह के सीजन और त्योहारी मांग के कारण सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में भी समीक्षाधीन सप्ताहांत में पर्याप्त सुधार आया।
सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन दाना और लूज के भाव पिछले सप्ताहांत के मुकाबले क्रमश: 155 रुपये और 170 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 5,535-5,585 रुपये और 5,400-5,450 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए।
सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सीयाबीन डीगम तेल का भाव क्रमश: 900 रुपये, 950 रुपये और 650 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 14,000 रुपये, 13,650 रुपये और 12,650 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ।
बाजार में मांग बढ़ने से सरसों के भाव में सुधार रहा और गत सप्ताहांत सरसों दाना 70 रुपये का सुधार दर्शाता 5,970-6,020 रुपये क्विन्टल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल 900 रुपये सुधार के साथ 13,200 रुपये क्विन्टल पर बंद हुआ। सरसों पक्की घानी तेल की कीमत 65-65 रुपये लाभ के साथ क्रमश: 2,075-2,165 रुपये और 2,205 -2,320 रुपये प्रति टिन पर बंद हुई।
दूसरी ओर निर्यात गतिविधियों में आई तेजी के बीच मूंगफली दाना सप्ताहांत में 195 रुपये सुधार के साथ 6,215-6,280 रुपये क्विन्टल और मूंगफली गुजरात तेल 300 रुपये के सुधार के साथ 15,150 रुपये क्विन्टल पर बंद हुआ। मूंगफली सॉल्वेंट रिफाइंड की कीमत भी समीक्षाधीन सप्ताहांत में 60 रुपये सुधरकर 2,440-2,500 रुपये प्रति टिन बंद हुई।
समीक्षाधीन सप्ताहांत में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 500 रुपये सुधरकर 11,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। जबकि पामोलीन दिल्ली और पामोलीन कांडला तेल के भाव क्रमश: 900 रुपये और 700 रुपये सुधरकर क्रमश: 13,400 रुपये और 12,400 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए।
बीते सप्ताह तिल मिल डिलिवरी 500 रुपये सुधरकर 14,000-17,000 रुपये, बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा) 550 रुपये सुधरकर 12,550 रुपये और मक्का खल 35 रुपये सुधरकर 3,565 रुपये क्विन्टल पर बंद हुआ।