सुप्रीम कोर्ट: गरीबी और मजबूरी में भीख मांगता है आदमी, इस पर प्रतिबंध लगाना सही नहीं

नई दिल्ली। भिखारियों को सार्वजनिक स्थानों व ट्रैफिक जंक्शनों से दूर करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस पर सुनवाई नहीं कर सकता। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह भीख मांगने पर प्रतिबंध नहीं लगा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने  कहा कि जब गरीबी भीख मांगने के लिए मजबूर करती है तो वह संभ्रांतवादी दृष्टिकोण नहीं अपनाएगा।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने कहा कि शिक्षा और रोजगार के अभाव के कारण लोग आम तौर पर कुछ प्राथमिक आजीविका के लिए सड़कों पर भीख मांगने को मजबूर होते हैं। पीठ ने कहा, ‘उच्चतम न्यायालय के रूप में हम एक अभिजात्य दृष्टिकोण नहीं लेना चाहेंगे कि सड़कों पर कोई भिखारी नहीं होना चाहिए।’ शीर्ष अदालत ने कहा कि कोई भी इंसान भीख नहीं मांगना चाहेगा, गरीबी के कारण उन्हें ऐसा करना पड़ता है।

शीर्ष अदालत ने केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर महामारी के बीच भिखारियों और सड़कों पर रहने वाले लोगों के पुनर्वास, उनके टीकाकरण और उन्हें आश्रय और भोजन उपलब्ध कराने के लिए याचिका में की गई प्रार्थना पर दो हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है।

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि यह एक सामाजिक-आर्थिक समस्या है और राष्ट्रीय राजधानी में सड़क पर रहने वालों और भिखारियों के टीकाकरण के संबंध में केंद्र और दिल्ली सरकार का तत्काल ध्यान चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से इन मामले में सहयोग करने का आग्रह किया है। अगली सुनवाई दो सप्ताह के बाद होगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here