हाथरस। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हाथरस पीड़ित परिवार की सुरक्षा को संभालने के लिए सीआरपीएफ के 80 जवानों की एक टीम को तैनात किया गया है। सीआरपीएफ कमांडेंट मनमोहन सिंह शनिवार को रामपुर से हाथरस पहुंचे और हाथरस के एसपी विनीत जायसवाल से मिलने के बाद पीड़िता के घर गए और उसके परिवार वालों से मिले।
कमांडेंट ने एक स्थानीय स्कूल का भी दौरा किया, जहां जिला अधिकारियों द्वारा सीआरपीएफ कर्मियों के ठहरने की व्यवस्था की गई है।
अब तक उत्तर प्रदेश पुलिस पीड़ित परिवार को सुरक्षा मुहैया करा रही थी।
गौरतलब है कि 27 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यम थे, उन्होंने कहा कि वे राज्य सरकार द्वारा पीड़ित परिवार और गवाहों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त व्यवस्था करने के लिए उठाए गए कदम से आश्वस्त हैं।
पीठ ने कहा, “हालांकि, वर्तमान मामले को देखते हुए सामान्य अनुभूति और निराशावाद को संबोधित करना आवश्यक है, जिसे औचित्य के बिना नहीं कहा जा सकता है।”
आदेश में आगे कहा गया, “यह देखते हुए, राज्य पुलिस के सुरक्षाकर्मियों पर किसी भी दाग के बिना, सभी आशंकाओं को दूर करने के लिए और मात्र विश्वास जगाने के उपाय के रूप में हम यह निर्देश देना उचित समझते हैं कि पीड़ित के परिवार और गवाहों को सुरक्षा आज से एक सप्ताह के भीतर सीआरपीएफ द्वारा प्रदान की जाएगी।”
गौरतलब है कि हाथरस में 19 वर्षीय दलित महिला के साथ कथित तौर पर चार पुरुषों ने 14 सितंबर को दुष्कर्म किया था। उसकी 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। पीड़िता का 30 सितंबर को उसके घर के पास रात के दौरान अंतिम संस्कार किया गया था।
पीड़िता के परिवार ने आरोप लगाया कि उन्हें स्थानीय पुलिस ने पीड़िता का अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर किया। हालांकि, स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने कहा कि दाह संस्कार ‘परिवार की इच्छा के अनुसार’ किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि जांच की निगरानी और पीड़ित के परिवार के साथ-साथ गवाहों को सुरक्षा प्रदान करने सहित मामले के सभी पहलुओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा विचार किया जाएगा।
प्रधान न्यायाधीश बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मामले में उत्तर प्रदेश से मुकदमे को स्थानांतरित करने की याचिका पर सीबीआई जांच पूरी होने के बाद विचार किया जाएगा।