नयी दिल्ली। राज्यसभा में एनआरसी मामले में हंगामा जारी है। आज एनआरसी रिपोर्ट पर केन्द्र सरकार से तीखे सवाल किए गये। तृणमूल कांग्रेस की अगुआई में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी और वाम दलों ने पहले संसद परिसर और फिर सदन में सरकार पर हमला बोला। वहीं केन्द्र सरकार की तरफ से जवाब देने आये केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने विपक्ष के आरोपों पर ध्यान न देते हुए बेपरवाह रवैया रखा। उन्होने विपक्ष के हर आरोप पर तर्कसंगत जवाब दिया। NRC के बीच संसद में रोहिंग्या शरणार्थियों का मुद्दा भी उठा। विपक्ष के विरोध से बेपरवाह गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सदन को बताया कि भारत सरकार की इस विषय पर म्यांमार से बातचीत चल रही है। उन्होंने फरवरी 2018 में जारी अडवाइजरी का जिक्र कर राज्य सरकारों से रोहिंग्याओं पर नजर रखने की अपील की। विपक्ष के सांसद NRC पर लोकसभा में चर्चा की मांग कर रहे थे लेकिन, स्पीकर ने यह कहते हुए विपक्ष की मांग ठुकरा दी कि इसपर सोमवार को चर्चा हो चुकी है और गृहमंत्री इसपर बयान दे चुके हैं। इसके बाद लोकसभा में शोर-शराबा होने लगा। जिसे शांत करने में स्पीकर को खासी मेहनत करनी पड़ी।
विपक्ष के आरोपों से बेपरवाह दिखाई दे रहे राजनाथ सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार रोहिंग्याओं के मुद्दे पर अडवाइजरी जारी कर चुकी है। विपक्षी पार्टियों के सरकार के भेदभाव के आरोप पर राजनाथ सिंह ने कहा, ‘राज्य सरकारों से आग्रह किया है कि वे राज्य में रोहिंग्याओं की संख्या आदि के बारे में गृह मंत्रालय को सूचना दें। इसी के आधार पर जानकारी विदेश मंत्रालय को दी जाएगी और विदेश मंत्रालय म्यांमार के साथ इनको डिपोर्ट करने पर बातचीत करेगा। राजनाथ सिंह ने कहा रोहिंग्याओं की पहचान आवश्यक है और बॉयोमीट्रिक जांच के जरिए रोहिंग्याओं की पहचान की जा सकती है।’ गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू ने कहा कि रोहिंग्या भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौती हैं।
टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने आरोप लगाया कि सरकार बांग्लादेश में रह रहे रोहिंग्याओं के लिए ऑपरेशन इंसानियत चला रही है, भारत में रहनेवालों के लिए नहीं। इस किरन रिजिजू ने कहा कि सांसद का ऐसा बयान दुर्भाग्यपूर्ण है। टीएमसी का रवैया शरणार्थियों के लिए नर्म रहा है और यह दुखद है। जम्मू से बीजेपी के सांसद जुगल किशोर शर्मा ने जम्मू-कश्मीर में रोहिंग्याओं के आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि रोहिंग्याओं को राज्य से कब बाहर निकाला जाएगा, सरकार इस पर जवाब दे। इसके जवाब में गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि राज्य सरकार के पास डिटेंशन और उन्हें कैंप में रखने का अधिकार है। राज्य सरकारें इसकी जानकारी केंद्र सरकार को दें। केंद्र इस पर आगे ऐक्शन लेगा। रिजिजू ने एक दूसरे सवाल के जवाब में कहा बड़ी संख्या में रोहिंग्या जम्मू-कश्मीर में शरणार्थी के तौर पर रह रहे हैं। देश की आंतरिक सुरक्षा को उनसे खतरा है और सुरक्षा से सरकार समझौता नहीं कर सकती। म्यांमार सरकार से बातचीत के जरिए शांतिपूर्ण तरीके से उन्हें वापस भेजा जाएगा।
इस मुद्दे पर कांग्रेस के सीनियर नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ने सरकार को अपनी तरफ से कुछ सुझाव भी दिए। उनके मुताबिक एनआरसी मामले में सरकार पर भी यह जिम्मेदारी हो कि वह साबित करे कि कोई शख्स इस देश का नागरिक है या नहीं और सरकार हर व्यक्ति को कानूनी सहायता दे। आजाद ने कहा कि इस रिपोर्ट की आड़ में गलत तरीके से किसी भी व्यक्ति का शोषण न हों। अगर नागरिकता साबित करने के लिए 16 सूबूत चाहिए और इनमें से 1 भी मिले तो उसे नागरिक माना चाहिए। आजाद ने कहा कि इस मामले को राज्य और केंद्र सरकार व अन्य इसे राजनीति का विषय न बनाएं।