नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने संसद में बहुमत होने की वजह से लेबर कोड को पास कर दिया है, लेकिन भाजपा शासित कई राज्य अब तक लेबर कोड को नोटिफाई करने में विफल रहे हैं। कांग्रेस नेता और सांसद शशि थरूर ने इस मसले पर राज्य सरकारों को सलाह दी है।
उन्होंने कहा है कि संसद की स्थाई समिति लेबर कोड के मसले पर मोदी सरकार की छवि बचाने के लिए राज्यों से लेबर कोड को जल्द नोटिफाई करने के लिए कह सकती है।
पिछले साल ही भारत की संसद में श्रम सुधारों से जुड़े तीन बिल (लेबर कोड) पास हो गए हैं। इन Labour Code का मजदूर संगठनों ने काफी विरोध किया। लेबर कोड के कई मसलों पर तो आरएसएस के संगठन भारतीय मजदूर संघ ने इसका विरोध किया है, लेकिन इनमें कर्मचारियों के हित में कई कदम भी उठाए गए हैं।
मोदी सरकार का दावा
सरकार का दावा है कि लेबर कोड बिल भारत के श्रम क्षेत्र में बड़े सुधार ला सकते हैं। इनमें ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन बिल- 2020, इंडस्ट्रियल रिलेशन बिल- 2020 और सोशल सिक्योरिटी बिल- 2020 शामिल हैं। लेबर कोड बिल की मदद से सामाजिक सुरक्षा संहिता, संगठित एवं असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को व्यापक सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने की कोशिश की गई है। इसमें कामगारों के लिए ईपीएफओ, ईएसआईसी, मातृत्व लाभ, ग्रेच्युटी तथा असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा फंड आदि बनाने की बात है।
देश में कामगारों को मिलेंगे अधिकार
लेबर कोड बिल में लीव पॉलिसी और सेफ एनवायरमेंट तैयार करने की कोशिश की गई है। इस बिल के लागू होने के बाद 240 के बजाए 180 दिन काम के बाद ही लेबर छुट्टी पाने की हकदार बन जाएगी। इसके अलावा किसी कर्मचारी को कार्यस्थल पर चोट लगने पर कम से कम 50 फीसदी हर्जाना मिलेगा।
लेबर कोड के फायदे
लेबर कोड के तहत ईएसआईसी और ईपीएफओ की सुविधाओं को बढ़ाया गया है। इस कोड के लागू होने के बाद असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले वर्कर्स, गिग्स वर्कर्स, प्लेटफॉर्म वर्कर्स को भी ईएसआईसी की सुविधा मिलेगी। इसके अलावा किसी भी कर्मचारी को ग्रेच्युटी पाने के लिए पांच साल का इंतजार नहीं करना होगा।
मिलेगा नियुक्ति पत्र
लेबर कोड कानून के अमल में आने के बाद सभी कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र मिल सकेगा। संसद में इस बिल को पेश करते वक्त श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने कहा था कि श्रमिकों की यह समस्या रही है कि वे कई हालात में यह सिद्ध नहीं कर पाते हैं कि वे किस संस्थान के श्रमिक हैं? इस समस्या के निदान के लिए हर श्रमिक को लेबर कोड के माध्यम से नियुक्ति-पत्र का कानूनी अधिकार दिया गया है। श्रमिकों के वेतन का डिजिटल भुगतान करना होगा। साल में एक बार सभी श्रमिकों का हेल्थ चेकअप भी अनिवार्य किया गया है।
उद्यमियों को भी होगी आसानी
उद्यमियों के कारोबार को आसान बनाने के लिए कई प्रावधान लाए गए हैं। लेबर कोड में कंपनियों को काफी छूट दी गई है। नए बिल के लागू होने के बाद 300 से कम कर्मचारियों वाली कंपनियां सरकार की मंजूरी के बिना छंटनी कर सकेंगी। 2019 में पेश किए गए इस बिल में 100 कर्मचारियों की सीमा थी, जिसे 2020 में बढ़ाकर 300 किया गया है।
मजदूरी बढ़ाने में मिलेगी मदद
लेबर कोड में पूरे देश के मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी देने का प्रावधान किया गया है। इसके तहत सरकार पूरे देश के लिए कम से कम मजदूरी तय करेगी। सरकार का अनुमान है कि लेबर कोड बिल के लागू होने के बाद देश के 50 करोड़ कामगारों को समय पर और निश्चित मजदूरी मिलेगी।
ग्रेच्युटी के प्रावधान
अब ग्रेच्युटी लेने के लिए 5 साल की कामकाजी लिमिट खत्म हो गई है। अभी तक जो नियम था उसके मुताबिक कर्मचारी को किसी एक कंपनी में लगातार 5 साल कार्यरत रहना जरूरी था। अब एक साल नौकरी करने के बाद भी कोई कर्मचारी ग्रेच्युटी हासिल कर सकता है। पहले किसी कर्मचारी को एक साल में न्यूनतम 240 दिन का काम करने के बाद ही हर 20 दिन पर एक दिन की छुट्टी पाने का अधिकार मिलता था, अब छुट्टी की पात्रता के लिए, 240 दिन की न्यूनतम शर्त को घटाकर 180 दिन कर दिया गया है।