नई दिल्ली। काफी समय से भारतीय राजनीति की धुरी बन चुके राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को क्लीन चिट देते हुए सभी आरोपों को खारिज कर दिया है। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने राफेल विमान सौदे को लेकर मोदी सरकार को बड़ी राहत दी है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने राफेल से जुड़ी सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि विमान की खरीद प्रक्रिया पूर्णरूप से सही है उस पर सवाल खड़ा नहीं किया जा सकता है। बता दें कि कांग्रेस ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया था कि उन्होंने यूपीए की तुलना में तीन गुना अधिक कीमत देकर राफेल विमान का सौदा किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राफेल लड़ाकू विमानों की कीमत पर निर्णय लेना अदालत का काम नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें फ्रांस से 36 राफेल विमानों की खरीद की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नजर नहीं आता है।
राफेल डील को लेकर कांग्रेस और विपक्ष का यह भी आरोप था कि यूपीए के दौरान 126 फाइटर जेट खरीदने का सौदा रहा था। कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि अब मोदी सरकार केवल 36 फाइटर जेट खरीद रही है। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह सरकार को 126 या 36 विमान खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है। भारत ने करीब 58,000 करोड़ रूपए की कीमत से 36 राफेल विमान खरीदने के लिये फ्रांस के साथ समझौता किया है ताकि भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता में सुधार किया जा सके।
सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले में माना है कि भारतीय वायुसेना में राफेल की तरह के चौथी और पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को शामिल करने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘लड़ाकू विमानों की जरूरत है और देश लड़ाकू विमानों के बगैर नहीं रह सकता है।’ सर्वोच्च अदालत ने इस बिंदु का भी उल्लेख किया कि सितंबर 2016 में जब राफेल सौदे को अंतिम रूप दिया गया था, उस वक्त किसी ने खरीदी पर सवाल नहीं उठाया था। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस की बेंच ने कहा कि राफेल सौदे पर सवाल उस वक्त उठे जब फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलांद ने बयान दिया, यह न्यायिक समीक्षा का आधार नहीं हो सकता है। कोर्ट ने कहा कि राफेल सौदे में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर संदेह करने का कोई अवसर नहीं है।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ ने इस मामले में दायर याचिकाओं पर 14 नवंबर को सुनवाई पूरी की थी। इस सौदे में कथित अनियमितताओं का आरोप लगाते हुये सबसे पहले अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा ने जनहित याचिका दायर की थी। इसके बाद, एक अन्य अधिवक्ता विनीत ढांडा ने याचिका दायर कर शीर्ष अदालत की निगरानी में इस सौदे की जांच कराने का अनुरोध किया था।
इस सौदे को लेकर आप पार्टी के सांसद संजय सिंह और इसके बाद दो पूर्व मंत्रियों तथा भाजपा नेताओं यशवंत सिन्हा और अरूण शौरी के साथ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने एक अलग याचिका दायर की। इस याचिका में अनुरोध किया गया कि लड़ाकू विमानों की खरीद के सौदे में कथित अनियमितताओं के लिये केन्द्रीय जांच ब्यूरो को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया जाये। केन्द्र सरकार ने फ्रांस से 36 लड़ाकू विमान खरीदने के सौदे का पुरजोर बचाव किया और इनकी कीमत से संबंधित विवरण सार्वजनिक करने की मांग का विरोध किया।
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने राफेल विमान सौदे पर आए फैसले को लेकर कहा कि राहत नहीं मिली है हमें तो पूरी तरह से भरोसा था कि इसमें तो कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ था। अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद यह सभी के सामने स्पष्ट हो गया कि सरकार पूरी तरह से साफ है। इसी के साथ उन्होंने जेपीसी के सवाल पर बोला कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब जेपीसी की मांग का कोई औचित्य नहीं है। इसी बीच राजनाथ सिंह ने कांग्रेस पर निशाना साधा और फ्रांस के प्रधानमंत्री का भी जिक्र किया। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को बड़ी राहत देते हुए राफेल विमान सौदे से जुड़ी सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि खरीद प्रक्रिया में कोई कमी नहीं है।