सीतापुर। जनपद में फरवरी 2020 का महीना बीत रहा है, लेकिन जिले में सैकड़ो की संख्या में धड़ल्ले से चल रहे बड़े- बड़े हॉस्पिटल मानक पूरा न कर पाने के कारण अभी तक अपना रजिस्ट्रेशन तक नही करवा पाए है। फिर भी धड़ल्ले से हर गली-मोहल्ले में नîसग होम संचालित किए जा रहे है। शासन के सख्त आदेशों के बाद स्वास्थ्य महकमा सतर्क हो गया है। उल्लेखनीय है कि इस बार सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को आदेशित किया गया है कि ऐसे किसी भी अस्पताल का रजिस्ट्रेशन नहीं किया जाए जो मानक पूरे नहीं कर रहे हो, और न ही उन हॉस्पिटलों का रजिस्ट्रेशन किया जाए जहां पर आए दिन मौतों का सिलसिला सबसे अधिक हुआ है। इसकी जांच जमीनी स्तर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी को करवा लेनी होगी।
इसी के साथ बताया गया है कि रजिस्ट्रेशन करने के लिए जो डॉक्टरों का एक पैनल बनाया जाता है, वह पैनल नîसग होम में रहना अत्यंत आवश्यक है। अभी तक देखा यह गया है एक एक डॉक्टर के नाम से कई कई हॉस्पिटल चल रहे हैं और डॉक्टरों का पता ठिकाना तक नहीं है। ऐसे डॉक्टरों का सत्यापन कर लिया जाए और उनसे भी शपथ पत्र ले लिया जाए कि वह लगातार हॉस्पिटल में उपस्थित रहेंगे। ऐसा ना करने वाले नîसग होम्स को रजिस्ट्रेशन बिल्कुल ना दिया जाए। इस कड़ी में सीतापुर जनपद के 7०% अस्पताल अभी तक अपना रजिस्ट्रेशन करवाने में नाकाम रहे हैं लेकिन ऐसा कोई हॉस्पिटल नहीं होगा जो चल नहीं रहा हो। स्वास्थ विभाग का कहना है कि हमारी टीम लगातार काम कर रही है। जो नर्सिंग होम्स व क्लीनिक फर्जी तरीके से चल रहे है उनको बंद कर उनके खिलाफ ठोस कार्यवाही की जाए, क्योंकि वो स्वास्थ्य समिति के मानक को पूरा करने में नाकाम रहे हैं और जिनका रिन्यूअल अभी तक नहीं हो पाया है।
वहीं दूसरी ओर इस पर कहा जा रहा है कि स्वास्थ विभाग ने इस बार इतनी सख्ती की है कि नîसग होम इतना मानक पूरा करने में नाकाम साबित हो रहे हैं। यहां पर आपको यह बता देना अत्यंत आवश्यक होगा कि ऐसे बड़े-बड़े नîसग होम जिले में चल रहे हैं जो मानक के विपरीत काम करते हैं और उनका सीएमओ ऑफिस में अच्छा लेनदेन चलने के कारण बंद नहीं करवाया गया है। इन नर्सिंग होम्स ने बड़े-बड़े डिग्री होल्डर डाक्टरों के बैनर लगवा दिए गए हैं जबकि इन हॉस्पिटलों में अशिक्षित डॉक्टर ही इलाज कर रहे हैं और आए दिन किसी ना किसी को मौत के घाट उतार रहे हैं। इस विषय पर भी स्वास्थ्य विभाग को काफी ध्यान देना होगा। अगर ध्यान नहीं दिया गया तो यह समस्या एक ना एक दिन विषम होती चली जाएगी।
वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही इन दिनों सबसे चरम सीमा पर है। हालांकि सीतापुर cmo office का कहना है कि किसी भी नîसग होम संचालक को गलत काम करने का अधिकार नहीं है मुझे जहां-जहां सूचना मिली है मेरे द्बारा कार्यवाही की जा रही है और काफी नîसग होम को नोटिस भेजे गए हैं। इसके बाद जो भी मनमानी कर रहे हैं उनके खिलाफ एफ आई आर दर्ज करवाकर कार्रवाई की जाएगी। मेरे होते हुए कोई भी डॉक्टर व नîसग होम गैर जिम्मेदाराना हरकत नहीं कर सकता। अगर कोई करता है तो मुझे जानकारी दें मैं तत्काल कार्रवाई करूंगा। इस संबंध में जब जिलाधिकारी अखिलेश तिवारी से वार्ता की गई तो उन्होंने कहा की जिला चिकित्सा अधिकारी को निर्देशित करता हूं मानक विहीन नîसग होम को तत्काल बंद कराएं और उनकी गहनता से जांच कराएं।
जिले में अगर बात करें तो लखनऊ डायग्नोस्टिक सेंटर, कपूर अल्ट्रासाउंड सेन्टर कथा सर्जन अल्ट्रासाउंड सेंटर को छोड़कर जिले में रेडियोलॉजिस्ट डॉ नहीं है ।फिर भी अल्ट्रासाउंड सेंटर जनपद में कुकुरमुत्ता की तरह संचालित हो रहे है इसका जीता जागता उदाहरण बाजार जिला अस्पताल के अगल-बगल देखा जा सकता है और यह सब सेंटर सरकारी डॉक्टरों की मेहरबानी आशीर्वाद के जरिए संचालित हो रहे हैं उन संतों पर दलालों का बोलबाला है कारण यह है अल्ट्रासाउंड कराने के एवज में डॉक्टर को 50% कमीशन दिया जाता है अगर जो कोई आशा लेकर आती है तो उसे ₹100 का हरजाना शुल्क pay होता है ऐसे में कई बार गलत होते भी मरीज को मिल जाती हैं कई बार तो नामी-गिरामी अल्ट्रासाउंड सेंटरों की रिपोर्ट भी गलत पाई गई लेकिन मरीजों को दे ले कर चुप कर दिया गया किसी ने आवाज तक नही उठाई पर हैरत की बात तो यह है कि यही फर्जी अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर आने वाले मरीजों की कतारों को देखकर यही लगता है कि जहां पर सही ढंग से काम होता है वहां पर मरीज नहीं जा पा रहे हैं पर जहां पर कमिशन खोरी का जाल बिछा हुआ है वहां मरीजों की कतारें लगी हुई है ।
मरीजों की अधिकता के चलते आशाएं और दलाल अत्यंत सक्रिय हैं यही दलाल और अल्ट्रासाउंड सेंटर पर ₹100 का कमीशन ले रहे हैं पैथालॉजी सेंटरो जांच 10% का कमीशन फिक्स है अब ऐसी स्थिति में मरीज क्या सही जांच रिपोर्ट ले पाएंगे या तो बड़ी सोचने वाला विषय है। आप सोचेंगे कितना बड़ा कारोबार स्वास्थ्य के प्रति चल रहा है फिर भी ब्यूरोक्रेट में बैठे अधिकारी क्या कर रहे हैं यह सोचने का विषय जरूर है लेकिन खाऊ कमाऊ नीति के चलते स्वास्थ्य विभाग ने अपनी पूरी गरिमा गिरा रखी है जिसके चलते मरीज भय का शिकार हो रहे हैं ,तो कहीं गलत रिपोर्टिंग होने के चलते तो कहीं उन्हें प्रताड़ना मिल रही है। तो कहीं दलालो का शिकार हो रहे हैं या फिर वह इधर-उधर भटक कर अपना सर्वस्व निछावर कर देने को तैयार हैं ।
कहावत है न ,, कि मरता क्या नहीं करता,,, बीमार आदमी ठीक होने के लिए क्या-क्या करने को तैयार नहीं है ।कलयुग के हैवान कहे जाने वाले डॉक्टरों ने उसे जो सलाह दे दी बेचारा वह करने को तैयार हो गया फिर भी उसे कहीं से राहत नहीं मिल रही है जानकार भी जब कान में उंगली डाले बैठे हो तो स्थिति और भयावह! हो जाती है ।फिर वही बात हुई है की सब विभाग की मिलीभगत के चलते चल रहा hai. Jabki शासन से भी निर्देश है कि हर माह जांच कर शासन को रिपोर्ट देते रहे पर शासन के निर्देश को मानने के लिए रिपोर्ट फर्जी तैयार करके भेज दी जाती है ।जमीनी स्तर पर कोई जांच नहीं की जा रही है ना तो कोई कार्यवाही हो रही है ।इसमें अनजान मरीज व जानकार सभी इस चुंगल में fans रहे हैं ।
स्थिति बड़ी दुःखद होती जा रही है लेकिन जनपद में जब तक इन पैथोलॉजी सेंटर व अल्ट्रासाउंड पर ठोस कार्रवाई नहीं की जाएगी तब तक यह काम रुकने वाला नहीं है। जिला प्रशासन को इस तरफ एक न एक तो ध्यान केन्द्रित करना ही पड़ेगा जब शासन इस तरह ध्यान केंद्रित करेगा तो इन संचालकों और cmo ऑफिस के बाबूओ का भंडाफोड़ होना तय है फिर हाल में सारी जांचें फुटबॉल बनी हुई है कई भी नर्सिंग home की जांच हो चुकी है फिर भी वह नर्सिंग होम बंद नहीं की गई वह जो के तो चलना ही है बस फर्क इतना हो जाता है कि वह अपना नाम बदल देते हैं काम वही जारी रखते हैं. संबंध में जब जिलाधिकारी अखिलेश तिवारी से बात की गई उन्होंने कहा प्रकरण गंभीर है जिला प्रशासन से टीम गठित कर जांच करवा ली जाएगी अगर कोई भी दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ ठोस कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
सीतापुर जिला अस्पताल जिला व महिला अस्पताल के बल पर चल रहे प्राइवेट फर्जी नर्सिंग होमो का इन दिनों बोलबाला है जहां पर हर दिन किसी न किसी की जाने जाती हैं । स्वास्थ विभाग की आंख मिचौली के चलते यह सब कारोबार बड़े स्तर पर चल रहा है। आपको बताते चलें सीतापुर जनपद में दो सरकारी हॉस्पिटल हैं एक महिला और दूसरा मेल इन हॉस्पिटलों में हर नर्सिंग होमो के 10-10 दलाल घूमा करते हैं और यह सब दलाल मुख्य चिकित्सा अधीक्षक की मेहरबानी व चौकी इंचार्ज की कृपा छाया के बल बुते पर संचालित हो रहे है। बिना इनके किसी भी दलाल की दम नहीं है कि अस्पताल से एक भी मरीज निकाल ले उधर चौकी इंचार्ज को भी यह दलाल अच्छा चढ़ावा चढ़ाते हैं ।वहीं पर दलालो की मिलीभगत से मरीज प्राइवेट नर्सिंग होम में जा रहे हैं और हैरत की बात तो यह है कि नर्सिंग होम का कोई मानक नहीं है मानक बिहीन तथा फर्जी डॉक्टरों के मनो बल पर चल रहे इन हॉस्पिटलों पर सिर्फ स्वास्थ्य विभाग के बाबू की कृपा है।
जिसकी कृपा से उन्हें लाइसेंस तो मिल गया लेकिन बड़े-बड़े डिग्री होल्डर डॉक्टरों के बैनर लगे हैं news7express द्वारा जब इन डाक्टरों की पड़ताल की गई तो कोई डॉ नर्सिंग होमों में नहीं मिला और न ही डॉ आते बताए गए फिर यह डॉक्टरों के होर्डिंग व बैनर कैसे लगे हैं या भी स्वास्थ्य विभाग व जिलाप्रशासन विभाग को देखना होगा जिसका लाभ उठाकर प्राइवेट फर्जी नर्सिंग होम मरीजों पर डाका डाल रहे हैं उसका परिणाम बेकसूर मरीज झेल रहे हैं इस तरफ अभी तक जनप्रतिनिधियों की भी निगाह नहीं गई है हालांकि बिसवां विधायक महेंद्र सिंह यादव ने कहा tha ki ऐसे नर्सिंग होम के लिए मैंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर जांच कराने की मांग की है सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो अगले महीने से मुख्य चिकित्सा अधीक्षका व मुख्य चिकित्सा अधिकारी पर कार्रवाई तय हैं। क्योंकि इसका संज्ञान प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य व निदेशक चिकित्सा विभाग द्वारा लिया जा चुका है। डॉक्टरों का पता नहीं है ।
नर्सिंग होमो के ऊपर फर्जी के मायने में लगे बोर्ड जिन्हें तत्काल हटाने की मांग भ्रष्टाचार निवारण समिति द्वारा bhi की गई thi . अब देखना यह है कि जिला अस्पताल व जिला महिला अस्पताल में दलालों का प्रवेश कब वर्जित होता है ।हालांकि सीएमएस महिला अपने वाक्यों में कई बार या अफसोस जता चुकी हैं कि दलालों को रोकना मेरे बस की बात नहीं है और मैं चाहती हूं कि सरकार मुझे यहां से हटा दे आपको बताते चलें विगत 16 वर्षों से जिला महिला अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक सीतापुर में ही सेवा दे रही हैं उसके बावजूद भी जिला अस्पताल में दलालों का बोलबाला है। जबकि सीतापुर में दलालो को बढ़ावा दिया है।
उन्हीं के द्वारा दिया गया और यह 16 वर्षों की लाइलाज बीमारी संभवत उनके जाने के बाद ही हट पाएगी । दलाल पनपने का मौका जब यहाँ की पुलिस दे रही हो तो दलालो की तो पौबारह होगी ही इस संबंध में जब पुलिस चौकी इंचार्ज को मिला होना पाया गया उस संबंध में सीओ से वार्ता की गई तो उन्होंने ने कहा कि जांच कराई जा रही है अगर जो चौकी इंचार्ज संलिप्त मिले तो निश्चय ही कार्रवाई की जाएगी।