हिजबुल्लाह से लड़कर आग से खेल रहा इजरायल, आसान नहीं होगा जमीन पर युद्ध

तेल अवीव: शांति के लिए कोई भी युद्ध सफल हो पाना मुश्किल है। हिजबुल्लाह और इजरायल पिछले एक वर्षों से जैसे को तैसा वाली स्थिति में फंसे हैं। लेकिन पिछले सप्ताह पेजर हमले के बाद इजरायल-हिजबुल्लाह में संघर्ष बढ़ गया है। इजरायल ने हिजबुल्लाह के नेताओं को टार्गेट करके मारा है।

हिजबुल्लाह पिछले साल अक्तूबर से शुरू हुए गाजा युद्ध में हमास का समर्थन कर रहा है। कई रिपोर्ट्स का दावा है कि इजरायल हिजबुल्लाह पर हमला करके उसे राजनयिक समाधान के लिए मजबूर करना चाहता है। इजरायल इस उम्मीद के साथ हमला कर रहा है कि हिजबुल्लाह हमास का समर्थन करना छोड़ कर चुपचाप बैठ जाए और उत्तरी इजरायल के लोग वापस अपने घरों में जा सकें। लेकिन एक्सपर्ट्स इसे जोखिम भरा मानते हैं।

इजरायली सेना की टेक्नोलॉजी उसे किसी भी ऑपरेशन में सबसे आगे करती है। एडवांस्ट सर्विलांस और इंटेलिजेंस के इस्तेमाल से इजरायल ने हिजबुल्लाह के कम्युनिकेशन सिस्टम में घुसपैठ की है। हाल ही में हिजबुल्लाह के लड़ाकों की मारी गई संख्या साफ तौर से इस बारे में बताती है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि पेजर हमला करना और जमीन पर युद्ध लड़ना अलग-अलग बात है। इजरायली सेना पिछले एक साल से युद्ध लड़ते हुए थक गई है। वहीं हिजबुल्लाह गुरिल्ला युद्ध में माहिर है और इस समय बेहद गुस्से में है। ऐसे में यह युद्ध इजरायल के लिए ही उल्टा पड़ सकता है।

इजरायल ने पिछले सप्ताह हिजबुल्लाह के लड़ाकों के पास मौजूद हजारों पेजर में धमाका किया। इसके अगले ही दिन कई वॉकी-टॉकी में भी बम फटे। सैकड़ों एयर स्ट्राइक में हिजबुल्लाह के टॉप कमांडर और कमांड सेंटर तबाह हो गए। लेकिन यह छोटी-छोटी जीत इस बात की गारंटी नहीं है कि हिजबुल्लाह कमजोर हो गया है या इजरायल के लिए जमीनी युद्ध भी इतना ही आसाम होगा। हालांकि इस तरह के हमले मनौवैज्ञानिक रूप से हिजबुल्लाह को कमजोर कर सकते हैं। साथ ही हिजबुल्लाह के लड़ाकों के लिए यह भी मुश्किल होगा कि किससे और कैसे संपर्क करना है। संभव है कि हिजबुल्लाह के अंदर फूट भी देखने को मिले। लेकिन समय के साथ वह उठ खड़े हो सकते हैं और इजरायल पर हमला कर सकते हैं।

हिजबुल्लाह को होगा सबसे ज्यादा नुकसान

इस संघर्ष का परिणाम फिलहाल के लिए अनिश्चित है। अगर हिजबुल्लाह लगातार इजरायली इलाकों को निशाना बनाने के लिए हमला करता है तो स्थिति एक बड़े संघर्ष में बदल सकती है, जिसमें दोनों पक्षों को भारी नुकसान होगा। लेकिन सबसे ज्यादा कीमत हिजबुल्लाह को ही चुकानी पड़ेगी। अगर हिजबुल्लाह पीछे हटने से मना कर देता है तो इजरायल की विशाल वायुसेना उन्हें निशाना बनाती रहेगी। इजरायल की तुलना में बड़ी संख्या में हिजबुल्लाह के लोग मारे जाएंगे। इसके अलावा आम लेबनानी पर इससे पड़ने वाला प्रभाव हिजबुल्लाह के लिए परेशानी पैदा कर सकता है।

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