लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा से स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान जैसे नेताओं का एग्जिट चर्चा में आया था। इन नेताओं के पार्टी छोड़ने और ओपी राजभर के भाजपा गठबंधन से अलग हो सपा के साथ जाने को अगड़ा बनाम पिछड़ा की राजनीति बताया गया था। स्वामी प्रसाद मौर्य ने तो एक कार्यक्रम में भाजपा और आरएसएस को सांप बताते हुए कहा था कि मैं इनका फन कुचल दूंगा।
लेकिन आज जब चुनाव के नतीजे आ रहे हैं तो तस्वीर एकदम उलट दिख रही है। सरकारें बनाने के दावे करने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य खुद फाजिलनगर सीट से पीछे चल रहे हैं। इसके अलावा सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता ओपी राजभर भी जहूराबाद से पीछे चल रहे हैं।
मऊ जिले की घोसी सीट से लड़ने वाले लोनिया चौहान बिरादरी के नेता दारा सिंह चौहान भी पीछे चल रहे हैं। इस सीट से विजय राजभर आगे चल रहे हैं। इसके अलावा अपना दल कमेरावादी की नेता और सपा के टिकट पर सिराथू सीट से उतरीं पल्लवी पटेल पीछे चल रही हैं।
एक दौर में अपना दल कमेरावादी अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल की ही हिस्सा थी, लेकिन दोनों बहनों और मां कृष्णा पटेल में विवाद के चलते पार्टी में बंटवारा हो गया था। दिलचस्प बात यह है कि भाजपा के साथ लड़ने वाली अपना दल को 8 सीटों पर बढ़त दिख रही है। इसके अलावा कमेरावादी को किसी भी सीट पर जीत मिलती नहीं दिख रही है।
हालांकि समाजवादी पार्टी छोड़कर भाजपा में आए मुलायम सिंह यादव के रिश्तेदार हरिओम यादव सिरसागंज सीट से पीछे चल रहे हैं। करहल विधानसभा सीट से अखिलेश यादव और गोरखपुर सिटी से योगी आदित्यनाथ आगे चल रहे हैं। उत्तर प्रदेश में भाजपा ने अब तक 270 सीटों पर आगे चल रहे हैं, जबकि समाजवादी पार्टी 170 सीटों पर ही आगे है।