नई दिल्ली। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की किस्मत एक सीलबंद लिफाफे में गुरुवार क को राजभवन पहुंचने के साथ प्रदेश में अटकलों का दौर शुरू हो गया है। चुनाव आयोग ने क्या सिफारिश की है, राज्यपाल का इस पर क्या रुख होगा और इसके बाद झारखंड की राजनीति क्या करवट लेगी, इन सवालों को लेकर तरह-तरह की कयासबाजी चल रही है।
चर्चा यह भी है कि यदि सोरेन को कुर्सी छोड़नी पड़ती है तो वह अपनी जगह पत्नी, मां या जेएमएम के किसी वरिष्ठ सदस्य को सत्ता सौंप सकते हैं। हेमंत सोरेन ने गुरुवार को कहा कि वह ‘तैयार हैं’। उन्होंने भाजपा पर तंज कसते हुए बताया कि जनसमर्थन उनके साथ है।
उन्होंने ट्वीट किया, ”संवैधानिक संस्थानों को तो खरीद लोगे, जनसमर्थन कैसे खरीद पाओगे? झारखंड के हमारे हजारों मेहनती पुलिसकर्मियों का यह स्नेह और यहां की जनता का समर्थन ही मेरी ताकत है। हैं तैयार हम! जय झारखंड!’
सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या सोरेन के हाथ से मुख्यमंत्री की कुर्सी निकलने के बाद क्या सरकार पर भी कोई संकट आ सकता है? वैसे तो भाजपा मध्यावधि चुनाव कराने पर जोर दे रही है। लेकिन राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि महागठबंधन सरकार इस विकल्प पर विचार नहीं करेगी। 82 विधायकों वाली विधानसभा में आंकड़े महागठबंधन के फेवर में हैं।
लेकिन झामुमो से लेकर कांग्रेस तक में कई विधायकों के असंतुष्ट होने की वजह से महागठबंधन निश्चिंत नहीं है। महागठबंधन के सभी विधायकों को रांची बुला लिया गया है और एकजुट रखने का प्रयास किया जा रहा है। पहले राष्ट्रपति चुनाव में महागठबंधन के कई विधायकों की क्रॉस वोटिंग और फिर पश्चिम बंगाल में कैश के साथ पकड़े गए तीन विधायकों की घटना ने चिंता में इजाफा किया है। बताया जा रहा है कि भाजपा की नजर असंतुष्ट विधायकों पर भी है।
भाजपा की बैठक में नये हालात पर चर्चा
चुनाव आयोग का पत्र राजभवन को मिलने के बाद देर शाम भाजपा कोर कमिठी की बैठक हरमू प्रदेश कार्यालय में हुई। इसमें राज्य के ताजा राजनीतिक हालातों पर चर्चा हुई। बैठक के दौरान यह तय किया गया कि सरकार में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ भाजपा मुखरता से आवाज उठाएगी। बैठक में प्रदेश अध्यक्ष सह सांसद दीपक प्रकाश, पूर्व मुख्यमंत्री सह भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी, पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, रघुवर दास, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र राय, आदित्य साहू आदि मौजूद थे।
विधानसभा में क्या है गणित
झारखंड विधानसभा में 82 सीटें हैं। इनमें से महागठबंधन के 52 विधायक हैं, जिनमें झामुमो के 30, कांग्रेस के 18 और अन्य 4 हैं। विपक्ष में कुल 30 विधायक हैं, जिनमें से 26 भाजपा के हैं।