– श्रीराम मंदिर: पांच अगस्त को जन्म लेने वाले बच्चे होंगे सौभाग्यशाली
सुल्तानपुर। जन्मदिन ऐसा हो की पूरा विश्व याद करे। ऐसा सौभाग्य, सौभाग्यशाली लोगों को ही मिलता है। मैं धन्य हो गया कि मेरे जन्मदिन पर श्रीराम जन्मभूमि का शिलान्यास होने जा रहा है। कहा कि मैं पांच सौ एक रुपए दान करने का संकल्प लेकर कितना खुश हूँ, शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता।
ये बातें जिले के सनहा गांव के मूल निवासी एवं मकैनिकल इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहे शलभ विक्रम साहू ने कहा है। श्री साहू लखनऊ पॉलीटेक्निक कॉलेज लखनऊ से अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहे हैं। अंतिम सेमेस्टर की अभी परीक्षा नहीं हुई है। इसे लेकर असमंजस में पड़े हैं।
उन्होंने कहा कि पांच अगस्त को जन्मदिन आने वाला है। कोरोना महामारी के इस संकट की घड़ी में जन्मदिन पर कुछ किया भी नहीं जा सकता है। परंतु प्रभु श्रीराम के मंदिर शिलान्यास ने जन्मदिन को हमेशा-हमेशा के लिए यादगार बना दिया। जो कभी भुलाया नहीं जा सकता है। पांच अगस्त 2020 का दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज होगा। श्रीराम मंदिर का शिलान्यास ऐसे शुभ घड़ी पर हो रहा है कि पूरा विश्व जन्मजन्मान्तर तक इस तिथि को याद करेगा।
बच्चा-बच्चा राम का, जन्मभूमि के काम का
शलभ ने कहा की जन्मदिन पर मैं अपने जेब खर्च से पाँच सौ एक रुपये का दान “राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट” के नाम से बैंक में स्थांनातरित कर दूंगा। मेरी प्राथमिक शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर ग्राम भारती परतोष धम्मौर में हुई है एवं इंटरमीडिएट की पढ़ाई सरस्वती विद्या मंदिर इंटरमीडिएट कॉलेज सुल्तानपुर से हुई है। बताया कि एक समय था कि विद्यालय में गीत गाया जाता था ‘बच्चा-बच्चा राम का जन्मभूमि के काम का।’ कहा कि गीत की लाइन आज भी याद है। यह शुभ अवसर हमें मिला है इसको हम कैसे छोड़ सकते हैं।
शलभ की माता रजनी गुप्ता कहती हैं कि बेटे के जन्मदिन पर श्रीराम मंदिर का शिलान्यास हो रहा है इससे अधिक यादगार पल और क्या हो सकता है। ये पल उन सभी के लिए यादगार का पल होगा, जिनका जन्मदिन पांच अगस्त को है। जिनकी संतानें पांच अगस्त को पैदा होंगी उनके लिए भी ये दिन खुशियों भरा होगा। ऐसे लोग बहुत ही सौभाग्यशाली होंगे।
जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से महान
श्री राम जन्मभूमि मंदिर का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिर की पहली ईंट रखकर 5 अगस्त को करेंगे। इसके बाद मंदिर निर्माण शुरू हो जाएगा। 500 वर्ष हो गए। भगवान राम को उनकी जन्मभूमि पर उनका घर, उनका मंदिर नहीं मिला। जब श्रीराम ने रावण का वध करके लंका पर विजय पाई थी, तब लक्ष्मण ने उनसे पूछा था कि लंका सोने की है? हम विजयी हुए हैं, क्यों ना आप ही लंका के राजा बनें, तब श्रीराम ने कहा था ‘अपि स्वर्णमयी लङ्का न मे लक्ष्मण रोचते। जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी। अर्थात ‘लक्ष्मण! यद्यपि यह लंका सोने की बनी है, फिर भी इसमें मेरी कोई रुचि नहीं है, क्योंकि जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान हैं।