लखनऊ। उत्तर प्रदेश में चुनावी घमासान शुरू हो चुका है। सभी प्रमुख राजनीतिक पार्टियां भाजपा, सपा, कांग्रेस और बसपा विधानसभा चुनाव 2022 में खुद की दावेदारी मजबूत करने में लग गई हैं। ऐसे में पूर्वांचल के बाहुबली पंडित हरिशंकर तिवारी का परिवार बसपा का दामन छोड़ सपा के कुनबे में शामिल हुआ है।
पूर्वांचल में अपनी अच्छी पैठ रखने वाला पंडित हरिशंकर तिवारी का परिवार सपा शामिल हुआ तो अखिलेश यादव को मजबूती मिली है, तो वहीं बसपा की मुखिया मायावती को इससे बड़ा झटका लगा है। पंडित हरिशंकर तिवारी ऐसा नाम है, जो हर सरकार में मंत्री बनते रहे हैं। यही नहीं 1998 में जब कल्याण सिंह के नेतृत्व में जब भाजपा की सरकार प्रदेश में आई थी, तब बाहुबली हरिशंकर तिवारी साइंस और टेक्नोलोजी मंत्री बनाए गए थे।
BJP के वोट पर भी पड़ेगा असर
पंडित हरिशंकर तिवारी के बड़े बेटे कुशल तिवारी संतकबीरनगर से दो बार सांसद रहे तो छोटे बेटे विनय शंकर तिवारी चिल्लूपार सीट से विधायक हैं। जबकि हरिशंकर तिवारी के भांजे गणेश शंकर पांडेय बसपा सरकार में विधान परिषद के सभापति रहे हैं। तिवारी परिवार के सपा में आने से बसपा के साथ-साथ बीजेपी के लिए भी चिंता का विषय हो सकता है। कभी ब्राह्मण वोटों की बदौलत प्रदेश में सरकार बनाने वाली बसपा से हरिशंकर तिवारी के परिवार के अलग होने से पूर्वांचल की राह मायावती के लिए मुश्किल हो गई है।
हर सरकार में मंत्रीमंडल में शामिल रहे हरिशंकर तिवारी
उत्तर प्रदेश में सरकार चाहे जिसकी रही हो लेकिन पंडित हरिशंकर तिवारी के प्रभाव में कभी कमी नहीं आई। हर सरकार के मंत्रीमंडल में उनका नाम शामिल रहता था। बीजेपी के कल्याण सिंह ने 1998 में जब बसपा को तोड़कर सरकार बनाई तो उन्हें हरिशंकर तिवारी का भी समर्थन मिला। कल्याण सरकार में हरिशंकर तिवारी साइंस और टेक्नोलॉजी मंत्री थे।
वहीं 2000 में जब रामप्रकाश गुप्त मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने हरिशंकर तिवारी को स्टांप रजिस्ट्रेशन मंत्री बना दिया। इसी तरह 2001 में जब राजनाथ सिंह ने बीजेपी सरकार की कमान संभाली तो, उन्होंने भी हरिशंकर तिवारी को मंत्री बनाया था। हरिशकंर तिवारी 2002 में बनी मायावती की सरकार में भी शामिल रहे। मायावती के इस्तीफे के बाद अगस्त 2003 में बनी मुलायम सिंह यादव की सरकार में भी हरिशंकर तिवारी मंत्री थे।