1 दिसंबर से टीवी चैनल्स के बिल बढ़ने वाले हैं। देश के प्रमुख ब्रॉडकास्टिंग नेटवर्क्स वॉयकॉम, जी, स्टार और सोनी ने कुछ चैनल्स अपने बुके से बाहर कर दिए हैं और उनके दाम बढ़ा दिए हैं। टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) के नए टैरिफ ऑर्डर के लागू करने की वजह से यह दाम बढ़ रहे हैं।
इस ऑर्डर को बहाल रखने के बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, लेकिन वहां से तत्काल स्टे नहीं मिला। 30 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में इसकी सुनवाई होगी।
बुके में शामिल चैनलों की कीमत कम तय करने का नतीजा
ब्रॉडकास्टिंग नेटवर्क के किसी बुके में ऑफर किए जाने वाली चैनल की मंथली वैल्यू पहले न्यूनतम 19 रुपए तय हुई थी, लेकिन TRAI के नए टैरिफ ऑर्डर में यह न्यूनतम 12 रुपए तय की गई है। देश के 7% टीवी व्यूअर्स ही अ ला कार्ट बेसिस पर चैनल सब्सक्राइब करते हैं। बाकी 93% पूरा बुके ही सब्सक्राइब करते हैं।
इस हालत में चैनल्स के लिए अपने ज्यादातर चैनल सिर्फ 12 रुपए में ऑफर करना बहुत नुकसानदेह हो सकता है। यह नुकसान कम करने के लिए नेटवर्क्स ने कुछ पॉपुलर चैनल्स को बुके से बाहर कर उनके दाम बढ़ाने का रास्ता सोचा है। इसमें स्पोर्ट्स, रीजनल और जनरल एंटरटेनमेंट कैटेगरी के कई चैनल शामिल हैं।
इन चैनलों की आदत डाल चुके लोग अ ला कार्ट बेसिस पर ज्यादा दाम देकर भी सब्सक्राइब करेंगे, ऐसी ब्रॉडकास्टिंग नेटवर्क्स को उम्मीद है।
क्या है NTO 2.0 की लड़ाई
- TRAI ने मार्च 2017 में टीवी चैनल्स की कीमतों को लेकर न्यू टैरिफ ऑर्डर (NTO) जारी किया था। उसके बाद 1 जनवरी, 2020 को NTO 2.0 जारी हुआ।
- देश के ब्रॉडकास्टिंग नेटवर्क के संगठन इंडियन ब्रॉडकास्टिंग और डिजिटल फाउंडेशन ने टीवी प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन के साथ मिलकर इस ऑर्डर को बॉम्बे हाइकोर्ट में चैलेंज किया था।
- 30 जून को बॉम्बे हाईकोर्ट ट्राई के पक्ष में फैसला दिया।
- IBF और दूसरे याचिकाकर्ताओं ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया है। सुप्रीम कोर्ट से उन्हें स्टे नहीं मिला है।
- ट्राई ने सारे ब्रॉडकास्टिंग नेटवर्क को बताया है कि अभी NTO पर कोई स्टे नहीं है इसलिए इसका पालन आवश्यक है। 10 दिन के भीतर इसे लागू करने कीरिपोर्ट दी जाए।
- इसके चलते सारे नेटवर्क NTO 2.0 के अनुसार अपने चैनलों के दाम बदल रहे हैं।
चैनल के सामने OTT का फायदा
इलारा कैपिटल के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट और मीडिया एंड एंटरटेनमेंट रिसर्च एनालिस्ट करन तौरानी ने बताया कि हमारे यहां वैसे भी बहुत कम उपभोक्ता अ ला कार्ट बेसिस पर चैनल पसंद करते हैं। बहुत सारे महंगे चैनल अ ला कार्ट पर सब्सक्राइब करने के बजाय वह OTT पर शिफ्ट हो जाएंगे।
उदाहरण के तौर पर देखें तो जी नेटवर्क की एक प्रीमियम चैनल का मंथली सब्सक्रिप्शन 22 रुपए होगा। इससे ज्यादा तो उपभोक्ता जी-5 ओटीटी प्लेटफार्म पर शिफ्ट हो जाएगा तो उसे 42 रुपए प्रति माह में जी के सारे चैनल और साथ में ओरिजिनल वेब सीरिज भी देखने मिल जाएंगी।