काबुल। तालिबान को अफगानिस्तान की सत्ता तो मिल गई है, मगर दुनियाभर के प्रतिबंधों से अब उसकी हालत खराब होने लगी है। उसे डर है कि अगर और प्रतिबंध लगे तो फिर उसकी कमर टूट जाएगी। आतंकियों को अफगान कैबिनेट में शामिल कर सरकार का गठन करने वाले और कई प्रतिबंधों झेल रहे तालिबान ने इस्लामिक अमीरात के खिलाफ प्रतिबंधों को हटाने की गुहार लगाई है।
अफगानिस्तान के नए कार्यवाहक विदेश मंत्री मावलवी अमीर खान मुत्ताकी ने ‘इस्लामिक अमीरात’ के खिलाफ प्रतिबंध हटाने का आह्वान किया है।
एरियाना न्यूज ने बताया कि काबुल में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान विदेश मंत्री मावलवी अमीर खान मुत्ताकी ने मंगलवार को अफगान प्रवासियों से देश के विकास में मदद करने के लिए स्वदेश लौटने का आह्वान किया। साथ ही उन्होंने कहा कि इस्लामिक अमीरात अमेरिका सहित सभी देशों के साथ काम करने को तैयार है, मगर यह स्पष्ट करने को कहा कि वे उनपर हुक्म नहीं चलाएंगे। हालांकि, मुत्ताकी ने कहा कि हम अफगानिस्तान पर कोई प्रतिबंध या किसी देश से व्यापार पर रोक लगाने की अनुमति नहीं दे सकते हैं।
बता दें कि बीते सप्ताह ही तालिबान ने अंतरिम ‘इस्लामिक अमीरात’ का गठन किया है। तालिबान ने अफगान की नई सरकार में कई ऐसे आतंकियों को जगह दी है, जो यूएन से लेकर अमेरिका की लिस्ट में आतंकी घोषित हो चुके हैं और उन पर बैन लगा हुआ है। तालिबानी कैबिनेट सदस्यों में तालिबान के कई लोग हैं जो संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध सूची में शामिल हैं।
तालिबान ने अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात की कार्यवाहक सरकार की घोषणा की थी, जिसमें मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद को प्रधानमंत्री और समूह के सह-संस्थापक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को अफघान का डिप्टी प्रधानमंत्री घोषित किया था।
तालिबान द्वारा अपनी अंतरिम सरकार की घोषणा के बाद, जिसमें संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादी शामिल थे, अमेरिका ने यह कहकर प्रतिक्रिया व्यक्त की कि यूएनएससी तालिबान की मानवाधिकार नीतियों के आधार पर आतंकवादियों को सूचीबद्ध करने के किसी भी निर्णय को आधार बनाएगी।
इस बीच तालिबान पर और प्रतिबंध लगाने के मुद्दे पर समूह के प्रवक्ता सुहैल शाहीन हाल ही में एक साक्षात्कार में बैकफुट पर दिखे थे। उन्होंने कहा कि इस्लामिक अमीरात’ पर प्रतिबंध लगाना अफगानिस्तान के लोगों के खिलाफ एक तरह का अन्याय होगा।
प्रवक्ता ने कहा था कि जब हम एक नया पृष्ठ बदल रहे हैं, जो अफगानिस्तान के लोगों के लिए अफगान शांति के निर्माण का एक चरण है, तो ऐसे महत्वपूर्ण चरण में वे हम पर प्रतिबंध लगा रहे हैं। इसलिए, मुझे लगता है कि ऐसे नाजुक समय में प्रतिबंधों को लागू करना एक बड़ा और घोर अन्याय होगा।