लखनऊ। विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती पार्टी को नए तरीके से खड़ा करने की कोशिशों में जुट गई हैं। इसी कड़ी में मायावती ने जोनल कोआर्डिनेटर के पद की व्यवस्था खत्म कर दी है। कांशीराम द्वारा शुरू की गई मंडल प्रभारी व्यवस्था 10 साल बाद एक बार फिर शुरू की गई है। हर मंडल पर तीन-तीन प्रभारी बनाए गए हैं।
यूपी को 18 भागों में बांटा
विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद लगातार मायावती संगठन को ठीक करने में लगी हुई हैं। उन्होंने 3 अप्रैल को प्रदेशभर के कोआर्डिनेटरों, विधानसभा उम्मीदवारों और भाईचारा कमेटी के पदाधिकारियों को बुलाया था। इस बैठक में भाईचारा कमेटियां भंग करते हुए प्रदेश को छह जोनों में बांटा था। प्रत्येक तीन मंडल का एक जोन बनाया गया था, लेकिन इसे बनाए जाने का फीडबैक अच्छा नहीं मिला। इसीलिए 13 दिन बाद ही इस व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है।
प्रभारियों को जिम्मेदारी
बसपा सुप्रीमो ने प्रत्येक मंडल में तीन प्रभारी बनाए हैं। इनकी देखरेख में ही पूरे मंडल में संगठन को विस्तार दिया जाएगा। इसके साथ भाईचारा कमेटियां भंग होने के बाद उसके पदाधिकारियों को जिला सचिव या फिर मंडल में जिम्मेदारी दी गई है। कांशीराम ने बहुजन समाज पार्टी बनाने के बाद मंडलीय व्यवस्था शुरू की थी।
मंडलीय प्रभारियों की देखरेख में उम्मीदवार तय किए जाते थे और जिम्मेदारियां तय की जाती थीं, लेकिन इस व्यवस्था को वर्ष 2012 में खत्म करते हुए जोनल व्यवस्था शुरू की गई थी। इसमें हर जोन में पांच-पांच कोआर्डिनेटर बनाए जाते थे।
दो चुनावों पर नजर
मायावती इसी साल होने वाले निकाय चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए संगठन को नए सिरे से खड़ा चाहती हैं। इसीलिए विधानसभा चुनाव के बाद भी वह लखनऊ में ही बनी हुई हैं।