सिब्बल की सांसद निधि सोनिया की रायबरेली को नहीं मिली, पैसे अधिकारियों ने…

रायबरेली। सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली के विकास के लिए राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने अपनी निधि से ढाई करोड़ दिए थे, लेकिन यह पैसे रायबरेली को न देकर दूसरे जिलों में बांट दिए गए हैं। इसमें एक बसपा सांसद और सात भाजपा सांसदों के संसदीय क्षेत्रों को पैसा भेजा गया है। रायबरेली कपिल सिब्बल का नोडल जिला है, इसके बावजूद ढाई करोड़ का एक भी हिस्सा उनके जिले को नहीं मिला।

इसके पीछे की मंशा पर सवाल खड़े हो रहे हैं। हालांकि प्रशासन का कहना है कि सांसद की अनुशंसा पर ही ये पैसे दिए गए हैं, लेकिन रायबरेली को पैसे ने देने की बात पर अधिकारी ठीक से जवाब नहीं दे पा रहे हैं।

उठे सवाल, क्या रायबरेली को विकास की जरूरत नहीं
राज्यसभा सदस्य की अनुशंसा पर विकास कार्य कराने के लिए धनराशि डीआरडीए के माध्यम से भेजी जाती है। राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल की ओर से ढाई करोड़ रुपये मिले थे, लेकिन पूरी धनराशि प्रदेश के अन्य जिलों में भेज दी गई। रायबरेली को क्यों छोड़ा गया? क्या रायबरेली को विकास की जरूरत नहीं? अन्य जिलों को दिया जा सकता है तो एक हिस्सा सोनिया के रायबरेली को क्यों नहीं? इस तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।

सात जिलों में भेजे पैसे, मेनका का सुल्तानपुर भी शामिल
अब तक सात जिलों में सांसद निधि का पैसा भेजा जा चुका है। इसमें मेनका गांधी का सुल्तानपुर भी शामिल है। बचे हुए 51 लाख रुपए में 50 लाख रुपए प्रतापगढ़ जिले को भेजने की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही यह धनराशि भी भेज दी जाएगी। कपिल सिब्बल की निधि से दी गई करोड़ों की रकम से सुल्तानपुर, मुजफ्फरनगर, कुशीनगर, हमीरपुर आदि जिलों में विकास कार्य होंगे।

परियोजना निदेशक प्रेमचंद्र पटेल ने बताया कि 30 कार्यों की अनुशंसा है, जिसमें नोडल जिले में काम के लिए कोई प्रस्ताव नहीं है। ऐसी स्थिति में जिले में निधि खर्च नहीं हो सकती है। सांसद की अनुशंसा के आधार पर ही निधि को रिलीज किया जाता है।

डीएम बोले- सिब्बल ने विकास कार्य का नहीं दिया था प्रस्ताव

डीएम वैभव श्रीवास्तव ने बताया कि राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल का जिले में विकास कार्य कराने से संबंधित कोई प्रस्ताव नहीं था। ऐसी स्थिति में अन्य जिलों को अनुशंसा के आधार पर बजट भेजा गया है। जांच की गई। इसमें कहीं भी गड़बड़ी नजर नहीं आई है।

इन जिलों को भेजी गई निधि

  • अलीगढ़ से बीजेपी सांसद सतीश गौतम के संसदीय क्षेत्र में 50 लाख
  • मेनका गांधी के संसदीय क्षेत्र सुल्तानपुर में 32 लाख
  • कुशीनगर से बीजेपी सांसद विजय कुमार दुबे के संसदीय क्षेत्र में 10 लाख
  • हमीरपुर से बीजेपी सांसद पुष्पेंद्र के संसदीय क्षेत्र में 47.99 लाख
  • शामली से बीजेपी सांसद प्रदीप चौधरी के संसदीय क्षेत्र में 16 लाख
  • मुजफ्फरनगर के बीजेपी सांसद संजीव कुमार के संसदीय क्षेत्र में 32 लाख
  • प्रतापगढ़ के बीजेपी सांसद संगमलाल गुप्ता के संसदीय क्षेत्र में 50 लाख
  • गाजीपुर से बीएसपी सांसद अफजल अंसारी के संसदीय क्षेत्र में 20 लाख रुपए

क्या है एमपीलैड(Members of Parliament Local Area Development Scheme)?

  • सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास प्रभाग को सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (MPLAD) के कार्यान्वयन का दायित्व सौंपा गया है। योजना के तहत प्रत्येक सांसद को अपने निर्वाचन क्षेत्र में 5 करोड़ रुपए तक की लागत के कार्यों के बारे में ज़िला कलेक्टर को सुझाव देने का विकल्प दिया गया है।
  • राज्यसभा सांसद उस राज्य के किसी एक अथवा अधिक ज़िलों में कार्यों की सिफारिश कर सकता है, जहाँ से वह निर्वाचित हुआ है।
  • लोकसभा तथा राज्यसभा के नामित सदस्य इस योजना के तहत देश के किसी भी राज्य में अपनी पसंद के एक या अधिक ज़िलों का चुनाव कर कार्य कर सकते हैं।
  • राष्ट्रीय प्राथमिकताओं अर्थात् पेयजल, शिक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य, स्वच्छता और सड़कों जैसी स्थायी परिसंपत्तियों के सृजन हेतु कुछ कार्यों का चयन कर सकते हैं।
  • बाढ़, चक्रवात, सुनामी, भूकंप, तूफान और अकाल जैसी आपदाओं से ग्रसित क्षेत्रों में कार्यों को कार्यान्वित किया जा सकता है। उक्त आपदाग्रस्त राज्य के सुरक्षित क्षेत्रों के लोकसभा सांसद राज्य के प्रभावित क्षेत्रों में अधिकतम 10 लाख रुपए प्रतिवर्ष तक के अनुमेय कार्यों की अनुशंसा कर सकते हैं।
  • देश में विकराल प्राकृतिक आपदा आने पर सांसद प्रभावित ज़िले के लिये अधिकतम एक करोड़ रुपए के कार्यों की अनुशंसा कर सकते हैं। आपदा, विकराल है या नहीं यह भारत सरकार द्वारा निर्धारित किया जाएगा।
  • यदि कोई निर्वाचित संसद सदस्य उस राज्य/केंद्रशासित क्षेत्र जिससे वह चुना गया है, की शिक्षा एवं संस्कृति का प्रचार दूसरे राज्य/केंद्रशासित क्षेत्र में करना चाहता है, तो वह इन दिशा-निर्देशों के अधीन एक वित्त वर्ष में अधिकतम 10 लाख रुपए तक के उन कार्यों जो दिशा-निर्देशों में प्रतिबंधित नहीं हैं, का चयन कर सकते हैं।
  • यदि किसी कार्य की अनुमानित राशि, संसद सदस्य द्वारा कार्य के लिये इंगित राशि से अधिक है तो स्वीकृति देने से पूर्व संसद सदस्य की सहमति आवश्यक है।
  • सांसद द्वारा अनुशंसित योजनाओं में दो लाख रुपए तक की योजना का कार्यान्वयन लाभुक समिति तथा दो लाख रुपए से अधिक 15 लाख रुपए तक की योजनाओं का कार्यान्वयन विभागीय एवं 15 लाख से अधिक की योजनाओं का कार्यान्वयन निविदा के माध्यम से किया जाता है।

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