लखनऊ। उत्तर प्रदेश में आर्थिक गतिविधियों को तेजी देने और कंपनियों को लुभाने के मकसद से योगी आदित्यनाथ सरकार ने एक अध्यादेश को पारित कर अगले तीन सालों के लिए प्रदेश में सभी लेबर लॉ यानी श्रमिक कानूनों को निलंबित करने का फैसला लिया है। हालांकि योगी सरकार के इस फैसले को लेकर आलोचना भी झेलनी पड़ रही है।
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ बिगुल बजा दिया है। मायावती ने शनिवार को चार ट्वीट किया और कहा कि श्रमिकों का शोषण बर्दाश्त नहीं होगा। कोरोना वायरस संक्रमण के कारण लॉकडाउन के बाद खुले उद्योगों में फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के दौरान श्रमिकों से 12-12 घंटा काम कराने का प्रस्ताव दुर्भाग्यपूर्ण है।
मायावती ने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण देश में गरीब, मजदूर, कामगार तथा श्रमिकों की स्थिति बेहद खराब है। यूपी सरकार के श्रम कानून को निलंबित करने असर का श्रमिकों पर पड़ेगा। कोरोना प्रकोप में मजदूरों/श्रमिकों का सबसे ज्यादा बुरा हाल है, फिर भी उनसे आठ के स्थान पर 12 घण्टे काम लेने की शोषणकारी व्यवस्था पुन: देश में लागू करना अति-दु:खद व दुर्भाग्यपूर्ण। उन्होंने कहा कि श्रम कानून में बदलाव देश की रीढ़ श्रमिकों के व्यापक हित में होना चाहिये ना कि कभी भी उनके अहित में।
मायावती ने कहा कि परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने श्रमिकों के लिए प्रतिदिन 12 नहीं बल्कि 8 घण्टे श्रम व उससे ज्यादा काम लेने पर ओवरटाइम देने की युगपरिवर्तनकारी काम तब किया था जब देश में श्रमिकों/मजदूरों का शोषण चरम पर था। इसे बदलकर देश को उसी शोषणकारी युग में ढकेलना क्या उचित है। देश में वर्तमान हालात के मद्देनजर श्रम कानून में ऐसा संशोधन करना चाहिये ताकि खासकर जिन फेक्ट्री/प्राइवेट संस्थानों में श्रमिक कार्य करते हैं वहीं उनके रूकने आदि की व्यवस्था हो।
मायावती ने कहा कि किसी भी स्थिति में वे भूखे ना मरे और ना ही उन्हें पलायन की मजबूरी हो ऐसी कानूनी व्यवस्था होनी चाहिये। वैसे तो अभी काम का पता नहीं है, परन्तु सरकारें बेरोजगारी व भूख से तड़प रहे करोड़ों श्रमिकों/मजदूरोंके विरुद्ध शोषणकारी आदेश लगातार जारी करने पर तत्पर हैं। उन्होंने यह अति-दु:खद व सर्वथा अनुचित जबकि इस कोरोना के संकट में इन्हें ही सबसे ज्यादा सरकारी मदद व सहानुभूति की जरूरत है।