लखनऊ। उत्तर प्रदेश की विशेष जांच टीम (एसआईटी) अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की तर्ज पर तीन महीने में पूछताछ और एक साल में विचार-विमर्श पूरा करने के लक्ष्य के साथ काम करेगी। एसआईटी महानिदेशक रेणुका मिश्रा ने कहा, ”विभाग ने पिछले पांच वर्षों में मामलों की जांच और निस्तारण पूर्व की तुलना में दोगुनी गति से किया। 2007 से 2016 के बीच 47 मामलों का निस्तारण किया गया, जबकि 2017-2023 के बीच 88 मामलों का निस्तारण किया गया।”
उन्होंने कहा कि इसी तरह 2007 से 2016 के बीच 40 प्रकरणों का निस्तारण किया गया, जबकि 2017 से 2023 तक लम्बित प्रकरणों सहित 82 प्रकरणों में 28 माह में विवेचना की गयी, इससे 1203 करोड़ रुपये की राजस्व हानि को रोका गया।
351 दोषी कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई, जबकि 1,002 को दंडित किया गया।
अधिकारियों ने कहा कि सभी मामलों की जांच और विवेचना में तेजी लाने के लिए विभाग के पूर्ण डिजिटलीकरण जैसे कई बदलाव किए गए हैं। साथ ही अधिकारियों व जजों को टैबलेट दिए गए।
साथ ही, विभाग में एक ई-ऑफिस और केस मैनेजमेंट सिस्टम लागू किया गया, इससे एक क्लिक के साथ जांच और विचार-विमर्श के पत्रों को पढ़ना संभव हो गया।
हाल ही में एक बैठक में, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकारी विभागों में फर्जी डिग्री / मार्कशीट और भर्ती घोटालों पर अंकुश लगाने और राज्य में राजस्व और छात्रवृत्ति अनियमितताओं को रोकने में एसआईटी के प्रदर्शन की प्रशंसा की थी।
(आईएएनएस)