नई दिल्ली। अपने बेबाक बयानों के लिए चर्चित नितिन गडकरी ने एक बार फिर अपने ही अंदाज में बात की है। एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार समय पर फैसले नहीं लेती है और यह एक समस्या है। NATCON 2022 कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नितिन गडकरी ने कहा, ‘आप चमत्कार कर सकते हैं। यहां संभावनाएं भी मौजूद हैं और क्षमता भी है। मेरा कहना है कि भारत के इन्फ्रास्ट्रक्चर का भविष्य सुनहरा है। हमें अच्छी तकनीक और नए सुधारों को स्वीकार करना होगा। हमें दुनिया और भारत की अच्छी रिसर्च और सफल प्रैक्टिस को स्वीकार करना होगा।’
नितिन गडकरी ने कहा कि हमें पास वैकल्पिक चीजें होनी चाहिए। इससे हम क्वॉलिटी से समझौता किए बिना ही लागत में कमी ला सकते हैं। निर्माण के काम में टाइम बहुत अहम होता है। यह सबसे बड़ी पूंजी है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि सरकारें समय पर फैसले नहीं लेती हैं। उन्होंने कहा कि तकनीक और संसाधनों से भी यह महत्वपूर्ण चीज है। उन्होंने कहा कि हमारे पास बहुत क्षमता है, लेकिन हम 60 लाख करोड़ रुपये के ईंधन का आयात करते हैं और यह समस्या की बात है। उन्होंने कहा कि हमें हमेशा यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि काम समय पर पूरे होने चाहिए।
बीते दिनों कहा था- सत्ता के लिए होती है राजनीति
उन्होंने कहा कि मैं जब महाराष्ट्र में मंत्री था तो मैंने कह दिया था कि जो 1 दिन पहले बनेगा तो एक लाख रुपये का इनाम मिलेगा। यदि देरी हुई तो फिर इसी हिसाब से फाइन देना होगा। माहिम में फ्लाईओवर बनाने के लिए समय 24 महीने का था, लेकिन ठेकेदार ने 21 महीने में ही तैयार कर दिया। इसकी वजह यह थी कि उसे बोनस मिलना था।
बता दें कि नितिन गडकरी अकसर ऐसे बयान भी देते रहे हैं, जो भले ही विपक्ष को अनुकूल लगें, लेकिन उनकी पार्टी के नेतृत्व और सरकार को चुभने वाले होते हैं। पिछले दिनों ही उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा था कि आज की राजनीति सत्तानीति हो गई है। इसका लोक कल्याण से कोई लेनादेना नहीं रह गया। कई बार तो लगता है कि राजनीति से संन्यास ही ले लिया जाए।
संसदीय बोर्ड से किए गए हैं बाहर, खूब हुई थी चर्चा
बता दें कि बीते सप्ताह ही भाजपा ने अपनी शीर्ष संस्था संसदीय बोर्ड का गठन किया था और इससे नितिन गडकरी को बाहर कर दिया गया है। इस फैसले को नितिन गडकरी के बयानों और पीएम नरेंद्र मोदी एवं अमित शाह से उनके रिश्तों से जोड़कर देखा जा रहा है। नितिन गडकरी भाजपा के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं और संघ के बेहद करीबी नेताओं में शुमार किए जाते हैं। ऐसे में संसदीय बोर्ड से उनके बाहर होने पर काफी चर्चाएं हुई थीं।