सैफई प्रधानी सीट पर भी नहीं रहेगा मुलायम राज, अब सपा को खास की तलाश

कानपुर। जबतक दर्शन सिंह तबतक कोई दूसरा सैफई का प्रधान नहीं बनेगा- किसी समय यह बात कहकर समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने अपनी दोस्ती की मिसाल दी होगी लेकिन आज यह सच्चाई हो गई है। दर्शन सिंह यादव दुनिया में नहीं हैं तो सैफई प्रधानी सीट पर भी मुलायम राज नहीं रहेगा।

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में सीटों का आरक्षण जारी होने के बाद सैफैई में पचास साल से प्रधान पद और 25 वर्षों से ब्लॉक प्रमुख पद पर अब कोई भी मुलायम परिवार का सदस्य काबिज न हो पाएगा। एससी के लिए आरक्षित प्रधान सीट और ब्लॉक प्रमुख पद एससी महिला के लिए आरक्षित होने के बाद मुलायम परिवार को अब किसी खास की तलाश है। हालांकि अभी तक दोनों पदों के लिए कोई नाम तो तय नहीं है लेकिन सुगबुगाहट जरूर शुरू हो गई है।

सैफई ब्लॉक प्रमुख सीट पर बीते 25 साल से मुलायम परिवार से ही काबिज रहा है। इस बार पंचायत चुनाव में एसी महिला के लिए सीट आरक्षित होने से परिवार का कोई भी सदस्य अब प्रमुख नहीं बन सकेगा। वर्ष 1995 में सैफई को ब्लॉक का दर्ज मिला था। तब से अबतक यह सीट सामान्य या ओबीसी के लिए आरक्षित हुई।

1995 में पहली बार सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के भतीजे रणवीर सिंह यादव ब्लॉक प्रमुख बने थे। 2000 के पंचायत चुनाव में रणवीर सिंह दोबारा ब्लॉक प्रमुख सीट पर काबिज हुए थे। उनका निधन होने पर वर्ष 2002 में मुलायम परिवार से ही दूसरे भतीजे धर्मेंद्र यादव को ब्लॉक प्रमुख की सीट मिली।

इसके बाद 2005 के चुनाव में स्व. रणवीर सिंह के पुत्र तेज प्रताप सिंह यादव ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद 2010 में भी तेजप्रताप ही ब्लॉक प्रमुख बने। इस दरमियान 2014 के आम चुनाव में मैनपुर संसदीय क्षेत्र से तेज प्रताप सांसद चुने गए। इसके बाद 2015 के पंचायत चुनाव में तेज प्रताप की मां मृदुला यादव ने ब्लॉक प्रमुख पद का चुनाव जीता था।

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ब्लॉक प्रमुख पद एससी महिला के लिए आरक्षित होने के बाद मुलायम परिवार में अब किसी खास की तलाश शुरू हो गई है। अब इस बात की कवायद की जा रही है कि ब्लॉक प्रमुख पद परिवार में नहीं तो घर में रहना चाहिये।

इसके लिए परिवार से बेहद करीबी की तलाश शुरू कर दी गई ताकि उसे चुनाव में उतारा जा सके। सूत्रों की मानें तो परिवार में आंतरिक स्तर पर तकरीबन नाम भी फाइनल हो गया लेकिन अभी सपा प्रमुख की अंतिम मुहर लगना बाकी रह गया है। परिवार से जुड़ीं महिला सदस्य जिला पंचायत सदस्य भी रही हैं।

सपा का गढ़ कहे जाने वाले सैफई में ग्राम प्रधान पद का सफर शायद ही कहीं और देखने को मिले, इंदिरा युग से शुरू हुआ प्रधानी का सफर मोदी युग तक जारी रहा। वर्ष 1971 में पहली बार प्रधान बने दर्शन सिंह यादव का पचास साल तक लगातार पद पर रहना कोई आम बात नहीं थी बल्कि इसकी वजह सिर्फ दोस्ती ही रही होगी।

सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने कहा था-जबतक दर्शन सिंह तबतक कोई दूसरा नहीं..। शायद यही वजह रही कि पचास वर्षों से मुलायम के इष्ट मित्र दर्शन सिंह यादव ही प्रधान बनते रहे। यूपी में सरकारें बदलती रहीं लेकिन सफैई का प्रधान कभी नहीं बदला।

अक्टूबर 2020 में दर्शन सिंह यादव ने दुनिया छोड़ दी और पंचायत चुनाव का समय आने पर पचास साल बाद सीट का आरक्षण भी बदल गया। हालांकि मुलायम परिवार के लिए सैफई प्रधान पद भी खासा अहम रखता है, इसके लिए किसी खास की तलाश शुरू हो गई है। सूत्रों की मानें तो खास की तलाश करने की जिम्मेदारी प्रधान रहे स्व. दर्शन सिंह यादव के स्वजन को दी गई है। कुछ ही दिन में प्रधान पद के लिए दावेदार का नाम सामने आ जाएगा, परिवार की पूरी कोशिश निर्विरोध चुनाव की रहेगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here