नइ दिल्ली। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव कम करने के मूड में नहीं है। कई दौर पर बातचीत के बावजूद वह तनाव को कम करने की बजाय उसे बढ़ाने पर तुला है। चीन की तरफ से अभी भी पूर्वी लद्दाख के फ्रंट और डेप्थ इलाकों में करीब 40 हजार सैनिक तैनात हैं।
समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि पूर्वी लद्दाख में टकराव वाली जगहों से तनाव कम करने को लेकर वह प्रतिबद्धता का सम्मान नहीं कर रहे हैं। सरकार और सैन्य स्तरों पर कई दौर की बातचीत के दौरान शर्तों पर बनी सहमति के बावजूद वे पीछे नहीं हट रहे हैं।
सूत्रों ने बताया, चीन ने तनाव कम करने का कोई संकेत नहीं दिया है और युद्ध सामग्री जैसे एयर डिफेंस सिस्टम, लंबी दूरी की तोपें, बख्तरबंद गाड़ियों के साथ अग्रिम इलाकों में करीब 40 हजार की भारी संख्या के साथ सैनिकों को तैनात किए हुआ है। सूत्रों ने बताया कि कॉर्प्स कमांडर्स के बीच पिछले हफ्ते हुई बातचीत के बाद सैनिकों के कम करने की प्रक्रिया में कोई प्रगति नहीं हुई है और न ही ग्राउंड पॉजिशन में किसी तरह का कोई बदलाव हुआ है।
सूत्रों ने यह भी बताया कि चीन फिंगर 5 एरिया से अपने स्थाई सिरजिप के ठिकाने पर नहीं जाने पर अड़ा हुआ और वह फिंगर एरिया में ऑब्जर्वेशन पोस्ट बनाना चाहता है। इसी तरह, उसने हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा पोस्ट इलाके में भारी निर्माण किया है। पूर्वी लद्दाख सेक्टर में ये दो जगह टकराव के प्वाइंट्स हैं।
हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा इलाके में चीन यह दलील दे रहा है कि अगर वे अपने स्थाई ठिकानों पर लौटता है तो ऐसा संभव है कि भारत सामरिक रूप से अहम ऊंचाई वाले ठिकानों पर अपने कब्जा जमा लेगा। कॉर्प्स कमांडर के बीच आखिरी बार 14-15 जुलाई को हुई बैठक के दौरान यह सहमति बनी थी कि दोनों पक्ष सैनिकों के कम करने को मॉनिटर करेंगे और अगरे कुछ दिनों में उसको वैरिफाई करेंगे।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ टेलीफोन पर बातचीत के दौरान यह साफ किया था कि विवाद के समाधान और दोनों पक्षों की संतुष्टि के लिए दोनों पक्षों को अपने स्थाई ठिकानों पर वापसी करना होगा।