सतीश कौशिक के शादी का प्रस्ताव सुनते ही रो पड़ी थीं प्रेग्नेंट नीना गुप्ता…

नीना गुप्ता की ऑटोबायोग्राफी ‘सच कहूं तो’ हाल ही में रिलीज हुई है। किताब में उन्होंने अपनी जिंदगी से जुड़े कई खुलासे किए हैं। पूर्व क्रिकेटर विवियन रिचर्ड्स ने नीना से शादी के लिए मना कर दिया था जिसके बाद उन्होंने सिंगल मदर के तौर पर बेटी मसाबा का पालन-पोषण किया है। उस वक्त उनके लिए यह बिल्कुल भी आसान नहीं था। इस मुश्किल घड़ी में अभिनेता सतीश कौशिक ने उनका साथ दिया और यहां तक कहा था कि वो उनसे शादी करने को तैयार हैं। अब इस पर सतीश कौशिक ने प्रतिक्रिया दी है।

कॉलेज के दिनों से दोस्ती
एक इंटरव्यू में सतीश कौशिक ने बताया कि वह और नीना बहुत अच्छे दोस्त हैं। नीना को वह अकेला महसूस नहीं होने देना चाहते थे इस वजह से उन्होंने उनके सामने शादी का प्रस्ताव रखा। टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए सतीश कौशिक कहते हैं कि ‘1975 से हम बहुत अच्छे दोस्त हैं। एक दूसरे को हम नैंसी और कौशिकन बुलाते हैं। हम एक दूसरे के परिवार को जानते हैं। हम दिल्ली में करोल बाग में रहते थे। हम साथ में दिल्ली यूनिवर्सिटी में थे और थियेटर में एक्टिव थे।‘

साथ में कीं कई फिल्में
‘नीना जब मेरे कॉलेज आती थी तो हमारे यहां तो हंगामा मच जाता था। उसने तब भी सबको प्रभावित किया- अपने विचारों से और जिस तरह उसने खुद को रखा। मेरे कुछ साल बाद वह भी एनएसडी में शामिल हो गई। फिल्म इंडस्ट्री में पहचान बनाने के लिए हमने अपने-अपने तरीके से संघर्ष किया।

हमने साथ में कई फिल्में कीं जैसे ‘जाने भी दो यारो’, ‘मंडी’ और ‘तेरे संग’। हम अपने फिल्मी सफर में व्यस्त हो गए थे लेकिन जब भी हम मिले हमने पुरानी यादें ताजा कीं। मैं हमेशा उसकी सराहना करता हूं कि जिस बहादुरी से उसने जीवन की चुनौतियों का सामना किया खासकर जब वह मसाबा के वक्त प्रेग्नेंट थी।‘

‘यही तो सच्ची दोस्ती है’
सतीश कौशिक आगे कहते हैं कि ‘मैं उसकी इस बात के लिए सराहना करता हूं कि एक लड़की ने शादी के बगैर बच्चे को जन्म देने का फैसला लिया था। एक सच्चे दोस्त की तरह मैं बस उसके साथ खड़ा रहा और उसे भरोसा दिया। किताब में आप जो भी पढ़ रहे हैं वह बस एक दोस्त के रूप में मेरी अभिव्यक्ति थी।

मैं उसे अकेला महसूस नहीं होने देना चाहता था। आखिर यही तो दोस्ती है, है ना? जैसा कि किताब में लिखा है जब मैंने उससे शादी की पेशकश की थी तो यह मेरे दोस्त के लिए उस वक्त मजाकिया, चिंता, सम्मान और समर्थन के रूप में था।‘

सतीश कौशिक ने बताया कि ‘मैंने उससे कहा कि “मैं हूं ना, तू चिंता क्यों करती है?” वह मुड़ी और रोने लगी। उस दिन से हमारी दोस्त और मजबूत हो गई।‘

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