संयुक्त राष्ट्र। भारत संयुक्त राष्ट्र के ‘गरीबी उन्मूलन गठबंधन’ के संस्थापक सदस्य के रूप में शामिल हो गया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष द्वारा गठित इस गठबंधन का लक्ष्य कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करना है।
महासभा के 74वें सत्र के अध्यक्ष तिजानी मोहम्मद बंदे 30 जून को ‘गरीबी उन्मूलन गठबंधन’ की औपचारिक शुरूआत करेंगे। उन्होंने कहा कि यह गठबंधन विश्व शांति, मानवाधिकार एवं सतत विकास को गरीबी के कारण पैदा होने वाले खतरों के बारे में जागरुकता पैदा करने के लिए सदस्य देशों को मंच मुहैया कराएगा।भारत संस्थापक सदस्य के तौर पर इस गठबंधन में शामिल हुआ है।
भारत ने जोर दिया है कि केवल मौद्रिक मुआवजे से गरीबी उन्मूलन नहीं होगा, गरीबों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्यसेवा, स्वच्छ जल, स्वच्छता, उचित आवास एवं सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना भी उतना ही जरूरी है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी उप प्रतिनिधि नागराज नायडू ने कहा, ‘‘दुनिया में कई लोग इतने भूखे हैं कि उनके लिए रोटी मिलना, भगवान मिलने के सामान है।
वैश्विक असमानता की पैठ भीतर तक है। यह हैरान करने वाली बात है कि पृथ्वी की 60 प्रतिशत से अधिक धन-सम्पत्ति करीब 2,000 अरबपतियों के पास है।’’ नायडू ने महासभा के अध्यक्ष एवं गठबंधन के सदस्यों के साथ मंगलवार को अनौपचारिक बैठक में कहा, ‘‘गरीबी किसी अपराध के बिना सजा देने के समान है।’’
नायडू ने कहा कि गठबंधन को विभिन्न प्रकार के अभाव के नजरिए से गरीबी का विश्लेषण करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘उदाहरणार्थ, एक ही घर में लोग अलग-अलग तरीके से गरीबी से प्रभावित होते हैं। भले ही इस संबंध में आंकड़े सीमित हैं, लेकिन इस बात के साक्ष्य मौजूद हैं कि महिला एवं बच्चे गरीबी से असंगत तरीके से प्रभावित होते हैं।