सेना ने लिया हंदवाड़ा का बदला, ईनामी आतंकी रियाज नायकू ढेर

नई दिल्ली। आतंकियों द्वारा लगातार सेना को निशाना बनाये जाने के बाद सेना ने आज जबरदस्त पलटवार किया। कश्मीर घाटी में हुए एनकाउंटर में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। इसमें हिज्बुल मुजाहिदीन का टॉप कमांडर रियाज नायकू मारा गया है। वुरहान बानी के मारे जाने के बाद नायकू ने घाटी में हिज्बुल की कमान संभाली थी। सेना की लिस्ट में रियाज नायकू को A++ कैटिगरी का आतंकवादी था और उसके सिर पर 12 लाख का इनाम था।

पुलवामा में नायकू के गांव बेगपोरा में एक एनकाउंटर के दौरान नायकू मारा गया। सुरक्षा बलों को इस गांव में नायकू और उसके कुछ साथियों की मौजूदगी का इनपुट मिला था। मंगलवार को उस घर के बाहर घेराबंदी की गई थी, जहां नायकू के छिपे होने की खबर मिली थी।

शुरुआत में घेराबंदी करने पर फायरिंग नहीं हुई, लेकिन इसके बाद भी सुरक्षाबलों ने घेराबंदी नहीं हटाई। बाद में एनकाउंटर शुरू हुआ तो सुरक्षा बलों ने 40 किलो आईईडी से उस घर को उड़ा दिया, जहां से नायकू फायरिंग कर रहा था। इसमें नायकू और उसका साथी आदिल मारा गया। इस एनकाउंटर के बाद पूरे कश्मीर में एहतियात के तौर पर मोबाइल इंटरनेट बंद कर दिया गया है। बीएसएनएल के अलावा बाकी सभी फोन नेटवर्क भी बंद कर दिए गए हैं।

नायकू घर की छत पर छिपा था

मंगलवार रात को इंटेलिजेंस का पुख्ता इनपुट था। इसके बाद इलाके के आसपास कई सारे खेत, रेलवे ट्रैक की खुदाई की गई कि कहीं कोई सुरंग या जमीन के भीतर आंतकी ठिकाना न हो। बुधवार सुबह आतंकियों ने गोलीबारी शुरू कर दी थी। नायकू पहले घर की छत पर बने एक ठिकाने में छिपा हुआ था। फिर वह सुरक्षा बलों पर फायर करते हुए नीचे उतरा। उसका मारा जाना सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी है। कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ अभियान पर इसका अच्छा खासा असर पड़ेगा।

नायकू पर 12 लाख रुपए का इनाम था

रियाज नायकू कश्मीर में सबसे ज्यादा समय तक सक्रिय रहने वाला आतंकी था। वह हिजबुल मुजाहिद्दीन के लिए काम करता था। उसे मोस्ट वॉन्टेड आतंकियों की ए++ कैटेगरी में रखा गया था। उस पर 12 लाख रुपए का इनाम भी था। वह कई पुलिसकर्मियों की किडनैपिंग और उनके मर्डर में शामिल था।

मैथ्स टीचर था, 2010 के उपद्रव के बाद आतंकी बना
35 साल का नायकू मैथ्स टीचर था। वह कश्मीर के पुलवामा का रहने वाला था। 2010 में कश्मीर में जारी उपद्रव के दौरान वह आतंकी बना था। यह उपद्रव टियरगैस शेल लगने से एक बच्चे तुफैल मट्‌टू की मौत के बाद शुरू हुआ था। महीनों तक कश्मीर में पत्थरबाजी होती रही और कर्फ्यू लगा रहा।

बुरहान वाली और इत्तू के मारे जाने के बाद रियाज कमांडर बना
2016 में बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद यासिन इत्तू उर्फ मेहमूद गजनवी हिजबुल कमांडर बना था। अगस्त 2017 में 18 घंटे चले एक एनकाउंटर में सुरक्षाबलों ने शोपियां में इत्तू को मार गिराया था। इसके बाद रियाज इसका कमांडर बना। नायकू मोहम्मद बिन कासिम कोड नेम से काम कर रहा था। वह बुरहान वानी का करीबी था। 2017 में वह घाटी के 12 टॉप आतंकियों की लिस्ट में शामिल था। 2018 में सेना की हिट लिस्ट में शामिल 17 आतंकियों में भी नायकू का नाम था।

मंगलवार रात एक बजे बेगपोरा गांव में सर्च ऑपरेशन तो बंद कर दिया, लेकिन घेराबंदी नहीं हटाई गई। सुबह 9 बजे आतंकी रियाज ने गोलीबारी शुरू कर दी। इसके बाद वह मारा गया। (फोटो: आबिद बट)

बीमार मां से मिलने आया था नायकू
नायकू अपने गांव में बीमार मां से मिलने आया था। कहा जाता है वह अपने चुनिंदा करीबी लोगों के अलावा किसी पर भरोसा नहीं करता था। शायद यही वजह थी कि वह बचा रहा। उसने कई स्थानीय लोगों को आतंकी बनाया। कश्मीर में 35 आतंकी संगठन सक्रिय हैं। 10 से ज्यादा आतंकी इस साल हिजबुल मुजाहिद्दीन में शामिल हुए हैं।

नायकू कई बार एनकाउंटर के दौरान बच निकला था
कई बार नायकू बंदूक लहराते हुए आतंकियों के जनाजे में गन सैल्यूट देते नजर आया था। उसने सोशल मीडिया पर लंबे-लंबे ऑडियो और वीडियो मैसेज भी पोस्ट किए थे। यह पहला मौका नहीं था, जब नायकू को सेना ने घेरा था। इससे पहले वह कई बार बीच एनकाउंटर में घेराबंदी से बचकर निकल चुका था। 2018-19 के बीच वह कई बार एनकाउंटर से भाग निकला था।

30 साल का नायकू 2016 में बुरहान वानी की मौत के बाद वहां के लोगों के लिए आतंक का नया चेहरा बन गया था। वह अवंतीपोरा का ही रहनेवाला था। पिछले साल आतंकी सबजार भट की मौत के बाद उसे हिज्बुल मुजाहिदीन का कमांडर या मुखिया बनाया गया था। इससे पहले भी उसे कई बार घेरा गया था लेकिन वह बचकर निकलने में कामयाब हो जाता था।

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