सेंट मैरी द्वीप: षट्‍कोणीय काट की चट्टानों वाली रोमांचक जगह

सेंट मैरी द्वीप को कोकोनट आइलैंड के नाम से भी जाना जाता है। यह कर्नाटक के उडुपी में मालपे तट के पास स्थित है। यह स्थान भारत के 34 राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक स्मारकों (नेशनल जियोलॉजिकल मॉन्यूमेंट्स) में से एक है, जिसे साल 2016 में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने संरक्षण और रखरखाव के मकसद से घोषित किया था। राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक स्मारक उन्हें घोषित किया जाता है, जो जियोलोजी की दृष्टि से काफी खास होते हैं।

सेंट मैरी द्वीप जाने के लिए पहले उडुपि जाना पड़ता है और वहीं से 7 किमी दूर स्थित मालपे बीच। मालपे पर विशालकाय समुद्र के दर्शन होते हैं। वहीं से सेंट मैरी द्वीप जाने के लिए फेरी लेनी पड़ती है। फेरी से करीब साढ़े चार किलोमीटर की यात्रा करवाई जाती है। इस साढ़े चार किलोमीटर की समुद्री यात्रा के दौरान ही हमें इस आइलैंड का काफी सारा हिस्सा दिख जाता है।

यह वास्तव में एक रोमांचकारी जगह है। षट्‍कोणीय काट वाली चट्टानों के ऊंचे-ऊंचे पिलर्स एक-दूसरे से चिपककर खड़े हैं। आप सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि ऐसी कौन-सी ताकत या कौन-सी थ्योरी है, जिसके कारण ये चट्टानें ऐसी हो गईं।

कैसे आया अस्तित्व में?

करोड़ों साल पहले भारत और अफ्रीका जुड़े हुए थे। फिर धीरे-धीरे अलग होने शुरू हुए। आज जहां मेडागास्कर है, भारत वहीं से अफ्रीका से अलग हुआ था। अलग होने की इस प्रक्रिया में भी करोड़ों साल लगे थे। इस दौरान गोंडवानालैंड यानी भारत में अनगिनत ज्वालामुखी विस्फोट हुए। बहुत सारा लावा निकला और गोंडवानालैंड में फैल गया। फिर जब वो लावा सूखा, तो उसने भारतीय प्रायद्वीप का निर्माण किया। पश्चिमी घाट के पहाड़ भी उसी से बने हैं। अब हुआ ये कि यहां उस लावे की बड़ी विचित्र फॉरमेशन बन गई। जैसे तालाब सूखने पर पहले कीचड़ बनता है और फिर कीचड़ के भी सूख जाने पर मिट्टी में दरारें आ जाती हैं और षट्‍कोणीय (हेक्सागोनल) शेप बन जाती है, उसी तरह लावा सूखने पर यहां भी चट्टानों की हेक्सागोनल शेप बन गई। यहां ऊंचे-ऊंचे हेक्सागोनल कॉलम बन गए, जो हैं तो एक-दूसरे से अलग, लेकिन साथ सटे हुए।

बेंगरे बीच :

उडुपी से करीब 18 किलोमीटर दूर स्थित है बेंगरे बीच जिसे डेल्टा बीच भी कहते हैं। यहां सुवर्णा, सीता और पडुकेरे नदियां संगम बनाकर समुद्र में मिलती हैं। तो इन नदियों के संगम और समुद्र के बीच में छह-सात किलोमीटर लंबी और 100-200 मीटर चौड़ी संकरी पट्टी है। इस पट्टी पर आखिर तक सड़क बनी है। एक तरफ नदियों का संगम और दूसरी तरफ अरब सागर, इसे देखना एक अलौकिक अनुभव होता है।

उडुपी :

चूंकि आप सेंट मेरी द्वीप आए हैं तो आपको उडुपी आना ही होगा और उडुपी आए हैं तो इसे भी अच्छे से एक्सप्लोर किया जा सकता है। यहां का कृष्ण मंदिर दक्षिण भारत में मौजूद सबसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक है। यहां आपको सोने के रथ पर विराजमान भगवान की आकर्षक मूर्ति देखने को मिलेगी। मणिपाल भी घूमने के लिए अच्छी जगहों में से एक है। मणिपाल यूनिवर्सिटी यहीं पर स्थित है। उडुपी अपने अथेंटिक साउथ इंडियन खाने के लिए प्रसिद्ध है।

कैसे पहुंचें, कहां ठहरें?

सेंट मैरी द्वीप जाने के लिए आपको उडुपी आना होगा। उडुपी हवाई और ट्रेन मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। उडुपी शहर का निकटतम हवाई अड्डा मैंगलोर में हैं, जो यहां से लगभग 60 किमी की दूरी पर है। ट्रेन से भी यह सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा है। कोंकण रेलवे नेटवर्क इस शहर को मुंबई, बेंगलुर, मैसूर और मैंगलोर जैसे स्थानों के साथ-साथ अन्य शहरों से जोड़ता है। उडुपी में ठहरने की पर्याप्त सुविधाएं हैं। आपके बजट के हिसाब से यहां सभी तरह के होटल उपलब्ध हैं।

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