लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पहले चरण का चुनाव वेस्ट यूपी की 58 सीटों पर हो चुका है। दूसरे चरण का चुनाव भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 56 सीटों पर 14 फरवरी को होना है। दूसरे चरण के चुनाव के लिए गठबंधन पूरी ताकत लगाए हुए है। दूसरे चरण के चुनाव के बाद जयंत अपने घर लौट आएंगे। क्योंकि तीसरे चरण में जयंत के पास सिर्फ हाथरस ही बचा हुआ है। वहीं दूसरे चरण के बाद समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव अपने गढ़ में पहुंच जाएंगे।
पलायन, मुजफ्फरनगर दंगों की धरती पर चुनाव हो चुका है। भाजपा और समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के नेता मान रहे हैं कि वेस्ट यूपी में जाटलैंड की सियासत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। यानी साफ है की जिधर जाटलैंड पलटा उधर ही जीत का परहम लहायेगा।
वेस्ट में खूब जमी है गठबंधन की जोड़ी
इस विधानसभा चुनाव में गठबंधन की जोड़ी अभी तक खूब जमी है। अखिलेश यादव और जयंत चौधरी के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर जरूर वार्ता लंबी चली। लेकिन जैसे ही चुनाव का बिगुल बजा तो दोनों ही नेताओं ने हाथ मिला लिया। वादा किया की गठबंधन सत्ता की राह दिखाएगा। राष्ट्रीय लोकदल 34 सीटों पर चुनाव लड़ रही है इनमें सभी सीटें वेस्ट यूपी में हैं। मथुरा की मांट सीट और बिजनौर की सदर सीट पर भी विवाद हुआ। मांट पर दोनों ही पार्टी के प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल कर दिया।
बाद में जयंत चौधरी के कहने पर आरएलडी के प्रत्याशी को पीछे हटना पड़ा। बिजनौर की सदर सीट पर अखिलेश पीछे हट गए। मेरठ की सिवालखास पर सपा के पूर्व विधायक गुलाम मोहम्मद टिकट के लिए अड़े थे तो उन्हें आरएलडी का सिंबल मिला। यानी गुलाम विधायक बने तो पांच साल खुद को आरएलडी विधायक कहेंगे।
दूसरे चरण के बाद अखिलेश अपने गढ़ में
वेस्ट यूपी में जयंत और अखिलेश एक साथ प्रचार कर रहे हैं। दोनों ही नेताओं ने खूब रथ पर सवार होकर प्रचार किया है। प्रचार के अलावा भी अखिलेश और जयंत एक साथ आ जा रहे हैं। दूसरे चरण के बाद अखिलेश अपने गढ़ यानी यादव बेल्ट में पहुंच जाएंगे।
तीसरे चरण में फिरोजाबाद, ऐटा, मैनपुरी कासगंज, इटावा और अन्य जिलों में चुनाव होना है। यानी अखिलेश को अकेले ही चुनाव प्रचार करना पड़ेगा। जबकि तीसरे चरण में जयंत के पास हाथरस जिला बचेगा। ऐसे में जयंत अपने घर यानी दिल्ली की तरफ लौट आएंगे।
जाटलैंड से जाएगा जीत का रास्ता
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 75 सीटों पर जाट बिरादरी का प्रभाव है। वेस्ट यूपी में जाट 18.5 प्रतिशत अपना वजूद रखते हैं। जबकि पूरे प्रदेश में यह संख्या 5.8 प्रतिशत रह जाती है। किसान आंदोलन में आरएलडी भी अपने वजूद की लड़ाई लड़ रही है। केंद्रीय गृहमंत्री भी चुनाव से पहले दिल्ली में जाट बिरादरी के नेताओं के साथ बैठक कर जाटों को मनाने की कोशिश कर चुके हैं।
हालांकि जो जाट अमित शाह ने बुलाए थे वह भाजपा के नेता और पदाधिकारी थे। जाट और मुस्लिम प्रभाव वाली सीटों पर पहले चरण में मतदान का प्रतिशत भी सबसे अधिक रहा है।
दूसरे चरण में इन सीटों पर होना है चुनाव
दूसरे चरण में भी किसान बेल्ट में चुनाव होना है। सहारनपुर से इसकी शुरुआत है। इनमें बेहट, नकुड़, सहारनपुर सिटी, सहारनपुर, देवबंद, रामपुर मनिहारन, गंगोह, नजीबाबाद, नगीना, बरहापुरी, धामपुर, नहटौर, बिजनौर, चांदपुर, नूरपुर, कांठ, ठाकुरद्वारा, मुरादाबाद ग्रामीण, मुरादाबाद सिटी, कुंदरक, बिलारी, चंदौसी, अस्मोली, संभल, सुआरी, चमरौ, बिलासपुर,
रामपुर, मिलक, धनौरा, नौगवां सादात, अमरोहा, हसनपुर, गुन्नौरी, बिसौली, सहसावन, बिल्सी, बदायूं, शेखपुर, दातागंज, बहेरी, मीरगंज, भोजीपुर, नवाबगंज, फरीदपुर, बिठारी, बरेली, बरेली छावनी, आंवला, कटरा, जलालाबाद, तिलहर, पुवायां, शाहजहांपुर, ददरौल विधानसभा है।