प्रयागराज। प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में बताया कि कुछ प्रतिबन्धों के साथ प्राइमरी स्वास्थ्य केन्द्रों व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों व प्राइवेट अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं शुरू कर दी गयी है। सरकार ने इस आशय का आदेश भी 17 जून को जारी कर दिया है।
मरीजों को परेशानी न हो, इस नाते कोर्ट तीन जुलाई को करेगी सुनवाई
मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस पंकज मित्तल व जस्टिस यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने कहा कि सरकार कोविड 19 के संक्रमण को देखते हुए एक्सपर्ट की राय लेकर कार्यवाही कर रही है। कोर्ट ने कहा कि आगे मरीजों को परेशानी न हो और सुविधाओं में इजाफा हो इस नाते अब इस मामले की सुनवाई 3 जुलाई को करेगी।
यह आदेश कोर्ट ने पत्रकार विशाल तलवार, आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट व विधि छात्र विनायक मिश्रा की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया है। याचिकाओं पर अधिवक्ता एपी पाल, प्रान्जल शुक्ला व विधि छात्र विनायक मिश्रा ने अलग-अलग पक्ष रखा।
सरकार की तरफ से बहस कर रहे अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने सरकार द्वारा जारी आदेश को कोर्ट में पढ़ा तथा कहा कि ओपीडी सेवा सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में कुछ प्रतिबन्धों के साथ खोलने का निर्णय लिया गया है। याची के अधिवक्ता पाल का कहना था कि कोविड 19 की जांच की सुविधा सरकारी अस्पतालों में कम है। प्राइवेट अस्पतालों में भी इसके जांच की छूट दी जाय।
मालूम हो कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 15 जून को सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में कोविड-19 के मरीजों के अलावा अन्य मरीजों के इलाज को प्रतिबंधित करने के सरकार के नीतियों के खिलाफ दाखिल अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर प्रदेश सरकार के अपर महाधिवक्ता से 18 जून को जरूरी जानकारी लेकर कोर्ट को बताने को कहा था। कोर्ट ने कहा था कि प्राइवेट अस्पतालों की ओपीडी कैसे बंद की जा सकती है।
यह आदेश जस्टिस पंकज मित्तल व जस्टिस यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने आल इडिया पीपुल्स फ्रंट, विशाल तलवार व विधि छात्र विनायक मिश्रा की याचिका पर दिया था। याची पीपुल्स फ्रंट के अधिवक्ता प्रान्जल शुक्ला ने कहा था कि पिछले सप्ताह नोएडा में अस्पतालों में भर्ती लेने से मना करने के चलते एक गर्भवती महिला की मौत चुकी है।
उन्होंने कोविड मरीजों के अलावा अन्य किसी मरीज का इलाज करने को प्रतिबंधित करने सम्बन्धी सरकारी नीतियों को असंवैधानिक बताते हुए इस रद्द करने की अदालत से मांग की।
कोर्ट ने इस जनहित याचिका में सरकार का पक्ष रख रहे अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल से कहा कि वह 18 जून को इस मामले में सरकार से जरूरी जानकारी लेकर अपना पक्ष रखें। याचिका में 23 मार्च 2020 व 31 मई 2020 के उस अधिसूचना को चुनौती दी गयी है, जिसके द्वारा कोविड मरीजों के अलावा अन्य मरीजों के इलाज को सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में प्रतिबंधित कर दिया गया है।
मांग की गयी है कि कोविड 19 मरीजों के अलावा अन्य मरीजों का भी इलाज अस्पतालों में किया जाय। यह भी मांग की गयी है कि कोविड मरीजों के इलाज के लिए अलग से इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाय। हाईकोर्ट इस मामले में इसी सप्ताह बृहस्पतिवार को सुनवाई करेगी।
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