लेखक: मरियम जॉर्डन
”मैक्सिकाे से सटी अमेरिकी सीमा पर पेट्राेलिंग कर रहे अमेरिकी एजेंट्स के जवान ने देखा कि एक कार यहां आ रही हैं और लाेगाें काे छाेड़कर वापस जा रही हैं। वह तुरंत सतर्क हाे जाता है। कहता है- अरे नहीं। साथी जवानाें काे आगाह करते हुए कहता है- ‘यहां आओ और गश्त बढ़ा दाे ताकि पहाड़ और पाेखर के रास्ते, जहां काेलाराडाे नदी बहती है, वहां से किसी भी प्रकार की घुसपैठ काे राेका जा सके”।
इस रास्ते से महीनेभर पहले ही ब्राजील, क्यूबा, भारत और वेनेजुएला से आने वाले शरणार्थियों की लंबी कतार लग रही है। नया शहर और नई नाैकरी के सपने काे लेकर पहले भी बड़ी संख्या में लाेग इस सीमा से प्रवेश करने की काेशिश कर चुके हैं। फिलहाल, बाइडेन प्रशासन दक्षिण-पश्चिमी सीमा पर प्रवासियों की बढ़ती संख्या से जूझ रहा है।
अप्रैल में ही यूएस बाॅर्डर पेट्राेल एजेंट्स ने 178,622 लोगों काे अनाधिकृत प्रवेश से राेका है। यह संख्या पिछले 20 वर्षों में सबसे अधिक है। विशेषज्ञाें का कहना है कि काेराेना महामारी के दाैर में जब दुनियाभर की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है, लाखाें लाेगाें के राेजगार छिन गए हैं, ऐसे में विकासशील देशाें से शरणार्थियाें की संख्या तेजी से बढ़ी है। यूराेप का प्रवेश द्वारा माने जाने वाले इटली में करीब 13 हजार प्रवासी इस साल अब तक उतरे हैं, जो पिछले साल की तुलना में तीन गुना ज्यादा हैं।
अमेरिका-मैक्सिकाे सीमा पर हाल के महीनाें में यूएस बॉर्डर एजेंट्स ने 160 देशों के लोगों को घुसपैठ से रोका है। हालांकि, शरणार्थियों के वकीलों के मुताबिक, यदि बाइडेन तत्परता दिखाते तो और शरणार्थियों के प्रवेश को अनुमति मिल सकती थी।
भारतीय भी अपनी जान जोखिम में डालकर प्रवेश चाहते हैं
अमेरिका में शरण पाने के लिए लोग कई तरह का जोखिम उठाते हैं। भारत से भी लोग अपने शहरों से बसों में भरकर पहले मुंबई पहुंचते हैं। यहां से वे दुबई आते हैं और फिर माॅस्को, पेरिस और मैड्रिड होते हुए अंत में मैक्सिको सीमा तक पहुंचते हैं। यहां युमा की रेगिस्तानी और दलदली सीमा से वे अमेरिका में प्रवेश की कोशिश करते हैं। घुसपैठ की कोशिश में वे कई बार तो नदी के बहाव में भी जान गंवा देते हैं।