सब-वैरिएंट्स से हलचल, ओमिक्रॉन से ज्यादा म्यूटेशन, भारत को कितना खतरा

नई दिल्ली। दुनिया के कई देशों में कोरोना केसेज बढ़ने की खबर के बीच दो नए सब-वैरिएंट BA.4 और BA.5 मिलने से दुनिया की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। ये दो नए सब-वैरिएंट ओमिक्रॉन से जुड़े हैं और WHO इन पर नजर रख रहा है।

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ओमिक्रॉन की वजह से भारत में तीसरी लहर आई थी और इस वैरिएंट की वजह से दुनिया भर में साल की शुरुआत में कोरोना केसेज ने रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। ऐसे में इसके दो नए सब-वैरिएंट मिलने से कोरोना केसेज तेजी से बढ़ने की आशंका है।

चलिए जानते हैं कि क्या हैं दो नए कोरोना सब-वैरिएंट? दोनों नए सब-वैरिएंट कितने खतरनाक हैं? दुनिया में अभी कौन सा वैरिएंट है डॉमिनेंट? भारत के लिए है कितना खतरा?

क्या हैं कोरोना के दो नए सब-वैरिएंट

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन यानी WHO ने कहा है कि वह बेहद संक्रामक माने जाने वाले ओमिक्रॉन वैरिएंट के दो नए सब-वैरिएंट BA.4 और BA.5 के कई दर्जन केस मिलने के बाद इन पर नजर रख रहा है।

WHO ये देख रहा है कि क्या ये नए सब-वैरिएंट पहले से मौजूद वैरिएंट्स से भी ज्यादा संक्रामक और घातक हैं।

WHO पहले से ही ओमिक्रॉन के दो सब-वैरिएंट्स BA.1 और BA.2 को ट्रैक कर रहा है, जो अभी दुनिया में दो सबसे डोमिनेंट वैरिएंट हैं।

अब उसने इस लिस्ट में ओमिक्रॉन के सिस्टर वैरिएंट्स माने जा रहे BA.4 और BA.5 को भी जोड़ लिया है।

इनके अलावा वह पहले से ही ओमिक्रॉन के ही दो और सब-वैरिएंट्स BA.1.1 और BA.3 पर नजर रख रहा है।

साउथ अफ्रीका के सेंटर फॉर एपिडेमिक रेस्पॉन्स एंड इनोवेशन (CERI) के डायरेक्टर टुलियो डि ओलिवेरा के अनुसार, नए सब-वैरिएंट्स BA.4 और BA.5 के स्पाइक प्रोटीन BA.2 जैसे ही हैं, हालांकि इन दोनों नए सब-वैरिएंट्स में ज्यादा म्यूटेशन हुए हैं।

ओलिवेरा का कहना है कि इन दोनों नए सब-वैरिएंट्स में पाए गए कुछ स्पाइक प्रोटीन कोरोना के डेल्टा, कप्पा और एपसिलन वैरिएंट्स में पाए गए स्पाइक प्रोटीन जैसे हैं।

कितनी तेजी से फैलते हैं दोनों नए सब-वैरिएंट्स?

  • WHO का कहना है कि उसने कोरोना के दो नए सब-वैरिएंट्स पर नजर रखना इसलिए शुरू किया, क्योंकि इनमें अतिरिक्त म्यूटेशन थे।
  • ऐसे में इनकी इम्यूनिटी से बच निकलने की क्षमता को जानने के लिए और स्टडी किए जाने की जरूरत है।
  • दरअसल, वायरस हर समय म्यूटेट करते हैं यानी खुद में बदलाव करते रहते हैं। लेकिन कुछ ही म्यूटेशन ऐसे होते हैं, जो उनकी फैलने की क्षमता या वैक्सीन से या पहले हो चुके इंफेक्शन से पैदा हुई इम्यूनिटी को चकमा देने में सक्षम होते हैं।
  • इन वैरिएंट्स पर नजर रखने से ये भी पता चल जाता है कि वे कितने घातक हैं यानी उनसे कितनी गंभीर बीमारी होने का खतरा है।

दुनिया में कहां पाए गए नए सब-वैरिएंट्स के केस

  • WHO के अनुसार, वायरस पर नजर रखने वाले ग्लोबल GISAID डेटाबेस में BA.4 और BA.5 के कुछ दर्जन केस रिपोर्ट हुए हैं।
  • यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी ने पिछले हफ्ते कहा कि BA.4 के केस 10 जनवरी से 30 मार्च के बीच साउथ अफ्रीका, डेनमार्क, बोत्सवाना, स्कॉटलैंड और इंग्लैंड में पाए गए हैं।
  • वहीं पिछले हफ्ते तक BA.5 के सभी केस साउथ अफ्रीका में पाए गए थे, हालांकि सोमवार को बोत्सवाना के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि उनके यहां BA.4 और BA.5 के चार केस पाए गए हैं।
  • बोत्सवाना में पाए गए BA.4 और BA.5 के सभी केस 30 से 50 साल की उम्र के लोगों में पाए गए हैं। खास बात ये है कि ये सभी पूरी तरह वैक्सीनेटेड थे और उनमें हल्के लक्षण थे।

कितने घातक हैं कोरोना के दो नए सब-वैरिएंट्स

  • इन दोनों सब-वैरिएंट्स के संक्रमितों में हल्के लक्षण मिले हैं। लेकिन इनसे संक्रमित होने वाले ज्यादातर लोग वैक्सीन की दोनों डोज लगवा चुके थे।
  • अभी तक इन दोनों सब-वैरिएंट्स के केसेज बहुत तेजी से बढ़ने की जानकारी नहीं है। इन दोनों सब-वैरिएंट्स से अभी तक किसी की मौत की सूचना नहीं है।
  • एक्सपर्ट्स का मानना है कि इन दोनों नए सब-वैरिएंट्स के कम घातक होने की संभावना है, लेकिन इनसे बचाव के लिए लोगों को कोविड प्रोटोकॉल का पालन जरूर करना चाहिए।
  • एक्सपर्ट्स का ये भी कहना है कि अभी ये कहना जल्दबाजी होगी कि इन दोनों नए सब-वैरिएंट्स के म्यूटेशन का कोरोना महामारी पर कैसा प्रभाव पड़ेगा।

अभी दुनिया में ओमिक्रॉन का सब-वैरिएंट BA.2 या स्टेल्थ ओमिक्रॉन है डॉमिनेंट

  • दुनिया के कई देशों में नई कोरोना लहर की वजह बने वैरिएंट ऑफ कंसर्न ओमिक्रॉन के दो सब-वैरिएंट BA.1 और BA.2 सबसे ज्यादा प्रभावी हैं।
  • शुरू में BA.1 सब-वैरिएंट डॉमिनेंट था, लेकिन पिछले कुछ महीनों के दौरान BA.2 या स्टेल्थ ओमिक्रॉन दुनिया भर में तेजी से फैला है। पिछले कुछ महीनों में दुनिया में आए 94% कोरोना केसेज के लिए BA.2 या स्टेल्थ ओमिक्रॉन ही जिम्मेदार है।
  • BA.2 को BA.1 से कहीं ज्यादा संक्रामक माना जाता है। BA.2 की वजह से ही चीन समेत कई यूरोपीय देशों में हाल के दिनों में कोरोना केसेज तेजी से बढ़े हैं।
  • दरअसल, BA.2 को स्टेल्थ ओमिक्रॉन भी कहा जाता है, क्योंकि अपने S-प्रोटीन में यूनीक म्यूटेशन की वजह से इसे कोरोना टेस्ट में पकड़ पाना मुश्किल होता है।

हाल ही में पाया गया था BA.2 से ज्यादा संक्रामक XE वैरिएंट

हाल ही में कोरोना का नया वैरिएंट XE पाया गया था। भारत में XE का एक केस गुजरात में मिला है। वहीं मुंबई में इसका केस पाए जाने का दावा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने खारिज कर दिया था।

  • WHO के मुताबिक, XE वैरिएंट ओमिक्रॉन के सबसे संक्रामक माने जा रहे ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट BA.2 से भी 10% ज्यादा संक्रामक है।
  • XE वैरिएंट ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट BA.1 और BA.2 के कॉम्बिनेशन से बना है, यानी ये ‘रिकॉम्बिनेंट’ या हाइब्रिड वैरिएंट है।
  • रिकॉम्बिनेंट वायरस दो पहले से मौजूद वैरिएंट के कॉम्बिनेशन से बनते हैं। ऐसा वायरस में लगातार हो रहे म्यूटेशन यानी परिवर्तन की वजह से होता है।

दुनिया के कई देश कोरोना की मार से परेशान

चीन में तेजी से बढ़ रहे कोरोना केसेज ने पिछले 2 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। वहीं दुनिया के कई अन्य देशों में भी कोरोना ने हाल बेहाल कर रखा है। ऐसे में नए सब-वैरिएंट्स दुनिया की मुश्किलें और बढ़ा सकते हैं।

  • चीन के फाइनेंशियल हब माने जाने वाले 2.6 करोड़ आबादी वाले शंघाई शहर में 11 अप्रैल को 26 हजार से ज्यादा नए कोरोना केस दर्ज किए गए।
  • जर्मनी में नए कोरोना केस का बढ़ना जारी है और 12 अप्रैल को वहां 1.64 लाख से ज्यादा नए केस सामने आए।
  • साउथ कोरिया में पिछले कुछ दिनों में हर दिन लाखों कोरोना केस सामने आ रहे हैं, 12 अप्रैल को वहां 2.10 लाख नए केस सामने आए।
  • फ्रांस में पिछले कुछ दिनों से कोरोना से मौत के आंकड़ों का बढ़ना जारी है, वहां 11 अप्रैल को 178 लोगों की मौत हुई, जो पिछले कुछ दिनों में सर्वाधिक मौतें हैं।
  • अमेरिका में ओमिक्रॉन से आई लहर अभी खत्म नहीं हुई है, वहां 12 अप्रैल को 28 हजार से ज्यादा नए केस आए और 500 से ज्यादा की मौत हुई।
  • कनाडा का सबसे ज्यादा आबादी वाला प्रांत ओंटारियो ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट BA.2 की वजह से छठी लहर का सामना कर रहा है।
  • इटली में भी फरवरी में गिरावट के बाद पिछले कुछ दिनों से केसेज बढ़ रहे हैं और 12 अप्रैल को वहां 83 हजार से ज्यादा नए केस सामने आए।

भारत को नए सब-वैरिएंट्स से कितना खतरा?

भारत में तीसरी लहर खत्म हो चुकी है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से देश के कई राज्यों में कोरोना केस बढ़ने की खबरें हैं। भारत में 13 अप्रैल को पिछले 24 घंटे के दौरान 1,088 नए केस दर्ज हुए। वहीं 12 अप्रैल को पिछले 24 घंटे के दौरान 796 केस दर्ज हुए थे।

  • देश के 5 राज्यों-दिल्ली, हरियाणा, केरल, महाराष्ट्र और मिजोरम में कोरोना की पॉजिटिविटी रेट बढ़ने को लेकर केंद्र ने इन राज्यों की सरकारों को पत्र लिखा है।
  • दिल्ली में 4 से 10 अप्रैल के बीच कोरोना केसेज पिछले हफ्ते के मुकाबले 26%, हरियाणा में इस दौरान 50%, गुजरात में 89% से ज्यादा बढ़े।
  • वहीं दो दिन पहले उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में दो स्कूलों में 5 बच्चे और नोएडा के एक स्कूल में 13 बच्चे और तीन टीचर कोरोना पॉजिटिव पाए गए।
  • यानी भारत में XE वैरिएंट हो या अब ओमिक्रॉन के नए पाए गए दो सब-वैरिएंट्स BA.4 और BA.5, इन सभी के फैलने का खतरा बरकरार है।
  • तीसरी लहर के दौरान भारत में ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट BA.2 डोमिनेंट वैरिएंट था और ज्यादातर केसेज उसी के थे।
  • भारत ने दो साल बाद 27 मार्च से इंटरनेशनल फ्लाइट्स का फुल ऑपरेशन शुरू कर दिया था। अब पहले की तरह ही दुनिया भर से फ्लाइट्स का आना-जाना हो रहा है, ऐसे में भारत में विदेशों से भी कोरोना के नए वैरिएंट्स आने का खतरा रहेगा।
  • भारत में ऐसे लोगों की संख्या करोड़ों में है, जिन्हें वैक्सीन लगवाए 6 महीने से ज्यादा हो चुके हैं। एक्सपर्ट्स के अनुसार वैक्सीन से बनी इम्यूनिटी अधिकतम 6 महीने तक ही रहती हैं। यानी देश के इन करोड़ों लोगों के किसी भी नए वैरिएंट से संक्रमित होने का खतरा सबसे ज्यादा है।

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