पूरे देश में कोरोना तांडव मचाए हुए है। एक ओर आम आदमी कोरोना की मार से आहत है तो वहीं राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप में लगे हुए हैं। कोरोना महामारी को लेकर केंद्र सरकार तो लंबे समय से विपक्षी दलों के निशाने पर है। विपक्षी दलों का आरोप है कि केंद्र सरकार की लापरवाही की वजह से कोरोना की दूसरी लहर में लोगों ने अपनों को गंवाया है।
कभी भाजपा की सहयोगी पार्टी रही शिवसेना ने भी भाजपा पर बड़ा आरोप लगाया है। शिवसेना ने दावा किया है कि भाजपा कोरोना महामारी से निपटने के बजाय उत्तर प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है।
बुधवार को शिवसेना ने दावा किया कि बीजेपी, कोरोना महामारी से निपटने के बजाय अपनी छवि को सुधारने और अगले साल होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव जीतने के लिए काम कर रही है, क्योंकि उसका यूपी के पंचायत चुनावों में उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं रहा है। उसे बंगाल में भी निराशा ही हाथ लगी है।
यह सारे आरोप शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में लगाया है। “सामना’ के संपादकीय में शिवसेना ने लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘मिशन उत्तर प्रदेश’ पर चर्चा करने के लिए एक बैठक की।
सामना’ में लिखा बंगाल का मिशन असफल होने के बाद मोदी-शाह व योगी ने मिशन उत्तर प्रदेश हाथ में ले लिया है। उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव के लिए मोदी-शाह ने एक साथ विचार किया। करीब साल भर बाद उत्तर प्रदेश सहित अन्य चार राज्यों में विधानसभा चुनाव होंगे। इसलिए भाजपा काम में जुट गई है।
संपादकीय में आगे लिखा है कि देश की तमाम समस्याएं समाप्त हो गई हैं। कुछ बाकी ही नहीं है। इसलिए सिर्फ चुनाव की घोषणा करना, लडऩा व बड़ी-बड़ी सभाएं, रोड शो, करके उन्हें जीतना, इतना ही काम अब शेष बचा है क्या? संसदीय लोकतंत्र में चुनाव अपरिहार्य है, मगर वर्तमान माहौल चुनाव के लिए योग्य है क्या? बंगाल सहित चार राज्यों के विधानसभा चुनावों के मामले में भी कोरोना के कारण माहौल तनावपूर्ण हो गया था।
‘सामना’ ने लिखा कि यूपी में कोरोना का संकट भयंकर है। यूपी की हालत देखकर दुनियाभर की आंखें डबडबा गई हैं। गंगा में शव बहकर आ रहे हैं। कानपुर से पटना तक गंगा किनारे लाशों के ढेर लगे हैं। वहीं उन्हें दफन व दहन करना पड़ रहा है। इसकी विदारक तस्वीरें दुनियाभर की मीडिया द्वारा छापे जाने से मोदी व उत्तर प्रदेश सरकार की कार्यक्षमता पर सवालिया निशान लगा। भारतीय जनता पार्टी की छवि को नुकसान हुआ। अब बिगड़ी हुई छवि सुधारने के लिए व उत्तर प्रदेश चुनाव जीतने के लिए क्या किया जाए, इस पर चिंतन व मंथन हो रहा है।
शिवसेना ने ‘सामना’ के जरिए कहा कि गंगा के प्रवाह में बहकर आए शवों को पुन: जीवित नहीं किया जा सकता है। इस समय तो इन लाशों का विधिवत अंतिम संस्कार करने के लिए भी संघ परिवार के स्वयंसेवक आगे आते नहीं दिखे। वाराणसी में तो लाशें जलाने के लिए श्मशान में कतारें ही लगी हैं। यह सब दृश्य सालभर में आने वाले चुनावों में तकलीफदेह साबित हो सकता है। महीना भर पहले हुए उस राज्य के पंचायत तथा जिलापरिषद चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है।
‘सामना’ में आगे कहा गया कि गंगा में आज हिंदुओं की लाशें लावारिस अवस्था में बह रही हैं। ये लाशें भारतीय जनता पार्टी और उसके प्रमुख नेताओं की छवि को सियासी पराजय की ओर ढकेल रही हैं। भारी गाजे-बाजे के बाद भी भाजपा बंगाल में जीत हासिल नहीं कर पाई। खुद यूपी के मुख्यमंत्री भी बंगाल में बीजेपी के स्टार प्रचारक थे। इसलिए यह ‘टूलकिटÓ नाकाम सिद्ध हुआ। अब उत्तर प्रदेश में भी बंगाल जैसी गत न हो इसलिए सभी काम में जुट गए हैं।
कोरोना से लड़ाई व लोगों के लिए जीवन यज्ञ महत्वपूर्ण न होकर एक बार फिर चुनावों को प्रमुखता मिल रही है। वास्तव में चुनाव आगे-पीछे होने से कोई आसमान नहीं फटेगा। फिलहाल पूरा ध्यान कोरोना के खिलाफ लड़ाई पर ही केंद्रित करने की आवश्यकता है, नहीं तो गंगा सिर्फ हिंदुओं की शववाहिनी बन जाएगी। दुनिया में हमारी बदनामी होगी।