लखनऊ। उत्तर प्रदेश में इन दिनों कोरोना को नहीं बल्कि बस पालिटिक्स को ज्यादा तवज्जों मिल रही है। प्रवासी मजदूरों को लेकर सियासत अब और तेज हो गई। जहां एक ओर सरकार इस पूरे मामले में अपनी पीठ थपथपाने में लगी हुई है तो दूसरी ओर कांग्रेस भी इस मुद्दे को इतनी आसानी से छोडऩे वाली नहीं है।
पिछले कई दिनों से बस पालिटिक्स में कई मोड आए है। कांग्रेस ने प्रवासी मजदूरों के दर्द का हवाला देकर प्रवासी श्रमिकों के लिए 1000 बसे चलाने का ऑफर दिया लेकिन उनकी कोशिशों को यूपी सरकार ने झटका दिया और इन बसों को बैरंग वापस लौटना पड़ा। इस दौरान बसों की फिटनेस को लेकर भी सवाल उठाया गया है। इतना ही नहीं यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को गलत जानकारी देने के आरोप में जेल में डाल दिया गया है। इसके बाद से दोनों दल आमने-सामने आ गए है।
उधर यूपी सरकार और राजस्थान सरकार में भी रार देखने को मिल रही है। शुक्रवार को दोनों राज्यों में बस पालिटिक्स पर जमकर राजनीति देखने को मिली। इस पूरे मामले में पहले राजस्थान के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने बीजेपी को घेरा तो दूसरी ओर इसके बाद यूपी सरकार भी हरकत में आई और दिनेश शार्मा ने मोर्चा संभालते हुए कांग्रेस पर अपनी जमकर भड़ास निकाली है।
शाम होते-होते कांग्रेस फिर बीजेपी को जवाब देने के मुड में नजर आई और उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने प्रेस वार्ता करके योगी आदित्यनाथ की सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल डाला है। यूपी कांग्रेस ने कहा कि यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू की गैरकानूनी गिरफ्तारी और संदीप सिंह पर फर्जी मुकदमें निंदनीय है, पूरी पार्टी की एकजुटता नेताओं के साथ है।
यह प्रवासी श्रमिकों के लिए कठिन घड़ी है। हम जनसेवा की प्रतिबद्धता से एक इंच भी पीछे नहीं होंगे। इतना ही नहीं इस दौरान मायावती को लेकर यूपी कांग्रेस ने जमकर हमला बोला है और कहा है कि मायावती अब भाजपा की अघोषित प्रवक्ता बन चुकी हैं। कारण सबको पता है। वह सुबह शाम बस भाजपा को डिफेंड करती हैं।
सचिन पायलट बनाम दिनेश शर्मा
कांग्रेस नेता और राजस्थान के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने इस पूरे प्रकरण पर अपनी चुप्पी तोड़ी और योगी सरकार की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस पार्टी मजदूरों के लिए बसें और खाने का इंतजाम कर रही है, तो अन्य सरकारों को इसका स्वागत करना चाहिए। बॉर्डर पर बसों को परमिशन न देना, नेताओं को गिरफ्तार करना और राजनीति करना कहां तक जायज है। उन्होंने कहा कि मदद लेने से कोई छोटा नहीं होता। उत्तर प्रदेश सरकार के रवैये को दुनिया ने देखा है। इसके आलावा सचिन पायलट ने कहा की श्रमिकों के लिए बसें एआईसीसी और प्रदेश कांग्रेस की ओर से भेजी गई थी और इससे सरकार का कोई लेना देना नहीं है।
उन्होंने कहा कि प्रियंका गांधी ने संवेदनशीलता दिखाते हुए 1000 बसें भेजी, लेकिन यूपी सरकार ने इसमें बाधाएं डाली। बसों को एंट्री नहीं दी। पहले कहा बसें लखनऊ भेजो। बसें बॉर्डर पर भेज दी तो कभी फिटनेस तो कभी कुछ कहकर अड़ंगे लगाए।
आरोप प्रत्यारोप के दौर में बीजेपी भी शांत बैठने वाली नहीं है और इसी क्रम में यूपी के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने पलटवार किया है और कहा है कि एक तरफ बच्चों को भेजने के एवज 36.36 लाख रुपये का बिल भेज रही है तो दूसरी तरफ श्रमिकों को भेजने के लिए फ्री बसें देना चाहती है। पहले कोटा में फंसे बच्चों को यूपी बॉर्डर तक छोडऩे का किराया वसूल रहे हैं और फिर संवेदना दिखाते हैं। पैसा वसूलना हो तो सेवा की नौटंकी बंद करिए। यह राजस्थान सरकार और कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व की दोहरी मानसिकता को दर्शाता है। ऐसा कृत्य पूरी तरह अक्षम्य है।
यूपी कांग्रेस ने खोला सरकार के खिलाफ मोर्चा
कांग्रेस की आराधना मिश्रा मोना ने कहा कि योगी सरकार को हमने एक हजार से अधिक वाहनों की सूची भेजी थी। लेकिन योगी सरकार की मंशा देश निर्माता श्रमिकों को लाने की नहीं थी इसलिए बहानेबाजी कर रही थी। उन्होंने कहा कि मैं यह बात पूरी जबाबदेही और जिम्मेदारी के साथ कह रही हूँ कि भेजी वाहनों की लिस्ट में 1032 बसें हैं। हमने एक-एक नम्बर दोबारा चेक किया है। और राजस्थान परिवहन विभाग से सत्यापन कराया है। उन्होंने कहा कि आदित्यनाथ की सरकार ने प्रदेश के मजदूरों, श्रमिक भाइयों के साथ छल किया है। प्रदेश की जनता माफ नहीं करेगी।
यूपी कांग्रेस ने दिनेश शर्मा पर भी साधा निशाना
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष (पूर्वी जोन) बीरेंद्र चौधरी ने कहा सूबे के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा जी पेशे से शिक्षक हैं। उन्हें झूठ बोलना शोभा नहीं देता है। योगी आदित्यनाथ जी के कहने तो कत्तई झूठ नहीं बोलना चाहिए।
बीरेंद्र चौधरी ने कहा कि परिवहन निगम उत्तर प्रदेश प्रबंध निदेशक डॉ राजशेखर ने पत्र लिखकर कोटा में फंसे छात्रों को ले जाने में उपयोग की गई राजस्थान रोडवेज़ की बसों पर हुए व्यय का विवरण राजस्थान परिवहन निगम से मांगा था ताकि औचित्यपूर्ण भुगतान हो सके। उन्होंने कहा राज्यों के परिवहन निगमों के बीच में इस तरह के लेन देन होते रहे हैं।
उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में उत्तर प्रदेश प्रबंध निदेशक डॉ राजशेखर के दो पत्र जोकि 18 अप्रैल और 27 अप्रैल को लिखे गए थे, को दिखाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के मंत्री मुख्यमंत्री रोज रोज प्रेस कॉन्फ्रेंस करके जनता का ध्यान भटकना चाहते हैं लेकिन जनता के सामने योगी सरकार का गरीब विरोधी चेहरा बेनकाब हो गया है।
यूपी अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमैन श्री शाहनवाज आलम ने कहा कि मायावती जी अब भाजपा की अघोषित प्रवक्ता बन चुकी हैं। कारण सबको पता है। वह सुबह शाम बस भाजपा को डिफेंड करती हैं। शाहनवाज ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि लॉक डाउन में दलित समाज के ऊपर हमले बड़े हैं लेकिन मायावती जी का एक बार भी मुंह नहीं खुलता है। दलित और वंचित समाज के लोग जान गए हैं कि हाथी किसका साथी है?