न्यूज 7 एक्सप्रेस ब्यूरो
लखनऊ। जहां एक तरफ योगी सरकार की पुलिस लगातार एनकाउंटर करके अपराधियों के दिलो दिमाग में भय पैदा कर रही है वहीं बदमाशों में इसका जरा भी खौफ नहीं दिख रहा है। एपल कंपनी के एक पदाधिकारी की संदिग्ध हत्या पर घिरी पुलिस को आज बदमाशों ने भी बड़ी चुनौती पेश कर दी। राजधानी लखनऊ में बुधवार देर रात हुए दोहरे हत्याकांड में मुख्य आरोपी साहिल उर्फ छोटू को गिरफ्तार कर लिया गया है। वहीं, आज सुबह ही मामले की एफआईआर दर्ज की गई। रिपोर्ट मृतक इमरान व अरमान के सगे भाई रेहान ने दर्ज करवाई है। शहर के ठाकुरगंज इलाके में बेखौफ बदमाशों ने सगे भाइयों इमरान (20) व अरमान (18) को दौड़ा-दौड़ाकर पीटने के बाद गोली मार दी थी। घनी बस्ती में बदमाशों ने दोनों की जान ले ली लेकिन वहां मौजूद लोगों की हिम्मत नहीं हुई कि उनका विरोध करते। वारदात स्थल से थाने की दूरी महज 500 मीटर है। फिर भी पुलिस भी वारदात के 15 मिनट बाद पहुंची।
न्यूज 7 एक्सप्रेस को इस घटना की जानकारी देते हुए स्थानीय चश्मदीदों ने बताया कि ठाकुरगंज के मुसाहिबगंज चुंगी के पास रात करीब 11.30 बजे आधा दर्जन बदमाशों ने पुरानी रंजिश में दो सगे भाइयों इमरान और अरमान को घेर लिया। घनी आबादी में बदमाशों से घिरे दोनों भाई पहले तो उनसे बातचीत कर मामले को हल करने की कोशिश करते रहें। लेकिन इसी बीच हमलावरों ने गाली गलौज करते हुए हमला कर दिया। पहले हाथापाई की। इसके बाद पास के आरा मशीन से लकड़ी उठा ली। उससे सिर और अन्य स्थानों पर लगातार वार कर रहे थे। दोनों भाई चीखकर बदमाशों से अपनी जिंदगी की भीख मांग रहे थे। लेकिन उनको जरा भी रहम नहीं आया।
इस घटना में वहां तमाशबीन बने लोगों ने भी इंसानियत को शर्मसार कर दिया।जब बदमाश दोनों भाइयों को पीट रहे थे तो लोगों की विरोध करने की हिम्मत न हुई। अरमान और इमरान के पिता दिलदार ने रुंधे गले से कहा कि अगर मोहल्ले के लोगों ने थोड़ी सी हिम्मत दिखाई होती तो उनके दोनों बेटे जिंदा होते। चीखपुकार सुन ज्यादातर लोगों ने अपने दरवाजे बंद कर लिए। जो बाहर थे वे तमाशा देख रहे थे। वहीं, जैसे ही पुलिस पहुंची तो सभी घर से बाहर आ गए। इसके बाद वारदात की जानकारी अपने अंदाज में देने लगे। पुलिस को देखते ही लोगाें के सिले होंठ भी खुल गये। लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। इस घटना ने स्थानीय लोगों पर सवाल खड़े कर दिए है कि हर काम पुलिस का ही कैसे हो सकता है अगर मान भी लिया जाए तो जब वहां पुलिस नहीं थी तो लोगों ने विरोध करने की हिम्मत क्यों नहीं दिखाई।