नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के 6 हत्यारों को रिहा करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस ने नाराजगी जाहिर की है। कांग्रेस का कहना है कि वह इस मामले में सोनिया गांधी से भी सहमत नहीं है, जिन्होंने इन दोषियों को माफी दी थी। एनडीटीवी से बातचीत में अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ‘इस मामले में कांग्रेस का स्टैंड वही है, जो केंद्र सरकार का है।
पार्टी सोनिया गांधी के विचार से सहमत नहीं है। हम अपना विचार सालों से स्पष्ट करते रहे हैं।’ कांग्रेस का कहना है कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ क्या कानूनी विकल्प होंगे, उस पर विचार करेंगे। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी की हत्या किसी अन्य क्राइम की तरह नहीं थी।
उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय मसला था। कोई स्थानीय स्तर पर हुई हत्या नहीं थी। तमिलनाडु के श्रीपेरुमबुदुर में एक आत्मघाती हमलवार ने 21 मई, 1991 को राजीव गांधी की हत्या कर दी थी। वह श्रीलंका में सक्रिय उग्रवादी संगठन लिट्टे से जुड़ी हुई थी। इस मामले में 7 लोगों को मौत की सजा सुनवाई गई थी।
लेकिन सन् 2000 में नलिनी श्रीहरण की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया गया था। सोनिया गांधी के दखल पर यह फैसला लिया गया था। इसके बाद 2008 में प्रियंका गांधी ने पिता की हत्यारिन नलिनी से तमिलनाडु के वेल्लोर में स्थित जेल में मुलाकात की थी।
सोनिया गांधी ने की थी नरमी बरतने की अपील
इसके बाद 2014 में 6 अन्य हत्यारों की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया था। इसी साल तत्कालीन सीएम जे. जयललिता ने इन लोगों को रिहा कराने की कोशिशें शुरू कर दी थीं। इसी साल मई में सुप्रीम कोर्ट ने एजी पेरारिवेलन को रिहा कर दिया था। इसके बाद नलिनी ने अपनी और अन्य हत्यारों की रिहाई के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया था।
खुद सोनिया गांधी ने अदालत से नलिनी के प्रति नरमी बरतने की अपील की थी। नलिनी को जब गिरफ्तार किया गया था, तब वह प्रेग्नेंट थी। अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सोनिया गांधी ने कई साल पहले यह बयान दिया था।
सिंघवी बोले- स्टैंड पर कायम हैं, उपाय पर कर रहे विचार
सिंघवी ने कहा कि हम अपने स्टैंड पर लगातार कायम रहे हैं। यह संस्थागत मामला है। पूर्व पीएम की हत्या देश की एकता, अखंडता और पहचान से जुड़ा मसला है। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि पहले की सरकार हो या फिर मौजूदा, किसी ने भी इन लोगों की रिहाई का समर्थन नहीं किया है। माना जा रहा है कि कांग्रेस की ओर से इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की जा सकती है।