नई दिल्ली। क्रिप्टोकरेंसी को जितना सुरक्षित बताया जा रहा था, यह उतनी नजर नहीं आ रही है। हैकर्स के लिए ये लूट का आसान जरिया बन गई है। हर साल डिजिटल करेंसी की लूट के नए रिकॉर्ड बन रहे हैं। इस साल भी क्रिप्टो की लूट का नया रिकॉर्ड बन सकता है। अक्टूबर में हैकर्स ने 6 हजार करोड़ रुपए की क्रिप्टो हैकिंग की और साल के अंत तक ये आंकड़ा 3 अरब डॉलर (2.47 लाख करोड़ रुपए) से ऊपर निकलने का अनुमान है।
दुनियाभर में क्रिप्टो हैकर्स का अधिकांश टारगेट डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस या डीफाई प्रोटोकॉल हैं। ये प्रोटोकॉल डिजिटल खातों में क्रिप्टो निवेशकों के ट्रेड, उधार और कर्ज के लेनदेन के लिए किसी केंद्रीय मध्यस्थ (सेंट्रल इंटरमीडियरी) का उपयोग करने के बजाय सॉफ्टवेयर आधारित एल्गोरिदम का इस्तेमाल करते हैं। हैकर्स ने इनकी कमजोरी भांप ली है। यही वजह है कि ये डीफाई मार्केटप्लेस के स्ट्रक्चर को आसानी से डीकोड कर लेते हैं।
अक्टूबर में चरम पर पहुंची क्रिप्टो हैकिंग
सॉफ्टवेयर कंपनी चेन एनालिसिस के मुताबिक, 2022 में हैकिंग गतिविधियों के लिए अक्टूबर का महीना सबसे बड़ा साबित हुआ है। हाल के दिनों में दो सबसे बड़ी क्रिप्टो लूट में डीफाई सर्विस ‘मैंगो’ से टोकन की कीमतों में हेरफेर करके लगभग 823 करोड़ रुपए की लूट शामिल है। इस तरह की लूट के बाद क्रिप्टो एक्सचेंज प्लेटफॉर्म की सुरक्षा पर सवाल उठने लगे हैं।