सिक्किम पर विवादित विज्ञापन पर घिरे केजरीवाल, लेकिन पूर्व की सरकारें मांगेंगी माफी?

नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने एक विज्ञापन में सिक्किम को अलग देश बता दिया। सिक्किम ने इस पर सख्त विरोध जताया। इसके बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कार्रवाई की। एक अफसर को सस्पेंड कर दिया।  दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार की ओर से शनिवार को अखबारों में जारी एक विज्ञापन पर विवाद हो गया था। सिविल डिफेंस कोर में स्वयंसेवकों की भर्ती के लिए जारी विज्ञापन में पात्रता की शर्तो में सिक्किम की प्रजा होने की बात लोगों के गले नहीं उतरी। मुख्‍य विपक्षी दल भाजपा ने फौरन केजरीवाल सरकार से जवाब मांग लिया।

दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि ‘अरविंद केजरीवाल को बताना चाहिए कि दिल्ली सरकार ने सिक्किम को अलग देश के रूप में क्यों दिखाया।’ मगर इसमें गलती दिल्‍ली या किसी अन्‍य राज्‍य सरकार की नहीं है, केंद्रीय गृह मंत्रालय के नियमों में भी ‘सिक्किम की प्रजा’ का ही जिक्र है। यह ऐसी गलती है जिसे केंद्र की सत्‍ता पर बैठी सरकारों ने सुधारने की कोशिश नहीं की।

दिल्ली सरकार ने वॉलंटियरों को जॉइन करने के लिए एक विज्ञापन अखबार में प्रकाशित कराया था। इसमें सिक्किम को नेपाल और भूटान की तरह ही अलग देश बताया गया। इसके बाद सिक्किम के चीफ सेक्रेटरी ने केजरीवाल को चिट्ठी लिखी। इसे अपमानजनक बताया। साथ ही विज्ञापन को फौरन वापस लेने की मांग की। मामला बढ़ा तो केजरीवाल ने सफाई दी। कहा, ‘‘सिक्किम भारत का अटूट हिस्सा है। इस तरह की गलती बर्दाश्त नहीं की जाएगी। विज्ञापन को वापस ले लिया गया है। अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की गई है।’

डायरेक्‍टर जनरल- फायर सर्विसिज, सिविल डिफेंस और होम गार्ड्स की वेबसाइट पर सिविल डिफेंस एक्‍ट, 1968 की PDF फाइल मौजूद है। इसके पेज 18 पर सिविल डिफेंस कोर में शामिल होने के लिए योग्‍यता शर्तें लिखी गई हैं। इनमें साफ लिखा है कि आवेदक, ‘भारत का नागरिक, सिक्किम या भूटान या नेपाल की प्रजा होना चाहिए।’ कई राज्‍यों की सिविल डिफेंस वेबसाइट्स पर भी आवेदन शर्तों में ‘सिक्किम की प्रजा’ को योग्‍य घोषित किया गया है।

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डीजी, सिविल डिफेंस की वेबसाइट पर मौजूद ऐक्‍ट।

अबतक अपडेट नहीं हो पाए आधिकारिक दस्‍तावेज
साल 1973 में सिक्किम में राजशाही का खात्‍मा हुआ और भारत ने उसपर नियंत्रण कर लिया। 9 अप्रैल, 1975 को सिक्किम की संसद ने राजा की पदवी खत्‍म कर दी और रेफरेंडम के जरिए सिक्किम भारत का हिस्‍सा बन गया। 16 मई, 1975 को भारतीय संसद ने भी सिक्किम को आधिकारिक रूप से भारत का राज्‍य का घोषित कर दिया था। 45 साल गुजर चुके हैं मगर आधिकारिक दस्‍तावेज अबतक अपडेट नहीं हो पाए हैं। इसके लिए 1975 के बाद से अबतक आई केंद्र सरकारें सीधे तौर पर जिम्‍मेदार हैं।

गजट में हुआ था बदलाव का ऐलान
डीजी, सिविल डिफेंस की साइट पर ही 8 सितंबर, 1975 को प्रकाशित गजट की PDF फाइल अपलोड है। इसमें साफ लिखा है कि ‘नागरिक सुरक्षा विनियम, 1968 का सिक्किम राज्‍य में विस्‍तार और प्रवर्तन 1 अक्‍टूबर, 1975 को होगा।” इसके बाद तो दस्‍तावेजों में बदलाव हो जाना चाहिए था मगर व्‍यवस्‍था अब भी वैसी की वैसी ही है।

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भारत सरकार द्वारा 1975 में प्रकाशित गजट।

सिक्किम सीएम ने जताई चिंता
सिक्किम सीएम प्रेम सिंह तमांग ने दिल्‍ली सरकार की ‘गलती’ पर चिंता जताई है। उन्‍होंने कहा कि वह सरकार से सिविल डिफेंस रेगुलेशंस, 1968 में बदलाव करने के लिए कहेंगे। उन्‍होंने कहा, “हमारे लोग एक जिम्‍मेदार सरकार की तरफ से ऐसी गलती की बात भी नहीं सोच सकते। सिक्किम के लोग लोकतंत्र के प्रेमी हैं और राष्‍ट्रीय भावनाओं के साथ जुड़े हैं।”

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