नई दिल्ली। भारत ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में एक निर्वाचित सीट को सुरक्षित करने के लिए अपने अभियान की शुरुआत करते हुए कहा कि वह दुनिया में पुरानी और नई त्रुटियों को दूर करने के लिए समावेशी समाधान की पेशकश कर एक रचनात्मक वैश्विक भूमिका निभा सकता है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत जिम्मेदार और समावेशी समाधान की तलाश करेगा। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर प्रभावी प्रतिक्रिया के लिए यूएनएससी में ठोस और परिणामोन्मुखी कार्रवाई; समकालीन वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने के लिए बहुपक्षवाद में सुधार; शांति और सुरक्षा के लिए एक व्यापक भी रखा जाएगा।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का चुनाव 17 जून को होना तय किया गया है।। एशिया-प्रशांत समूह के एकल समर्थन वाले उम्मीदवार के रूप में, भारत की उम्मीदवारी सफल होने की संभावना है। एक बार निर्वाचित होने के बाद, यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत का आठवां कार्यकाल होगा। अगले दो साल का कार्यकाल जनवरी, 2021 में शुरू होगा। यूएनएससी में भारत की वैश्विक प्राथमिकताओं को रेखांकित करते हुए एक ब्रोशर लॉन्च करते हुए जयशंकर ने कहा कि पिछली बार जब से भारत ने यूएनएससी में एक सीट हासिल की थी, चार अलग-अलग चुनौतियां सामने आई हैं।
पहली चुनौती, तनाव बढ़ने के कारण अंतर्राष्ट्रीय शासन की सामान्य प्रक्रिया ज्यादा दबाव झेल रही है। दूसरी चुनौती, यह है कि पारंपरिक और गैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियां अनियंत्रित रूप से बढ़ रही हैं। आतंकवाद ऐसी समस्याओं का अच्छा उदाहरण है।
तीसरी चुनौती यह है कि वैश्विक संस्थानों को कमतर आंका जाता है, इसलिए वे बेहतर परिणाम देने में कम सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि चौथी चुनौती है कोरोनावायरस महामारी और इससे होने वाले आर्थिक नुकसान दुनिया की कठिन परीक्षा लेंगे, जैसा पहले कभी नहीं हुआ है। जयशंकर ने कहा कि भारत का दृष्टिकोण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा निर्धारित पांच बातों- सम्मान, संवाद, सहयोग और शांति से निर्देशित होगा, जो सार्वभौमिक समृद्धि के लिए स्थितियां उत्पन्न करेंगी।