नई दिल्ली। मार्च में लॉकडाउन के बाद अब कंपनियों में कामकाज शुरू हो गया है और लोगों को रोजगार मिलना शुरू हो गया है। इस बात की गवाही कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के आंकड़े दे रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगस्त में 1,53,500 कंपनियों ने ईपीएफओ में योगदान देना शुरू कर दिया है। हालांकि, अभी भी 64 हजार कंपनियों ने ईपीएफओ में योगदान शुरू नहीं किया है।
अप्रैल में रहे सबसे खराब हालात
ईपीएफओ के डाटा के मुताबिक, फरवरी 2020 में 5,49,037 कंपनियां योगदान दे रही थीं। अप्रैल 2020 में इस संख्या में 2 लाख से ज्यादा की गिरावट आई गई थी। अप्रैल में ईपीएफओ में योगदान करने वाली कंपनियों की संख्या गिरकर 3,32,773 पर आ गई थी। एक सरकारी अधिकारी के मुताबिक, अगस्त में 1.53 लाख कंपनियों का लौटना रिकवरी का संकेत है। अधिकारी के मुताबिक, इन कंपनियों के लौटने से ईपीएफओ के सब्सक्राइबर बेस में बढ़ोतरी होगी, जोकि अप्रैल में निचले स्तर पर पहुंच गया था।
20 से ज्यादा कर्मचारी वाली कंपनियों को देना होता है योगदान
जिन कंपनियों या संस्थानों में 20 या इससे ज्यादा कर्मचारी होते हैं, उन कंपनियों को ईपीएफओ में योगदान देना होता है। यह योगदान कर्मचारी की बेसिक सैलरी के 24 फीसदी के बराबर होता है। इसमें 12 फीसदी हिस्सा कर्मचारी और 12 फीसदी हिस्सा कंपनी का होता है। मई में केंद्र सरकार ने कर्मचारी के योगदान को घटाकर 10 फीसदी कर दिया था। यह सुविधा केवल 3 महीने के लिए दी गई थी। अगस्त से फिर से 24 फीसदी योगदान का नियम लागू हो गया है।
चार महीने में 80 लाख सब्सक्राइबर्स ने 30 हजार करोड़ निकाले
कोरोना आपदा के दौरान वित्त मंत्रालय ने ईपीएफओ के सब्सक्राइबर्स को आंशिक निकासी की विशेष सुविधा प्रदान की थी। यह सुविधा अप्रैल से दी गई थी। इस सुविधा के तहत ईपीएफओ सब्सक्राइबर्स खाते में जमा कुल राशि में से 75 फीसदी या तीन महीने की सैलरी के बराबर (दोनों में से जो कम हो) राशि निकाल सकता था। ईपीएफओ के डाटा के मुताबिक, अप्रैल से अब तक चार महीने से कम समय में 80 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर्स ने ईपीएफओ से 30 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की निकासी की है।