नई दिल्ली। कोरोना ने दुनियाभर की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाई। लेकिन शेयर बाजारों ने निवेशकों को बेहतरीन रिटर्न का मरहम लगाया। रिटर्न के मामले में भारतीय बाजार टॉप पर रहे। पूरी दुनिया के बाजारों में मार्केट कैप के लिहाज से भारतीय बाजार आठवें नंबर पर है। यह अब कनाडा और फ्रांस को पीछे छोड़ने के करीब पहुंच गया है।
दुनिया के बाजारों का औसत प्रदर्शन 9.25 पर्सेंट रहा है
आंकड़े बताते हैं कि पूरी दुनिया के बाजारों का औसत प्रदर्शन इस साल में 9.25% की बढ़त का रहा है। जबकि 1 साल में इन्होंने 49.24% का फायदा दिया है। भारतीय शेयर बाजार ने इसी समय में 16.05% और 83.35% का फायदा निवेशकों को दिया है। दक्षिण कोरिया दूसरे नंबर पर है। इसके बाजार ने इस साल में 6.18% और एक साल में करीबन 81% का फायदा दिया है।
विकसित देश अमेरिका का बाजार 8वें नंबर पर है। इसने 1 साल में 51.26% जबकि इस साल में 11.38% का फायदा दिया है। चीन के बाजार ने 1 साल में 55.31% और इस साल में महज 4% का फायदा दिया है।
कनाडा के बाजार का इस साल सबसे अच्छा प्रदर्शन
अन्य प्रमुख बाजारों की बात करें तो कनाडा के बाजार ने इस साल सबसे बेहतर प्रदर्शन किया है जिसका रिटर्न 20.65% रहा है। एक साल में इसने 63.53% का रिटर्न दिया है। ताइवान के बाजार ने इस साल में 11.42 और 1 साल में 63% जबकि ऑस्ट्रेलिया के बाजार ने इस साल में 8.6 और 1 साल में 63% का रिटर्न दिया है। फ्रांस के बाजार ने इस साल में 12.13% और 1 साल में 62% का रिटर्न दिया है।
भारतीय अर्थव्यवस्था का लक्ष्य 5 लाख करोड़ डॉलर का
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सरकार का जो लक्ष्य 5 ट्रिलियन डॉलर का है, ऐसा लगता है कि उससे पहले भारतीय बाजार का मार्केट कैप इस लेवल को छू सकता है। आंकड़े तो इसी तरह की गवाही देते हैं। भारतीय बाजार का मार्केट कैप 28 मई 2007 को 1 लाख करोड़ डॉलर था, जबकि 2017 में यह 2 लाख करोड़ डॉलर हो गया। यानी 1 लाख करोड़ डॉलर पहुंचने में इसे 10 साल लगे, पर दूसरे 1 लाख करोड़ यानी 2 से 3 लाख करोड़ डॉलर तक जाने में इसे केवल 4 साल लगे हैं। इसका मार्केट कैप इस समय 3 लाख करोड़ डॉलर हो गया है जो रुपए में 219 लाख करोड़ रुपए है।
आगे की बात करें तो भारतीय बाजार के बारे में अनुमान है कि बीएसई का सेंसेक्स इस साल 61 हजार तक जा सकता है। मोर्गन स्टेनली ने बाजार की तेजी में ऐसा अनुमान लगाया है। लेकिन अगले 2-3 सालों में यह 70 हजार को पार कर सकता है। ऐसी स्थिति में इसका मार्केट कैप बहुत आसानी से 4 लाख करोड़ डॉलर हो सकता है।
दिसंबर तक 3.5 लाख करोड़ डॉलर हो सकता है मार्केट कैप
बाजार 61 हजार पर जाता है तो इसका मार्केट कैप 3.5 लाख करोड़ डॉलर हो जाएगा। इस साल में एलआईसी जैसी बड़ी कंपनियां लिस्ट होनेवाली हैं। इन नई कंपनियों की लिस्टिंग से मार्केट कैप में 200 अरब डॉलर की बढ़त होगी। ऐसी स्थिति में भारत इस साल कनाडा और फ्रांस को मार्केट कैप में पीछे छोड़ देगा। कनाडा का मार्केट कैप 3.12 लाख करोड़ डॉलर है जबकि फ्रांस का मार्केट कैपिटलाइजेशन 3.32 लाख करोड़ डॉलर है।
मार्केट कैप मूलरूप से किसी भी शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों के वैल्यू को कहते हैं। भारत में 5 हजार से ज्यादा कंपनियां लिस्टेड हैं। हालांकि अभी भी आईपीओ के लिहाज से यहां सबसे बड़ा आईपीओ कोल इंडिया का आया था जो 15 हजार करोड़ रुपए का था। यह 2010 में आया था। पर एलआईसी अब रिकॉर्ड बनाने जा रही है।
जीडीपी के अनुपात में एमपैकप में भारत काफी पीछे
जीडीपी के अनुपात में अगर मार्केट कैपिटलाइजेशन की बात करें तो भारत अभी काफी पीछे है। पूरी दुनिया का औसत इसमें 129% है। ताइवान का मार्केट कैप जीडीपी की तुलना में सबसे ज्यादा 559% है। सउदी अरबिया का 324%, स्विटजरलैंड का 304%, अमेरिका का 222%, कनाडा का 180%, दक्षिण कोरिया का 136%, जापान का 133%, यूके का 131 और भारत का 102% है।
अमेरिका सबसे ऊपर
मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से टॉप 10 बाजारों में सबसे ऊपर अमेरिका है। इसका मार्केट कैप 47,493 अरब डॉलर है। चीन का 11,352 अरब डॉलर, हांगकांग का 7 हजार अरब डॉलर, जापान का 6,746 अरब डॉलर, यूके का 3,704 अरब डॉलर, फ्रांस का 3,322 अरब डॉलर, कनाडा का 3,122 अरब डॉलर और भारत का 3,009 अरब डॉलर है।
रिलायंस, टीसीएस और एचडीएफसी बैंक टॉप पर
पिछले 1 लाख करोड़ डॉलर में भारतीय बाजार में सबसे ज्यादा योगदान देने वाले शेयरों की बात करें तो इसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज का मार्केट कैप 7.59 लाख करोड़ रुपए से बढ़ कर 12.58 लाख करोड़ रुपए हो गया है। टीसीएस यानी टाटा कंसलटेंसी सर्विसेस का मार्केट कैप 5.98 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर11.38 लाख करोड़ रुपए, एचडीएफसी बैंक का मार्केट कैप 3.79 लाख करोड़ रुपए से 8.32 लाख करोड़ रुपए और इंफोसिस का 3.28 लाख करोड़ से बढ़ कर 5.76 लाख करोड़ रुपए हो गया है।
हिंदुस्तान यूनिलीवर का मार्केट कैप 5.47 लाख करोड़ रुपए है जो 2017 में 3.06 लाख करोड़ रुपए था। बजाज फाइनेंस का 2.55 से 3.35 लाख करोड़ रुपए जबकि आईसीआईसीआई बैंक का 2.48 से 4.45 लाख करोड़ रुपए हो गया है।