गोपेश्वर। चमोली जिले के हेमकुंड साहेब मार्ग को जाने वाले मार्ग घांघरिया से पांच किमी दूर एक ऐसी घाटी है, जहां विभिन्न प्रकार के 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते है। जो “फूलों की घाटी” के नाम से विख्यात है। एक जून को घाटी को खोलने की तैयारी पार्क प्रशासन की ओर से की जा रही है। हालांकि अभी घाटी में काफी मात्रा मे ग्लेशियर पसरे हुए है।
कहां है फूलों की घाटी
विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी चमोली जिले के जोशीमठ ब्लॉक में समुद्रतल से 3650 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। घाटी की खोज इंग्लैंड के प्रसिद्ध पर्वतारोही फैंक स्माइल ने 1931 में की थी। यहां से लौटने के बाद उन्होंने “वैली ऑफ फ्लावर्स” नाम की पुस्तक प्रकाशित की। उसके बाद घाटी विश्व में प्रसिद्ध हुई। वर्ष 1982 में घाटी के 87.51 वर्ग किलोमीटर भू-भाग को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया। वर्ष 2001 में घाटी के संरक्षण का जिम्मा नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क को सौंपा गया और वर्ष 2005 में यूनेस्को की ओर से घाटी को विश्व धरोहर का दर्जा भी दिया गया है। वनस्पति विज्ञानियों के अनुसार घाटी में 500 से अधिक हिमालयी फूलों की किस्म मौजूद हैं।
कैसे पहुंचे फूलों की घाटी
फूलों की घाटी पहुंचने के लिए चमोली जिले में सड़क मार्ग का अंतिम पड़ाव गोविंदघाट है। यहां से 14 किमी की पैदल दूरी पार कर फूलों की घाटी पहुंचा जा सकता है। पैदल मार्ग पर घांघिरिया पड़ाव पर रहने व खाने की सुविधा उपलब्ध है।
क्या कहते हैं अधिकारी
फूलों की घाटी में आवाजाही की सभी व्यवस्थाएं सुचारु कर ली गई हैं। घाटी को एक जून को हर वर्ष की भांति खोल दिया जाएगा। हालांकि कोरोना संक्रमण को देखते हुए घाटी में पर्यटकों की आवजाही को लेकर उच्चाधिकारियों से वार्ता कर निर्णय लिया जाएगा।
- किशन चंद्र, डीएफओ, नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क, जोशीमठ