नई दिल्ली। राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस नेता सचिन पायलट के बीच सब ठीक करने की कोशिश में लगी कांग्रेस को सफलता मिलती नहीं दिख रही है। दरअसल प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने दिल्ली जाने से इनकार कर दिया है। पायलट ने यह बात पार्टी आलाकमान को भी बता दिया है।
बताते चलें कि हाल ही में राजस्थान कांग्रेस प्रभारी अजय माकन और राहुल गांधी के करीबी केसी वेणुगोपाल ने जयपुर का दौरा किया था और पार्टी के विधायकों से बात की थी। इसके बाद से ही ऐसे कयास लगाए जा रहे थे सचिन पायलट को दिल्ली चलने के लिए मना लिया गया है।
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, सचिन पायलट के दिल्ली में एआईसीसी के साथ केंद्रीय भूमिका स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। पार्टी के सूत्रों ने यह जानकारी दी है।
वहीं राजस्थान की सियासी फिजाओं में इन दिनों अफवाहें तेज हो गई हैं कि पायलट को पार्टी आलाकमान द्वारा दिल्ली में केंद्रीय स्तर पर कांग्रेस में शीर्ष पदाधिकारी के रूप में काम करने के लिए आमंत्रित किया जा सकता है तो वहीं, अशोक गहलोत आगामी राजस्थान विधानसभा चुनाव में पार्टी का नेतृत्व करना जारी रखेंगे।
लेकिन ऐसी भी चर्चा है कि सचिन पायलट 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए राजस्थान में रहने और पार्टी के लिए काम करने के इच्छा जाहिर की है।
खबर तो यह भी है कि राजस्थान सरकार में कई मौजूदा मंत्रियों को पार्टी संगठन में स्थानांतरित किया जा सकता है, क्योंकि गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार में नए चेहरों को शामिल किए जाने की संभावना है।
शुक्रवार को राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन ने कहा, “मैंने कई मंत्रियों से मुलाकात की, उन्होंने कहा कि वे अगले चुनाव में पार्टी के लिए काम करने के लिए मंत्री पद छोडऩे को तैयार हैं।
मालूम हो कि पिछले साल मुख्यमंत्री गहलोत के साथ अपने सार्वजनिक झगड़े के बाद दरकिनार किए गए सचिन पायलट खेमे के कई लोग एक साल से अधिक समय से पार्टी में हाशिए पर है। पायलट और 18 अन्य कांग्रेस विधायकों ने सीएम अशोक गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर राज्य छोड़ दिया था। बाद में गांधी परिवार के द्वारा मध्यस्थता करने के बाद वे वापस आ गए थे।