सहारनपुर में तेज हुई देवबंद का नाम बदलने की मांग, हिन्दू संगठनों का दावा- देववृंद था देवबंद का नाम

सहारनपुर। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर का देवबंद एक बार फिर चर्चा में है। सरकार ने देवबंद में ATS सेंटर बनाने का ऐलान किया है। जिसके बाद अब हिंदू संगठनों और भाजपा नेताओं ने देवबंद का नाम देववृंद करने की मांग तेज कर दी है। सदन में भी देवबंद का नाम बदलने का मुद्दा उठाया जा रहा है। उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही इस पर भी मुहर लग जाएगी।

हालांकि देवबंद के भाजपा विधायक कुंवर बृजेश सिंह ने विस चुनाव जीतने के बाद देवबंद की जगह देववृंद लिखा पोस्टर जारी किया था। जिस कारण प्रदेशभर में सियासत तेज हो गई थी।

देवबंद में कई महाराभारतकालीन स्‍थान हैं जिनमें रणखंडी गांव, पांडु सरोवर और बाला सुंदरी शक्तिपीठ भी हैं।
देवबंद में कई महाराभारतकालीन स्‍थान हैं जिनमें रणखंडी गांव, पांडु सरोवर और बाला सुंदरी शक्तिपीठ भी हैं।

सहारनपुर और मुजफ्फरनगर के बीच बसे देवबंद के बारे में दावा किया जा रहा है कि शहर में महाराभारत काल के कई स्‍थान हैं जिनमें रणखंडी गांव, पांडु सरोवर और बाला सुंदरी शक्तिपीठ भी है। पांडु सरोवर के बारे में कहा जाता है कि यहीं पर पांडवों के बड़े भाई युधि‌ष्टिर और यक्ष के बीच सवांद हुआ था

देवबंद नहीं देववृंद होना चाहिए नाम
भाजपा के नेता भले ही आगामी चुनाव में अपनी रोटियां सेंकने के लिए सारा श्रेय ले रहे हैं। लेकिन देवबंद का नाम बदलने की मांग साल 2000 से हिंदू संगठन के लोग लगातार सूबे की सरकारों के सामने उठाते रहे हैं। हालांकि मोदी लहर में देवबंद के विधायक कुंवर बृजेश सिंह ने यह मुद्दा सदन में उठाया था। जिसके बाद इससे हिंदू संगठनों ने इस मुद्दे को धार दी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बजरंग दल के प्रांत संयोजक विकास त्यागी का कहना है कि यह मांग हिंदू संगठनों द्वारा लगातार उठाई जाती रही है। हिंदू संगठनों ने ही देवबंद में ATS सेंटर की मांग भी उठाई थी।

प्रांत संयोजक बजरंग दल पश्चिमी उत्तर प्रदेश।
प्रांत संयोजक बजरंग दल पश्चिमी उत्तर प्रदेश।

महाभारतकालीन है देवबंद कस्बा
बजरंग दल के प्रांत संयोजक विकास त्यागी का कहना है कि देवबंद कस्बा महाभारतकालीन है। पुराणों में इसका उल्लेख देववृंद के तौर पर ही मिलता है। इसलिए ही देवबंद शहर का नाम बदलकर देववृंद करने की मांग लगातार उठाई जा रही है। महाभारतकाल में देवबंद में घने जंगल हुआ करते थे। पांडवों ने भी यहीं पर एक साल का अज्ञातवास बिताया था। देवबंद में अभी मौजूद रंणखंडी गांव में पांडु सरोवर और शक्तिपीठ भी इसका साक्ष्य हैं। यही नहीं प्राचीन शास्त्रों में इसका नाम देववृंद ही मिलता है। आरोप है कि, जो भी सरकार आई उन्होंने अपने-अपने हिसाब से साक्ष्यों को बर्बाद करने का काम किया है।

मंत्री को सौंपा था ज्ञापन
कुछ दिन पहले सहारनपुर आगमन पर हिंदू संगठनों में नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन को इस बाबत ज्ञापन भी सौंपा था। बजरंग दल के प्रांत संयोजक विकास त्यागी के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन से सहारनपुर स्थित सर्किट हाउस में मुलाकात की और ज्ञापन सौंपकर देवबंद का नाम देववृंद करने की मांग की थी। देवबंद नगर का नाम बदलकर देववृंद कराए जाने का प्रस्ताव शासन स्तर से पहले से ही लंबित है।

स्थानीय इतिहासकार और शोभित विश्‍वविद्यालय में विरासत, यूनिवर्सिटी हेरिटेज रिसर्च सेंटर के समन्वयक राजीव उपाध्याय यायावर।
स्थानीय इतिहासकार और शोभित विश्‍वविद्यालय में विरासत, यूनिवर्सिटी हेरिटेज रिसर्च सेंटर के समन्वयक राजीव उपाध्याय यायावर।

द्वैतवन है देवबंद का सबसे पुराना नाम
बताता जाता है कि प्राचीन ग्रंथों और साहित्यों में देवबंद का नाम द्वैतवन होने के पुख्ता प्रमाण मिलते हैं। उनका कहना है कि महाभारत में सभापर्व के वर्णन में द्वैतवन का उल्लेख मिलता है। इतिहासकार राजीव उपाध्याय बताते हैं कि यह इलाका महाभारत काल में सघन वन क्षेत्र था, इसलिए इसको द्वैतवन कहा गया।

मुगलों ने बदला था देववृंद का नाम
बजरंग दल के प्रांत संयोजक विकास त्यागी बताते है कि सोने की चिड़िया कहे जाने वाले देश को मुगलों से लेकर अंग्रेजों तक खूब लूटा है। यही नहीं देश की विरासत को भी नुकसान पहुंचाने का काम किया है। मुगल शासकों ने इस कस्बे का नाम बदलकर देवबंद कर दिया था, जो हमारी संस्कृति से मेल नहीं खाता है।

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