हवा से फैल रहा कोरोना! 200 से ज्यादा वैज्ञानिकों के खुलासे पर विश्व स्वास्थ्य संगठन गंभीर

वाशिंगटन। दुनियाभर के 200 से अधिक शीर्ष वैज्ञानिकों की ओर से हवा से कोरोना फैलने के सबूतों वाला खुला पत्र मिलने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा, वह मामले की समीक्षा करेगा। 32 देशों के 239 वैज्ञानिकों ने WHO को पत्र लिखकर कहा था कि कोरोना वायरस हवा से भी फैलता है।

अमेरिकी अखबार ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ की रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों का कहना है कि बचाव के लिए घर के अंदर भी एन-95 मास्क पहनने की जरूरत है। इसके साथ ही वैज्ञानिकों ने WHO से कोरोना वायरस पर अपने गाइडलाइन में बदलाव करने का भी आग्रह किया है।

5 पॉइंट : वैज्ञानिकों का पक्ष और WHO  का जवाब

1. समीक्षा जारी, अभी हम गाइडलाइन में बदलाव के लिए आश्वस्त नहीं
डब्ल्यूएचओ के प्रवक्ता तारिक जेसरेविक के मुताबिक, हम लेटर और रिपोर्ट से वाकिफ हैं। टेक्निकल एक्सपर्ट्स के साथ उसका रिव्यू कर रहे हैं। हवा में मौजूद कणों (एयरोसॉल) से कोरोनावायरस कितनी तेजी से फैलता यह अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। हम संक्रमण के रास्ते यानी एयरोसॉल रूट को समझने की कोशिश कर रहे हैं। अभी हम आश्वस्त नहीं हैं कि गाइडलाइन में बदलाव होना चाहिए।

2. कब-कब हवा के जरिए फैलता है कोरोना
इस सवाल पर डब्ल्यूएचओ का कहना है कि कुछ खास स्थितियों में हवा से कोरोना का संक्रमण फैलता है। जैसे मरीज को ऑक्सीजन के लिए ट्यूब लगाते समय यह फैल सकता है। WHO ने 29 जून को स्वास्थ्य कर्मियों के लिए गाइडलाइन जारी की थी। जिसमें कहा गया था कि कोरोना नाक और मुंह से निकले ड्रॉप्लेट्स से फैलता है। सतह पर मौजूद वायरस से भी संक्रमण हो सकता है।
स्वास्थ्य कर्मियों को सलाह देते हुए कहा था कि मरीज को ऑक्सीजन ट्यूब लगाते समय और वेंटिलेटर के आसपास रहने पर एन95 रेस्पिरेट्री मास्क लगाएं और सभी जरूरी इक्विपमेंट पहनें।

3. WHO की निराशा चरम स्तर तक पहुंची
मिनेसोटा यूनिवर्सिटी के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. माइकल ऑस्टरहोल्म के मुताबिक, आंकड़े सामने होने के बावजूद WHO ने इंफ्लुएंजा वायरस की हवा में मौजूदगी को समझने की कोशिश नहीं की। इस समय हो रही बहस का यही हिस्सा है। डॉ. माइकल के मुताबिक, WHO की निराशा का स्तर चरम पर पहुंच गया है।

4. हवा में मौजूद कणों से संक्रमण फैलना संभव
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल्स के संक्रामक रोग सलाहकार प्रो. बाबक जाविद का कहना है कि हवा में मौजूद कणों से संक्रमण फैलना संभव है, लेकिन हवा में वायरस कितने समय तक रहेगा, अब तक इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है। अगर संक्रमित इंसान के किसी जगह से जाने के बाद भी यह वायरस हवा में लंबे समय तक टिका रहता है तो स्वास्थ्य कर्मियों और आसपास मौजूद लोगों को अपनी सुरक्षा करनी होगी।

5. अगर यह दुर्लभ मामला हुआ तो ज्यादा असर नहीं पड़ेगा
हार्वर्ड स्कूल के महमारी विशेषज्ञ डॉ. विलियम हेनेज के मुताबिक, डब्ल्यूएचओ हवा से कोरोना संक्रमण फैलने के हर पॉइंट की समीक्षा कर रहा है। इस बात को उसे गंभीरता से सोचना होगा। अगर हवा के जरिए कोरोना का संक्रमण फैलने की आशंका है और यह एक दुर्लभ स्थिति है तो इसका अधिक प्रभाव लोगों पर नहीं पड़ेगा।

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