सियासी दंगलों का अखाड़ा गुजरात क्यों! विधायकों को टूट से बचाने का परखा हुआ पैंतरा

अहमदाबाद। महाराष्ट्र की उद्धव सरकार को हिला देने वाले सियासी भूकंप का एपिसेंटर गुजरात शिफ्ट हो गया है। शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे जहां 30 विधायकों को लेकर सूरत पहुंच गए हैं, तो अब महाराष्ट्र में सरकार बनाने का सपना देख रही भाजपा भी अपने विधायकों को गुजरात ही लाने की तैयारी में है।

उद्धव सरकार से शिंदे की बगावत के बाद अगर भाजपा महाराष्ट्र में सरकार बनाना चाहती है, तो यह जरूरी है कि उसके 105 विधायकों में से एक भी पार्टी लाइन से अलग न जाए। सूत्रों के मुताबिक, टूट से बचाने के लिए पार्टी अपने सभी विधायकों को इकट्ठा कर विशेष विमान से अहमदाबाद एयरपोर्ट लाकर सीधे किसी रिसॉर्ट या क्लब में ले जाने की तैयारी में है।

सूरत के दममस रोड पर ला मेरिडियन होटल पर गुजरात पुलिस का सख्त पहरा है, एकनाथ शिंदे के साथ 30 विधायक यहीं ठहरे हैं।
सूरत के दममस रोड पर ला मेरिडियन होटल पर गुजरात पुलिस का सख्त पहरा है, एकनाथ शिंदे के साथ 30 विधायक यहीं ठहरे हैं।

महाराष्ट्र की सियासत में धुर विरोधी शिवसेना और भाजपा दोनों के लिए गुजरात मुफीद क्यों है, इसकी पड़ताल करने से पहले बुलेट पॉइंट्स में जान लेते हैं कि शिंदे के साथ मौजूद बागी विधायकों का स्टेटस क्या है…

1. शिंदे 30 विधायकों के साथ अचानक लापता हुए
उद्धव सरकार में शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे अपने साथ 30 से विधायकों को लेकर अचानक लापता हो गए। इनमें तीन महिला विधायक हैं, वहीं मीडिया रिपोर्ट्स में शरद पवार की NCP का एक विधायक भी बताया जा रहा है। कुछ देर बाद खबर आई कि शिंदे समेत ये तमाम विधायक सूरत के दममस रोड पर मौजूद एक लग्जरी होटल में ठहरे हुए हैं। ला मेरिडियन नाम की इस होटल के बाहर गुजरात पुलिस का सख्त पहरा है।

2. महाराष्ट्र के भाजपा विधायक शिंदे से मिलने पहुंचे
इस वक्त तक शिंदे के उद्धव ठाकरे से नाराज होने की ही खबरें थें, लेकिन इसी बीच महाराष्ट्र के भाजपा विधायक संजय कूटे सूरत पहुंच गए और शिवसेना के बागी विधायकों से मुलाकात की। इसके बाद तय हो गया कि शिंदे की गुजरात रवानगी सियासी नाराजगी से कुछ ज्यादा है।

3. मुंबई में उद्धव ने सहयोगियों के साथ मीटिंग की
मंगलवार सुबह जब सरकार पर संकट के बाद मंडराने की बात आई, तो महाराष्ट्र विकास अघाड़ी में शामिल बड़े दल शिवसेना, NCP और कांग्रेस में उथल-पुथल मच गई। शरद पवार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की, तो उद्धव के खास सिपहसालार संजय राउत ने दिल्ली जाने का कार्यक्रम टाल दिया। इधर, सभी कांग्रेस विधायकों को पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले ने तलब कर लिया।

इन तीन पॉइंट्स के बाद अब जान लेते हैं कि गुजरात ही सियासी उठापठक का शेल्टर होम क्यों बना है? इसकी कुछ ठोस वजहें हैं…

1. गुजरात भाजपा के अध्यक्ष मराठी हैं
गुजरात भाजपा के अध्यक्ष सीआर पाटिल ने सोमवार रात विश्व योग दिवस में शामिल होने के सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए थे। सियासी हलकों में चर्चा शुरू हुई कि वे शिवसेना के असंतुष्ट विधायकों के साथ बैठक कर सकते हैं। दरअसल, सीआर पाटिल खुद मराठी हैं। उनके शिवसेना विधायकों के साथ बहुत अच्छे संपर्क हैं।

2. गुजरात में भाजपा का मजबूत कैडर
गुजरात में पिछले 24 साल से भाजपा की सरकार है। यहां पार्टी का कैडर बेहद मजबूत है, तो प्रधानमंत्री और गृहमंत्री भी इसी राज्य से आते हैं। लिहाजा, शिवसेना से नाराज विधायकों को किसी भी दबाव से बचाने के लिए यह सबसे सुरक्षित जगह हो सकती थी। दूसरी बात, महाराष्ट्र और गुजरात के बीच कनेक्टिविटी बेहद अच्छी है, लिहाजा विधायकों को जल्दी से यहां लाया जा सकता था।

3. गुजरात पहले भी बना सियासी पनाहगाह
अगस्त 2020 में राजस्थान में राजनीतिक उथल-पुथल मच गई थी, उस दौरान भाजपा ने अपने विधायकों को टूटने से बचाने के लिए अपने 18 विधायकों को विशेष विमान से गुजरात शिफ्ट किया था। इन विधायकों को पोरबंदर लाकर सासन के अलग-अलग रिसॉर्ट्स में ले जाया गया था।

इसके अलावा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत करने वाले सचिन पायलट भी यहीं पहुंचे थे। उनका समर्थन करने वाले 12 विधायकों को अहमदाबाद के पास बावला के एक रिसॉर्ट में रखा गया था।

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