सभी पत्रकारों के लिए है ये योजना, नहीं जानते तो पूरी तरह समझ लीजिए

लखनऊ। केंद्र सरकार ने सभी पत्रकारों के लिए सहायता योजना की शुरुआत की है लेकिन इसके बारे में अभी भी बहुत लोगों को जानकारी नहीं है। इस योजना का लाभ उठाने के लिए पात्रता को भी काफी लचीला रखा गया है। यह योजना अखबारों, टीवी, वेबपोर्टल के लिए काम करने वाले सभी पत्रकारों के लिए जो काम के पांच साल पूरे कर चुके हैं। इसके लिए किसी तरह की सरकारी मान्यता जरूरी नहीं है।

उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव, सूचना नवनीत सहगल ने जनहित में यह जानकारी प्रेस रिलीज के माध्यम से जारी किया है। उन्होंने कहा है कि पत्र सूचना कार्यालय, भारत सरकार की ओर से उपलब्ध जानकारी के अनुसार, योजना की पात्रता के लिए पत्रकार का भारत का नागरिक होना आवश्यक है।

साथ ही, उन्हें भारत सरकार अथवा किसी राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश की सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त होना चाहिए। लेकिन यदि मान्यता प्राप्त नहीं है तथा वे प्रिन्ट-इलेक्ट्राॅनिक अथवा वेब आधारित सेवाओं से पिछले कम से कम 5 वर्षों से जुड़े हैं तो भी वे इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।

मृत्यु पर परिवार को 5 लाख और बीमारी के इलाज के लिए 2 से 5 लाख

पत्रकार की मृृत्यु होने की दशा में इस योजना के तहत उसके आश्रितों को 5 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दिए जाने का प्रावधान है। स्थायी दिव्यांगता के मामले में भी पत्रकार को 5 लाख रुपये, कैंसर, रीनल फेल्योर, बाई पास, ओपेन हार्ट सर्जरी, एंजियोप्लास्टी, ब्रेन हैमरेज और लकवाग्रस्त होने जैसी गम्भीर बीमारी की दशा में 3 लाख रुपये तथा किसी गम्भीर दुर्घटना के कारण उपचार हेतु अस्पताल में भर्ती होने पर 2 लाख रुपये देने की सहायता का प्रावधान है।

स्थायी दिव्यांगता पर एक लाख रुपये की मदद

स्थायी दिव्यांगता अथवा कैंसर, रीनल फेल्योर, बाई पास, ओपेन हार्ट सर्जरी, एंजियोप्लास्टी, ब्रेन हैमरेज और लकवाग्रस्त होने जैसी गंभीर बीमारी से ग्रसित होने पर या किसी गंभीर दुर्घटना के चलते उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती होने की दशा में 1 लाख रुपये और उसके बाद अगले पांच साल तक हर साल 1-1 लाख रुपये की मदद प्रदान किए जाने की व्यवस्था है। गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए पत्रकार को यह सुविधा का लाभ 65 वर्ष तक के पत्रकार ही उठा पाएंगे।

सहगल के मुताबिक पत्रकारों की जो परिभाषा वर्किंग जर्नलिस्टस एंड अदर न्यूज पेपर इम्पलाई कंडीशंस आफ सर्विस एण्ड मिसलेनियस प्रोविजन्स एक्ट 1955 में श्रमजीवी पत्रकारों के लिए दी गयी है, वही इस सहायता के लिए मान्य होगी। सभी पत्रकार जो प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्राॅनिक मीडिया या वेब आधारित सेवाओं से जुडे हैं, वे इस योजना के लिए पात्र माने जाएंगे।

फ्रीलांसरों और परिवार को भी मदद

फ्री लांस पत्रकार भी इस योजना के दायरे में आएंगे, लेकिन जो प्रबंधक की हैसियत से कार्य कर रहे हैं, वह इसके दायरे में नहीं आएंगे। पत्रकारों के परिजन भी इस योजना के दायरे में आएंगे।

परिजन का अर्थ पति अथवा पत्नी, आश्रित माता-पिता अथवा आश्रित संतानों से होगा।
प्रमुख सचिव सूचना, सहगल के मुताबिक सहायता के इच्छुक पत्रकार पीआईबी की वेबसाइट के अलावा दिल्ली और राज्यों में स्थिति पीआईबी के किसी भी कार्यालय से आवेदन प्राप्त कर सकते हैं।

आवेदन पत्र को पीआईबी के संबंधित कार्यालय में जमा कराना होगा, जहां जांच पड़ताल के बाद इसे मुख्यालय नई दिल्ली रिपोर्ट के साथ भेजा जाएगा। समिति की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर सहायता राशि की मंजूरी होती है। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री इस समिति के संरक्षक तथा सूचना और प्रसारण सचिव अध्यक्ष हैं।

सहायता के इच्छुक पत्रकारों के लिए यह आवश्यक है कि इलाज के मामले में वे सभी रसीदों को मूल रूप में संबंधित अस्पतालों के प्रबंधन, मुख्य चिकित्सा अधिकारी से प्रमाणित कराकर ही प्रस्तुत करें।

उत्तर प्रदेश में इस योजना के क्रियान्वयन के लिए उपनिदेशक प्रेस, सूचना निदेशालय त्रिलोकी राम को नामित किया गया है जिनसे मोबाइल नं 9453005348 पर संपर्क किया जा सकता है।

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