उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार सुबह करीब 10 बजकर 45 मिनट पर ग्लेशियर फटने से ऋषिगंगा घाटी में सैलाब आ गया। रफ्तार से पानी गांवों की ओर तबाही बनकर बढ़ रहा था। देखते ही देखते दर्जनों गांव और बांध इस पानी में समा गए। 170 लोग इस हादसे में मारे गए हैं और ये आंकड़ा बढ़ भी सकता है। 2013 में केदारनाथ में बादल फटने से जो तबाही आई थी, उसके 7 साल बाद राज्य में यह दूसरी सबसे बड़ी त्रासदी है। तस्वीरों में देखें जल प्रलय…
तपोवन में गांव मलबे में दब गए थे। यहां ITBP ने टनल से एक ग्रामीण को सुरक्षित बाहर निकाला।
हादसे के बाद रेस्क्यू पॉइंट से ग्रामीण को सुरक्षित बाहर निकालते ITBP के जवान।
मौत के मुंह से निकलने के बाद युवक खुशी से झूम उठा।
तपोवन टनल की तस्वीर। इस सुरंग से अब तक 16 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है।
तपोवन टनल में रेस्क्यू की तैयारी में जुटे ITBP के जवान।
टनल के अंदर लोगों की तलाश करता ITBP का जवान।
टनल के आसपास जमे मलबे को जेसीबी से हटाया जा रहा है।
तपाेवन में इसी जगह गांव मिट्टी से दबे हुए हैं। यहां लोगों को निकालने का काम जारी है।
तपोवन में स्थानीय लोगों को जवानाें ने राहत सामग्री बांटी।
उत्तर प्रदेश के बिजनौर, कन्नौज, फतेहगढ़, प्रयागराज, कानपुर, मिर्जापुर, गढ़मुक्तेश्वर, गाजीपुर और वाराणसी जैसे कई जिलों में डीएम को हालात पर नजर बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं। बिजनौर, बुलंदशहर में पुलिस ने गंगा किनारे खेतों में काम कर रहे किसानों को घर भेज दिया गया।